12th Hindi 50 Marks में संक्षेपण से सम्बंधित बार बार पूछे जाने वाले प्रशन Bihar Board 12th Hindi Short Long 5 Marks Question With Answer On Latest Pattern
‘संक्षेपण’ से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रशन और उनके उतर नए पैटर्न पर
Q 1. गांवों में यदि कुटीर उद्योगों का विकास किया जाता तो व्यवसायोन्मुख शिक्षा की व्यवस्था होती, चिकित्सा सुविधाएँ उपलब्ध करायी जाती तो गाँवों से नवयुवकों का पलायन रोका जा सकता। ग्रामीण उद्योगों की जो दुर्दशा स्वाधीनता के बाद हुई है, वैसी दुर्दशा तो अंग्रेजी राज्य में भी नहीं थी। काठ के कोल्हुओं से शुद्ध कच्ची घानी से तेल निकाला जाता था। तेलियों को रोजगार मिलता था तथा गाँव वालों को शुद्ध तेल। सभी को संतोष था। मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हार घर में काम आने वाले बर्तन बनाते थे। शादी–विवाह के दौरान जितनी मिट्टी के बर्तनों की जरूरत पड़ती, वे पूरी करते थे । काम के बदले उन्हें अनाज मिल जाता था।
उत्तर ⇒ शीर्षक : ग्रामीण उद्योगों की दुर्दशा
¤ संक्षेपण :- गाँवों के कुटीर उद्योगों को स्वाधीनता के बाद जो दुर्दशा हुई, वैसी अंग्रेजी राज्य में भी नहीं हुई। इससे हमारे गाँवों की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है।
Q 2. कुछ लोग शिक्षा को रोजगार का साधन मान लेते हैं। ऐसे लोग ऐसा समझते हैं कि शिक्षा केवल इसलिए प्राप्त करना आवश्यक है जिससे हमें रुपये मिलने लगे। आजकल ऐसे विचार वाले लोगों की संख्या भारतवर्ष में अधिक है। ये लोग शिक्षा के वास्तविक आनन्द से वंचित रहते हैं। माना कि रुपया कमाना भी एक आवश्यक कार्य है और यह भी शिक्षा से ही संभव होता है। परन्तु शिक्षा का अन्तिम लक्ष्य इसे बना लेना ठीक नहीं है । शिक्षा प्राप्त कर स्वयं आनन्दित होते हुए दूसरों की सुख–समृद्धि को बढ़ाना उचित है। इसी में मनुष्य जीवन की सार्थकता है। जिन लोगों ने विद्या को धन से बड़ा मान रखा है वे ही पंडित हैं।
उत्तर ⇒ शीर्षक : शिक्षा का लक्ष्य
¤ संक्षेपण :- शिक्षा की उपयोगिता है रुपया कमाना पर अन्तिम लक्ष्य तो शिक्षा प्राप्त कर स्वयं आनन्दित होना और दूसरों का कल्याण करना ही है।
Q 3. चरित्र–निर्माण जीवन की सफलता की कुंजी है। जो मनुष्य अपने चरित्र की ओर ध्यान देता है, वही जीवनक्षेत्र में विजयी होता है। चरित्र-निर्माण से मनुष्य के भीतर ऐसी शक्ति का विकास होता है जो उसे जीवन-संघर्ष में विजयी बनाती है। ऐसी शक्ति से वह जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता प्राप्त करता है। वह जहाँ कहीं भी जाता है, अपने चरित्र की शक्ति से अपना प्रभाव स्थापित कर लेता है। उसे देखते ही लोग उसके व्यक्तित्व के सम्मुख नतमस्तक हो जाते हैं। उसके व्यक्तित्व में सूर्य का तेज, आँधी की गति और गंगा के प्रवाह की अबाधता होती है।
उत्तर ⇒ शीर्षक : चरित्र का महत्त्व
¤ संक्षेपण :- चरित्र–निर्माण से मनुष्य में संघर्ष–शक्ति आती है। चरित्र के माध्यम से ही व्यक्ति जीवन में सफल और विजयी होता है। चरित्रवान अपनी अबाध प्रगति से सबको प्रभावित करता है। सभी नतमस्तक होते हैं।
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Q 4. सही समय पर सही चुनाव करनेवाला व्यक्ति जीवन का सफल कलाकार होता है। चुनाव में सावधानी न बरतनेवाला आदमी कभी सफलता की सीढ़ियों पर नहीं चढ़ पाता। जो व्यक्ति अपने खाने–पीने, खेलने–कूदने और मनोरंजन के कार्यक्रमों में अलग से कुछ चुनाव नहीं करता. उसकी दशा पेट जैसी हो जाती है जो अनाप–शनाप, जो भी सामने आता है, खाए जाता है और अपना स्वास्थ्य चौपट कर बैठता है। होना यह चाहिए कि हम सोच-समझकर तय करें कि हमें किस समय उठना है और किस समय सोना है। हमें क्या, कितना और कब खाना है तथा कब, क्या और कैसा पहनना है? हमें किन लोगों को मित्र बनाना है और किनसे थोड़ा दूर ही रहना है? ऐसे लोगों में न कोई सुरुचि ही विकसित हो पाती है और न वे अपने समय का मूल्य ही समझ पाते हैं।
उत्तर ⇒ शीर्षक : सफलता का रहस्य
¤ संक्षेपण :- व्यक्ति को जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सफलता पाने के लिए विवेक का प्रयोग करना चाहिए। उसे उपयुक्त समय पर कर्म करना चाहिए। उसे भोजन, वस्त्र आदि के विषय में सजग रहना चाहिए तथा सोच-समझकर मित्रता करनी चाहिए। उसे प्रत्येक कार्य सोच-समझकर करना चाहिए।
Q 5. ‘लेखक का काम बहुत अंशों में मधुमक्खियों के काम से मिलता है। मधुमक्खियाँ मकरंद संग्रह के लिए कोसों चक्कर लगाती हैं और अच्छे–अच्छे फूलों पर बैठकर उनका रस लेती हैं। तभी तो उनके मधु में संसार की श्रेष्ठ मधुरता रहती है। यदि आप अच्छा लेखक बनना चाहें तो आपको यही प्रवृत्ति ग्रहण करनी चाहिए। अच्छे–अच्छे ग्रंथों का खूब अध्ययन कीजिए और उनकी बातों पर मनन कीजिए। फिर आपकी भी रचनाओं में मधु का–सा माधुर्य आने लगेगा। कोई अच्छी उक्ति, कोई अच्छा विचार भले ही दूसरों से ग्रहण किया गया हो, पर यदि यथेष्ट मनन कर उसे अपनी रचना में स्थान देंगे तो वह आपका हो जाएगा।
उत्तर ⇒ शीर्षक : अच्छा लेखक
¤ संक्षेपण :- अच्छा लेखक बनने के लिए मधुमक्खी का स्वभाव ग्रहण करना चाहिए। श्रेष्ठ ग्रंथों का मनोयोग से अध्ययन कर उनमें प्रतिपादित विचारों पर मनन करना चाहिए। इससे लेखक की रचना स्वत: ही माधुर्य से पूर्ण हो जाएगी।
Q 6. युवा वर्ग का मस्तिष्क नई–नई बातों की ओर ज्यादा तेज दौड़ता है। उसमें अन्य वर्ग के व्यक्तियों से अधिक आवेश और शक्ति होती है। इस अवस्था में यदि सही शिक्षा और उचित मार्गदर्शन न मिले तो यही शक्ति और प्रेरणा निर्माण के स्थान पर विनाश की ओर ले जाती है। बिगडने और बनने की भी यही आयु होती है। दुर्भाग्य से हमारे देश में शिक्षा–पद्धति केवल उपाधि बाँटने का काम ही करती है, एक संपूर्ण व्यक्तित्व वाला मनुष्य बनाना आज की शिक्षा–पद्धति के लिए मुश्किल है।
उत्तर ⇒ शीर्षक : आधुनिक शिक्षा-पद्धति एवं युवा वर्ग
¤ संक्षेपण :- युवा वर्ग में अन्य वर्गों की अपेक्षा अधिक आवेश और क्षमता होती है। इसे सही शिक्षा और मार्गदर्शन की आवश्यकता है। आधुनिक शिक्षा–पद्धति इस कसौटी पर खरी नहीं उतरती।
Q 7. विद्यार्थी अपनी पढ़ाई की धुन में स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं देते हैं। इसलिए ये भयंकर रोगों से आक्रांत हो जाते हैं। दिन–रात लगातार कठिन मानसिक परिश्रम करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। जिसका स्वास्थ्य ठीक नहीं है वह अच्छी तरह से विद्या–अध्ययन नहीं कर सकता है। अतः विद्यार्थी को अपने स्वास्थ्य पर पर्याप्त ध्यान देना चाहिए।
उत्तर- स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का वास
→ संक्षेपण : विद्यार्थियों को पढ़ाई के साथ-साथ अपने स्वास्थ्य पर भी ध्यान देना चाहिए। बिना स्वास्थ्य के विद्या–अध्ययन पूरा नहीं हो सकता। स्वास्थ्य मनुष्य की सबसे बड़ी पूँजी है। इसके बिना जीवन में कुछ भी नहीं।
Q 8. कविता से रस प्राप्त होता है। उसे जो पढ़ते हैं वे तन्मय हो जाते हैं और इस तरह थोड़ी देर के लिए आपा खो बैठते हैं। आपा खोना एक मायने में मोक्ष है। इस मायने से कहा जा सकता है कि कविता मोक्ष का एक साधन है।
उत्तर- काव्य रस मोक्ष समान
¤ संक्षेपण : कविता मानवता व रस से अभिभूत होती है। शब्दों में भावों का बड़ा सागर होता है जिसे समझने वाले मंत्रमुग्ध हो मोक्ष प्राप्त से हो जाते हैं।
Q 9. कवि का काम है कि प्रकृति–विकास को खूब ध्यान से देखें। प्रकृति की – लीला का कोई छोर नहीं, वह अनन्त है। प्रकृति अद्भुत खेल खेला करती है। एक छोटे से फूल से वह अजीब कौशल दिखलाती है जो जन साधारण के ध्यान में नहीं आते। वे उनकी समझ में नहीं आ सकते। पर कवि अपनी सूक्ष्म दृष्टि से प्रकृति के कौशल को अच्छी तरह देख लेता है। उसका वर्णन भी वह करता है। उनसे नाना प्रकार की शिक्षाएँ भी वह ग्रहण करता है और संसार को लाभ भी पहुँचाता है।
उत्तर : शीर्षक : प्रकृति की लीला कवि ही समझे विचित्र है
¤ संक्षेपण : – एक ओर प्रकृति हमें रमणीयता देती है, तो दूसरी ओर शिक्षा। परंतु, उसे साधारण व्यक्ति पहचानने में असमर्थ रह जाता है। उसकी शक्ति को ठीक से परखनेवाला ही सफल कवि बन जाता है।
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¤ जीवन का झरना चैप्टर सारांश भावार्थ
¤ गौरा शीर्षक रेखाचित्र का सारांश
¤ कविवर रविंद्रनाथ ठाकुर का जीवन परिचय सारांश
¤ पंच परमेश्वर कहानी का सारांश
¤ रामधारी सिंह दिनकर कवि का जीवन परिचय
📕 मंगर – (रामवृक्ष बेनीपुरी) |
📕 पंच परमेश्वर – (प्रेमचंद) |
📕 गौरा – (महादेवी वर्मा) |
📕 कविवर रवीन्द्रनाथ ठाकुर – (हजारी प्रसाद दिवेदी) |
📕 ठिठुरता हुआ गणतंत्र – (हरिशंकर परसाई) |