Class 10th Social Science Short Type Question || कक्षा 10 सामाजिक विज्ञान इतिहास का महत्वपूर्ण ‘लघु उत्तरीय’ प्रशन
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प्रेस-संस्कृति एवं राष्ट्रवाद
1. गुटेनबर्ग ने मुद्रणयंत्र का विकास कैसे किया?
उत्तर- गुटेनबर्ग ने अपने ज्ञान और अनुभव से टुकड़ों में बिखरी मुद्रण कला को एकत्रित और संघटित कर टाइपों के लिए पंच, मेट्रिक्स, मोडल आदि बनाने पर योजनाबद्ध ढंग से काम शुरू किया। मुद्रा बनाने हेतु उसने सीसा, टिन और बिस्मिथ का उचित अनुपात में मिश्रित कर एक मिश्रधातु ढूँढ निकाला। 15 गुटेनबर्ग ने आवश्यकतानुसार मुद्रण स्याही भी बनाई। गुटेनबर्ग ने हैण्ड प्रेस नामक मुद्रण यंत्रण बनाया जिसमें लकड़ी के चौखट में दो समतल भाग प्लेट तथा बेड एक के नीचे दूसरा रख दिया जाता था। कम्पोज किया हुआ टाइप मैटर बेड पर रखकर उस पर स्याही लगा दी जाती थी। तब कागज रखकर प्लेट्स को दबाकर मुद्रण किया जाता था। इस प्रकार गुटेनबर्ग ने एक सुस्पष्ट, सस्ता तथा शीघ्र कार्य करने वाला मुद्रण यंत्रण विकसित किया।
2. पाण्डुलिपि क्या है? इसकी क्या उपयोगिता है?
उत्तर- हस्तलिखित पुस्तक को पाण्डुलिपि कहते हैं। छापाखाना के विकास से पहले हस्तलिखित पांडुलिपियों को तैयार करने की पुरानी तथा समृद्ध परम्परा थी। पाण्डुलिपि काफी नाजुक, पुरानी, महँगी तथा दुर्लभ होती है। ये आम जनता के पहुँच के बाहर थीं। छापाखाना के विकास के पहले पाण्डुलिपि ही पुस्तक का कार्य करती थी। पाण्डुलिपि हमारे पूर्वजों के दुर्लभ ज्ञान का अक्षुण्ण भंडार थीं। इनका अध्ययन करके आसानी से ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है।
3. लार्ड लिटन ने राष्ट्रीय आन्दोलन को गतिमान बनाया। कैसे?
उत्तर- भारतीय प्रेस अंग्रेजी राज की शोषणकारी या दमनकारी नीतियों का पर्दाफाश कर जन-जागरण फैलाने का कार्य कर रही थीं। लिटन ने इस एक्ट के द्वारा समाचार पत्रों का मुँह बंद रखने का प्रयास किया। किन्तु इसके प्रतिक्रियास्वरूप जनमानस में आक्रोश भर गया और उनमें राष्ट्रीयता की भावना और उग्र हुई जिसके फलस्वरूप राष्ट्रीय आन्दोलन की गति और तीव्र हुई।
4. छापाखाना से क्या लाभ हुआ? छापाखाना यूरोप में कैसे पहुँचा?
उत्तर- छापाखाना लकड़ी के ब्लॉक द्वारा होता था। यह मुद्रण कला समरकन्द पर्शिया मार्ग (सिल्क रूट) से यूरोप तक पहुँची। इसे यूरोप पहुँचाने वाला रोमन मिशनरी एवं मार्कोपोलो था। वहाँ इस कला का प्रयोग ताश एवं धार्मिक चित्र छापने के लिए किया गया, किन्तु रोमन लिपि में अक्षरों की संख्या कम थी। अतः लकड़ी तथा धातु के बने घुमावदार (moveable) टाइपों का प्रसार तेजी से हुआ। छापाखाना से पुस्तकें ज्यादा मात्रा में जल्दी छपने लगीं। फलस्वरूप ज्ञान का वितरण संपूर्ण विश्व में तेजी से फैल गया।
5. स्वतंत्र भारत में प्रेस की भूमिका पर प्रकाश डालें।
उत्तर – भारत में प्रेस पत्रकारिता, साहित्य, मनोरंजन, ज्ञान-विज्ञान, प्रशासन, राजनीति आदि को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित कर रहा है। यह ज्ञान की हर गतिविधियों को प्रभावित कर रहा है। आज प्रेस देश की जनता को नेता की कारगुजारियों, घोटालों एवं सरकारी नीतियों की खामियों से अवगत करा रहा है।
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