Class 10th Hindi

Class 10th Hindi Jit – Jit Main Nirkhat Hun Chapter Wise Short & Long Question | कक्षा 10वीं हिन्दी का चैप्टर वाइज प्रशन | चैप्टर नाम- ‘जित – जित मैं निरखत हूँ’


Class 10th – कक्षा 10वीं

विषय→ हिन्दी – Hindi

लघु और दीर्घ उत्तरीय प्रशन 

8. ‘जित – जित मैं निरखत हूँ’


1. बिरजू महाराज के गुरु कौन थे? संक्षिप्त परिचय दें। 

उत्तर⇒ बिरजू महाराज के गुरु उनके पिताजी थे। उन्होंने स्वयं अपने पिता का शिष्य होने की बात स्वीकार की है। वे कहते हैं— ‘शार्गिद तो बाबूजी का हूँ।’ ऐसा इसलिए कहा क्योंकि उनके बाबूजी जहाँ भी जाते उन्हें साथ ले जाते। जहाँ आयोजनों में उन्हें नृत्य करना होता वहाँ पहले बेटे बिरजू महाराज को नृत्य करने का अवसर प्रदान करते तथा खुद तबला वादन करते । बिरजू महाराज के पिता एक प्रख्यात नर्त्तक थे। उन्होंने 22 वर्षों तक रामपुर की नवाब के यहाँ अपनी कला का प्रदर्शन किया। 54 वर्ष की अवस्था में लू लगने से उनकी मृत्यु हो गई।


2. बिरजू महाराज का अपने शागिर्दों के बारे में क्या राय है? 

उत्तर⇒ अपने शागिर्दों के बारे में बिरजू महाराज की राय है कि विदेशी शिष्यों में वैरानिक उन्नति कर रही है। तीरथ प्रताप और प्रदीप ने अच्छा काम किया हैं, शाश्वती तरक्की की राह पर है और दुर्गा भी। कृष्ण मोहन और राममोहन उतना ध्यान नहीं दे रहे हैं, जितना देना चाहिए। बेटे भी ध्यान नहीं दे रहे हैं। इन लोगों में अपेक्षित उत्साह, त्याग, समर्पण की भावना नहीं है। ये नाच को इन्ज्वायमेंट समझते हैं, साधना नहीं।


3. किनके साथ नाचते हुए बिरजु महाराज को पहली बार प्रथम पुरस्कार मिला? 

उत्तर⇒ अपने पिता और चाचा शंभु महाराज के साथ नाचते हुए बिरजू महाराज को पहली बार प्रथम पुरस्कार मिला।


4. कोलकाता के दर्शकों की प्रशंसा का बिरजू महाराज के नर्तक-जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा? 

उत्तर⇒ कोलकाता के दर्शकों की प्रशंसा का बिरजू महाराज के जीवन में प्रभूत प्रभाव पड़ा। उन्हें लगा कि वे कुछ हैं और कुछ कर सकते हैं।


5. बिरजू महाराज अपना सबसे बड़ा जज अपनी माँ को क्यों मानते थे? 

उत्तर⇒ बिरजू महाराज अपना सबसे बड़ा जज अपनी अम्माँ को इसलिए मानते थे क्योंकि उनकी अम्माँ अपनी कुल परंपरा से आती हुई कथक नर्तकों की महान विरासत अपनी स्मृतियों में सहेजकर रखती थीं और बच्चे के पिता के निधन के बाद उसकी देख-भाल के अलावा रियाज पर नजर रखती थीं। गड़बड़ी होने पर बाबुजी की तस्वीर दिखाकर हौसला बढ़ाती थीं।


6. बिरजू महाराज कौन-कौन से वाद्य बजाते हैं? 

उत्तर⇒ बिरजू महाराज महान नर्त्तक थे। उनके कार्यक्रम देश के भिन्न-भिन्न कोने में हुए, विदेशों में नाम कमाया। लेकिन नर्त्तन के अलावा, वाद्य वादन का भी काफी शौक था। वे सितार, तबला, हारमोनियम, गिटार, सरोद, बाँसुरी आदि बजाया करते थे।


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