रामवृक्ष बेनीपुरी रचित ‘मंगर’ शब्द-चित्र का सारांश। अथवा, मंगर का चरित्र चित्रण
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⇒ रामवृक्ष बेनीपुरी कलम के जादूगर कहे जाते हैं। देश की आजादी के लिए संघर्ष करते हुए 14 बार जेल जानेवाले वे प्रथम पत्रकार थे। साहित्य भी उन्होंने कम नहीं लिखा। समाजवाद का भी कम असर उन पर न था।
‘मंगर‘ बेनीपुरी जी का जीता–जागता शब्दचित्र है – शब्दों में खींचा गया चित्र है। मंगर एक कृषक मजदूर है।
हट्ठा–कट्ठा शरीर। कमर में भगवा। कंधे पर हल। हाथ में हल, आगे–आगे बैल का जोड़ा। अपनी आवाज के हास से ही बैलों को भगाता खेतों की ओर सुबह–सुबह जाता।
मंगर स्वाभिमानी था। मंगर का स्वाभिमान—गरीबों का स्वाभिमान ! मंगर ने किसी की बात कभी बर्दाश्त नहीं की और शायद अपने से बड़ा किसी को, मन से, माना भी नहीं Ι
मंगर का यह हट्ठा-कट्ठा शरीर और उससे भी अधिक उसमें सख्त कमाऊपन था जिसमें ईमानदारी ने चार चाँद लगा दिये थे। जितनी देर में लोगों का हल दस कट्ठा खेत जोतता, मंगर पन्द्रह कट्ठा जोत लेता और वह भी ऐसा महीन जोतता कि पहली चास में ही सिराऊ मिलना मुश्किल।
→ मंगर की अर्धांगिनी का नाम भकोलिया था।
♦ मंगर को डेढ़ रोटी खाने को मिलती तो, आधी को दो टुकड़े कर दोनों बैलों को खिला देता। महादेव मुँह ताके; और वह खाए—यह कैसे होगा। मंगर के लिए यह बैल नहीं, साक्षात् महादेव थे।
मंगर का स्वभाव रूखा और बेलौस रहा है। किसी से लल्लो-चप्पो नहीं, लाग-लपटाई नहीं। दो टूक बातें, चौ-टूक व्यवहार। मंगर बेनीपुरीजी को बड़ा प्यार करता था।
मंगर कपड़ा भी कम ही पहनता था। हमेशा कमर में भगवा ही लपेटे रहता। मंगर को खूबसूरत शरीर मिला था।
काला-कलूटा-फिर भी खूबसूरत। एक सम्पूर्ण सुविकसित मानव-पुतले का उत्कृष्ट नमूना वह था। लगातार की मेहनत ने उसकी मांसपेशियों को स्वाभाविक ढंग पर उभार रखा था।
– “सूखी हाड़ ठाठ भई भारी-अब का लदबऽ हे व्यापारी।’ वह गरीबों को अपने अक्खड़पन से धता बताये रहता। बुढ़ापे के लिए उसने कभी बचत नहीं की। कोई संतान भी नहीं रही, जो बुढ़ापे में उसकी लाठी का सहारा बनता। उसकी बेलौस बोली के कारण कोई उस पर दया भी नहीं करता था।
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बुढ़ापे में उसकी अर्धांगिनी भकोलिया ने साथ दिया। मंगर-भकोलिया की आदर्श जोड़ी थी। भकोलिया का रंग जमुनिया काला था। उसका स्वभाव भी मंगर से मेल खाता था। भकोलिया मंगर की पूरी ईमानदारी से सेवा करती थी। मंगर को अर्धांग मार गया। फिर भी उसमें उफान था ही। एक दिन उसका निधन हो गया—एक कारुणिक निधन। अच्छे लोगों को भगवान् भी जल्दी उठा लेता है।
बेनीपुरीजी का यह शब्दचित्र अत्यन्त चुस्त-दुरुस्त एवं प्रभावशाली बन पड़ा है। सच है—
♦ बेनीपुरी कलम के जादूगर थे।
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S.N | 12TH HINDI 50 MARKS OBJECTIVE |
1 | मंगर – (रामवृक्ष बेनीपुरी) |
2 | पंच परमेश्वर – (प्रेमचंद) |
3 | गौरा – (महादेवी वर्मा) |
4 | कविवर रवीन्द्रनाथ ठाकुर – (हजारी प्रसाद दिवेदी) |
5 | ठिठुरता हुआ गणतंत्र – (हरिशंकर परसाई) |
6 | दोहे – (रहीम) |