BSEB 10th Exam Social Science लोकतंत्र में प्रतिस्पर्धा एवं संघर्ष Chapter Short Type Question
लोकतंत्र में प्रतिस्पर्धा एवं संघर्ष
1. राजनीतिक दल की परिभाषा दें।
उत्तर- राजनैतिक दल लोकतंत्र के व्यावहारिक पक्ष को अमलीजामा पहनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। राजनैतिक दल सामान्यतः व्यक्तियों का एक ऐसा समूह है जिसका सामान्य उद्देश्य सत्ता की प्राप्ति है अर्थात् इसका उद्देश्य होता है राजनैतिक कार्यकलाप को करना और कराना। राजनैतिक क्रियाकलापों में दल के सदस्य मतदान करते या कराते हैं। चुनाव लड़ते या लडाते हैं, नीतियाँ एवं कार्यक्रम का निर्धारण करते या कराते हैं। यदि विचारों में मूल रूप से भिन्नता आ जाती है तो व्यक्ति को दल छोड़ना पड़ता है। सत्ता प्राप्ति तथा सत्ता को प्रभावित करने हेत राजनैतिक दल अपनी-अपनी नीतियाँ एवं कार्यक्रम तैयार करते हैं।
2. भारतीय किसान यूनियन की मुख्य माँगें क्या थी?
उत्तर- भारतीय अर्थव्यवस्था के उदारीकरण से 1980 ई. के दशक में नकदी फसलों के बाजार को संकट का सामना करना पड़ा। विदित हो कि हरित क्रान्ति ने 1960 ई. के उत्तरार्द्ध से ही हरियाणा, पंजाब, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोगों के आर्थिक विकास में काफी योगदान दिया। इन इलाकों में इस क्रांति के बाद के वर्षों में गन्ना और गेहँ मुख्य नकदी फसल बन गए। उदारीकरण और नकदी फसलों के अधिक उत्पादन के बावजूद दाम नहीं मिलने के मुद्दे को भारतीय किसान यूनियन ने गम्भीरता से लेते हुए सरकार से कई प्रमुख माँगें की। इन मांगों में गन्ने और गेहूँ के सरकारी खरीद मूल्य में बढोत्तरी, कृषि उत्पादों के अन्तर्राज्यीय आवाजाही पर लगे पाबन्दी को हटाने, समुचित दर पर बिजली की गारण्टीयुक्त आपूर्ति, किसानों के बकाये की माफी तथा किसानों के लिए पेंशन योजना का प्रावधान आदि प्रमुख थीं। सरकार से अपनी माँगें मनवाने हेतु भारतीय किसान यूनियन ने रैली, धरना, प्रदर्शन और जेल भरो आन्दोलन आदि का सहारा लिया। किसानों ने धमकी दी यदि माँगें नहीं मानी गई तो परिणाम के लिए सरकार तैयार रहे।
3. सूचना के अधिकार आंदोलन के मुख्य उद्देश्य क्या थे?
उत्तर- सूचना के अधिकार आन्दोलन का मुख्य उद्देश्य सत्ता में आंशिक माझेदारी करना. सरकारी कामकाज पर नियंत्रण रखना तथा सरकार एवं सरकारी मलाजिमों के कार्यों का सार्वजनिकीकरण करना है। राजस्थान में सरकार ने 1994 ई. और 1996 ई० में जन-सुनवाई आयोजित की। इस आंदोलन के दबाव में सरकार को राजस्थान पंचायती राज अधिनियम में संशोधन कर पंचायत के दस्तावेजों की प्रमाणित प्रतिलिपि जनता को उपलब्ध कराने का आदेश निर्गत करना पड़ा। 1996 ई. में दिल्ली में सूचना के अधिकार आन्दोलन को लेकर एक राष्ट्रीय समिति का गठन हुआ। 2002 ई. में सूचना की स्वतंत्रता नामक एक विधेयक पारित हुआ, लेकिन इसमें व्याप्त गड़बड़ियों के कारण इसे सार्वजनिक नहीं किया गया। 2004 ई० में सूचना के अधिकार से सम्बन्धित विधेयक संसद में लाया गया जिसे जून, 2005 ई. में राष्ट्रपति की स्वीकृति मिली और यह अधिनियम बन गया। इस अधिकार द्वारा जनता को जागरू क कर विकास को समझने परखने के कौशल में विकास लाने का उद्देश्य समाहित है।
4. ‘चिपको आदोलन’ का मुख्य उद्देश्य क्या था?
उत्तर- उत्तराखण्ड के दो-तीन गाँवों से प्रारम्भ हुए इस आन्दोलन की शुरुआत ‘अंगू’ के पेड़ काटने के मुद्दे पर हुआ। ग्रामीणों को खेती भूमि में विकास के लिए अंगू वृक्ष काटने की अनुमति को राज्य सरकार ने खारिज कर दिया। वहीं सरकार ने खेल का सामान बनाने वाली कम्पनी को अंगू वृक्षों को काटने का ठेका दे दिया। इसी मुद्दे ने ‘चिपको आन्दोलन’ को जन्म दिया।
इस आन्दोलन ने आर्थिक शोषण से जुड़े अन्य मुद्दों को भी अपने उद्देश्यों में शामिल कर लिया। आन्दोलन का उद्देश्य था-जल, जंगल और जमीन पर एकमात्र नियंत्रण स्थानीय लोगों का हो। स्थानीय भूमिहीन वनकर्मियों ने आर्थिक मुद्दा उठाया एवं न्यूनतम मजदूरी की गारन्टी माँगी। बाहरी ठेकेदारों द्वारा स्थानीय निवासियों को दिए जाने वाले शराब के कारण शराबी बन रहे लोगों की शराबखोरी पर महिलाओं ने आवाज उठाई। परिणामस्वरूप आन्दोलन के कारण अगले 15 वर्ष तक वनों की कटाई पर सरकार ने रोक लगा दी।
5. राजनीतिक दलों को प्रभावशाली बनाने के तीन उपायों को संक्षेप में लिखें।
उत्तर- राजनीतिक दलों को प्रभावशाली बनाने के तीन उपाय निम्नलिखित
(i) दल-बदल कानून होना चाहिए – विधायकों और सांसदों के दलबदल को रोकने के लिए संविधान में संशोधन लाकर कानून बनाया गया है। इन कानूनों को पूर्णरूप से बिना किसी लाभ के लागू होना चाहिए।
(ii) राजनीतिक दलों में आन्तरिक लोकतंत्र बहाल होना चाहिए – राजनीतिक दलों को प्रभावशाली बनाने के लिए यह आवश्यक है कि सभी राजनीतिक दल अपने-अपने संविधान का पालन करें, समय-समय पर सांगठनिक चुनाव हों और दल के सभी सदस्यों को विभिन्न पदों पर बैठने का समान अवसर मिले।
(iii) न्यायपालिका के आदेश का पालन होना चाहिए – उच्चतम न्यायालय ने राजनीतिक दलों के काले धन के दुरूपयोग को रोकने और अपराधियों को चुनाव लड़ने की पाबंदी सम्बन्धी आदेश दिए हैं। इन आदेशों का सख्ती से पालन होना चाहिए।
6. दल-बदल कानून क्या है?
उत्तर- भारत एक बहुदलीय लोकतांत्रिक राष्ट्र है। निर्वाचित प्रतिनिधि अपने हित या अन्य किसी कारण से अपने दल को छोड़कर अन्य दल में मिल जाता है, तो यह क्रिया उस निर्वाचित सदस्य के संदर्भ में दल-बदल कहलाएगा। दल-बदल शक्ति संतुलन को बिगाड़ता है, सरकार को अस्थायी एवं भयभीत बनाए रखता है।
1985 ई. में राजीव गाँधी के नेतृत्व वाली सरकार ने दल-बदल विरोधी अधिनियम संसद में लाया। पारित अधिनियम दल विरोधी कानुन बना। यदि किसी पार्टी से निर्वाचित सदस्यों का एक-तिहाई भाग अलग होता है तो यह दल-बदल नहीं कहलाएगा। एक नये दल का गठन माना जाएगा। यदि दल-बदल की घटना में एक-तिहाई से कम निर्वाचित सदस्य हैं तो यह दल-बदल माना जाएगा। दल बदलने वाले निर्वाचित प्रतिनिधि की सदस्यता विधायिका से समाप्त कर दी जाती है।
7. जनता दल यूनाइटेड का परिचय दें।
उत्तर- जनता दल यूनाइटेड जिसका संक्षिप्त नाम जदयू है। इसके अध्यक्ष श्री नीतिश कुमार हैं। बिहार में नीतिश सरकार जदयू एवं बी जे पी० की गठबंधन सरकार है।
8. हमारे देश को ‘भारत गणतंत्र’ क्यों कहा जाता है?
उत्तर- हमारे देश ने 26 जनवरी, 1950 ई. को स्वनिर्मित गणतांत्रिक संविधान अंगीकार एवं स्वीकार किया था इसीलिए इसे ‘भारत गणतंत्र’ कहा जाता है।
9. राष्ट्रीय राजनीतिक दल किसे कहते हैं?
उत्तर- राष्ट्रीय राजनीतिक दल की श्रेणी में कोई भी दल तभी आता है जब (i) लोकसभा व विधानसभा के चुनावों में चार या अधिक राज्यों में डाले कुल वैध मतों का 6% प्राप्त किया हो (ii) किसी राज्य या राज्यों से लोकसभा के कम-से-कम 4 स्थानों पर उस दल का उम्मीदवार विजयी रहा हो (iii) या लोकसभा में कम से कम 2% सीट अर्थात् 11 स्थानों पर उसका उम्मीदवार विजयी रहा हो। ये सीटें उसे कम से कम तीन राज्यों में मिली हों। राष्ट्रीय राजनैतिक दल का अस्तित्व पूरे देश में होता है। इनके कार्यक्रम एवं नीतियाँ राष्ट्रीय स्तर की होती हैं।
दल विशेष के सम्बन्ध में उसके राष्ट्रीय अथवा क्षेत्रीय होने की घोषणा भारत का चुनाव आयोग करता है। प्रमुख राष्ट्रीय दलों में भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस, भारतीय जनता पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई), भारतीय कम्यनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी (सीपीआईएम), बहजन समाज पार्टी (बसपा), राष्ट्रीय काँग्रेस पार्टी (राकांपा), राष्ट्रीय जनता दल (राजद) आदि हैं।
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