Class 10th Sanskrit Swami Dayanand Chapter Short Long Type Question | कक्षा 10वीं संस्कृत का प्रशन | ‘स्वामी दयानन्दः‘ Chapter Short & Long Type Question
Class 10th – कक्षा 10वीं
विषय – संस्कृत (Sanskrit)
लघु और दीर्घ उत्तरीय प्रशन
चैप्टर का नाम – ‘स्वामी दयानन्दः‘
1. स्वामी दयानन्द ने अपने सिद्धांतों के कार्यान्वयन हेतु क्या किया?
उत्तर⇒ स्वामी दयानन्द ने अपने सिद्धांतों के संकलन के लिए सत्यार्थ प्रकाश नामक ग्रंथ राष्ट्रभाषा में रचकर अपने अनुयायियों का उपकार किया। वेदों के प्रति सभी धर्मानुयायियों का ध्यानाकर्षण करते हुए स्वयं वेद भाष्यों को संस्कृत – हिन्दी भाषा में लिखा। प्राचीन शिक्षा में दोष दिखाकर नई शिक्षा पद्धति देने हेतु DAV विद्यालयों की स्थापना कर शिक्षा की गंदगी को दूर किया। इस प्रकार इन्होंने समाज के प्रवर्तन में विशेष भूमिका निभाई।
2. स्वामी दयानन्द समाज सुधारक थे, कैसे? पाँच वाक्यों में उत्तर दें।
उत्तर⇒ स्वामी दयानन्द ने समाज की कुरीतियों को दूर कर सुधारात्मक कार्य किया। इन्होंने जातिवाद की विषमताओं को हटाया। छूआछूत की परम्परा को दूर किया। स्त्रियों की हो रही दुर्दशा को टोका । स्त्री-शिक्षा को बढ़ावा दिया और विधवा- स्थिति सुधारी ।
3. मध्यकाल में भारतीय समाज में वर्तमान कुरीतियों पर प्रकाश डालें।
उत्तर⇒ मध्यकाल में अनेक गलत रीति-रिवाजों के कारण भारतीय समाज दूषित हो गया था। जातिवाद से उत्पन्न विषमता, छुआ-छूत, धार्मिक – आडम्बर, स्त्रियों की अशिक्षा, विधवाओं की निन्दनीय स्थिति, शिक्षा की संकीर्णता इत्यादि कुरीतियाँ समाज में व्याप्त थीं।
4. स्वामी दयानन्द मूर्तिपूजा के विरोधी कैसे बने? अथवा, महाशिवरात्रि पर्व स्वामी दयानन्द के जीवन का उद्बोधक कैसे बना? अथवा, स्वामी दयानन्द को मूर्तिपूजा के प्रति अनास्था कैसे हुई ?
उत्तर⇒ स्वामी दयानन्द के घर शिवरात्रि महोत्सव था। रात्रि में उन्होंने मूर्ति पर चूहों को टहलते देखा। उसी दिन से उनके मूर्ति पूजन के प्रति विरक्ति हो गई।
5. स्वामी दयानन्दः पाठ का पाँच वाक्यों में परिचय दें। अथवा, स्वामी दयाननन्द द्वारा किय गये समाज सुधार के प्रमुख कार्यों का वर्णन करें।
उत्तर⇒ उन्नीसवीं शताब्दी ईस्वी में आविर्भूत समाजसुधारकों में स्वामी दयानन्द अतीव प्रसिद्ध हैं। इन्होंने रूढ़िग्रस्त समाज और विकृत धार्मिक व्यवस्था पर कठोर प्रहार करके आर्य समाज की स्थापना की जिसकी शाखाएँ देश-विदेश में शिक्षासुधार के लिए भी प्रयत्नशील रही हैं। शिक्षाव्यवस्था में गुरुकुल पद्धति का पुनरुद्धार करते हुए इन्होंने आधुनिक शिक्षा के लिए डी० ए० वी० विद्यालय जैसी संस्थाओं की स्थापना को प्रेरित किया था। इनका जीवनचरित प्रस्तुत पाठ में संक्षिप्त रूप से दिया गया है।
6. स्वामी दयानन्द की शिक्षा-व्यवस्था का वर्णन करें।
उत्तर⇒ प्राचीन शिक्षा में दोष देखकर नवीन शिक्षा पद्धति को इन्होंने बताया । अपने सिद्धान्तों का कार्यान्वयन के लिए 1875 में मुम्बई नगर में ‘आर्य समाज’ संस्था की स्थापना कर अपने अनुयायी के लिए मूर्तरूप से समाज के संशोधन के उद्देश्य को प्रकट किया। शिक्षा पद्धति में गुरुकुलों का डी०ए०वी० विद्यालयों का समूह स्वामी जी के अनुयायियों के द्वारा प्रारम्भ किया गया। वर्तमान शिक्षा पद्धति समाज में गुणात्मक सुधार के लिए स्वामी दयानन्द की ही देन है।
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