Class 10th Hindi

बिहार बोर्ड कक्षा 10 हिंदी महत्वपूर्ण प्रशन 5 मार्क्स लघु और दीर्घ उत्तरीय प्रशन

Bihar Board Class 10th Hindi Short Long Type VVI Guess Question, Matric Exam vvi Subjective Question Hindi 5 Marks & 2 Marks Short Long Type Question With Answer 


1. सीता को अपने ही घर में घुटन क्यों महसूस होती है? 

उत्तर-सीता के तीन बेटे-बहुएँ और पोता-पोतियों से भरा घर अजनबी हो गया क्योंकि जब उसके पति जीवित थे तब घर का वातावरण सुखद था। लेकिन उनके नहीं रहने पर बेटों की पटती नहीं, बहुएँ चिखती-चिल्लाती हैं। बच्चों को दादी के पास आने नहीं देतीं। सीता एकदम अकेली हो गयी है। बेटे माँ को लेकर आपस में झगड़ते रहते हैं-माँ कब किसके हिस्से रहेगी? इसलिए सीता को अपने ही घर में घुटन महसूस होती है।

2. ‘धरती कब तक घूमेगी’ कहानी का उद्देश्य क्या है? 

उत्तर- धरती कब तक घूमेगी कहानी का उद्देश्य है पुराने पारिवारिक मूल्यों का आज के युग में हो रहे क्षरण का चित्रण।


दही वाली मंगम्मा

1. रंगप्पा कौन था और क्या चाहता था

उत्तररंगप्पा मंगम्मा के गाँव का जूआड़ी था और मंगममा से रुपये चाहता था


1. मंगु जिस अस्पताल में भर्ती कराया जाता है उसके कर्मचारी व्यवहार कुशल हैं या संवेदनशील विचार करें

उत्तरमंगु को जिस अस्पताल में भर्ती कराया गया था, वहाँ के कर्मचारी व्यवहार कुशल और संवेदनशील दोनों थेक्योंकि व्यवहारिक कुशलता से मरीजों का इलाज करते ही थे। परिजनों के साथ संवेदना भी बाँटते थे


1. बड़े डॉक्टर पाप्पाति के बारे में पूछताछ क्यों कर रहे थे

उत्तरपाप्पाति बल्लि अम्माल की बेटी हैजो तमिलनाडु के गाँव से मदुरै शहर अस्पताल में लाई गई हैपाप्पाति बहुत ही भयंकर रोग मेनेनजाइटिससे पीड़ित हैमाँ बहुत ही सीधीसाधी गाँव की महिला हैबड़े डॉक्टर अपने छात्रों के साथ पाप्पाति से बेटी की बीमारी के बारे में पूछताछ कर रहे थे ताकि अपने छात्रों को बीमारी के बारे में पढ़ा सकें


मेरे बिना तुम प्रभु

1. कवि रेनर मारिया रिल्के को किस बाकी आशंका है? स्पष्ट कीजिए। 

उत्तरकवि जानता है कि ईश्वर की सत्ता मनुष्य के अस्तित्व पर ही आधारित हैउसकी भगवत्ता भक्त अर्थात् मनुष्य पर ही निर्भर करती हैऐसी स्थिति में एक चिन्ता सताती है और वह यह कि अगर मनुष्य रहा तो ईश्वर का क्या होगा? क्या और जीव ईश्वर की खोज करेंगे? संभवतः नहींऔर इस प्रकार, मनुष्य के साथसाथ ईश्वर भी लुप्त हो जाएगायही आशंका कवि को सताती है और पूछता हैमेरे बिना तेरा क्या होगा प्रभु?

2. कवि अपने को जलपात्र और मदिरा क्यों कहता है

उत्तरजलपात्र में जल होता है और जल ही जीवन का आधार हैमदिरा से नशा होती हैकवि अपने को जलपात्र इसलिए कहता है कि ईश्वर की सत्ता का आधार मनुष्य ही हैअगर मनुष्य होगा तो ईश्वर भी होगा क्योंकि मनुष्य को ही ईश्वर की जरूरत होती है और मनुष्य ही ईश्वरत्व गढ़ता हैकवि अपने को ईश्वर की मदिरा इसलिए कहता है कि ईश्वर की सत्ता का धार भी मनुष्य ही हैऔर सत्ता एक नशा है जिसमें अपने आपको सर्वोपरि मानने का भाव आता हैयही कारण है कि मनुष्य अपने को ईश्वर का जलपात्र और मदिरा कहता है

3. शानदार लबादा किसका गिर जाएगा और क्यों

उत्तरकवि कहता है कि ईश्वर ही मनुष्य का निर्माता माना जाता हैकहा जाता है कि मनुष्य के जीवन की डोर उसी ईश्वर के हाथ में है। उसकी कृपादृष्टि से ही मनुष्य को वह सब हासिल होता है, जो वह चाहता हैइस प्रकार, ईश्वर की शानशौकत मनुष्य पर ही आधारित हैईश्वर का शानदार चोंगा मनुष्य के कारण ही हैऐसी स्थिति में कवि कहता है कि अगर मनुष्य रहेगा तो शान किस पर दिखाया जाएगा? अर्थात् मनुष्य के अभाव में ईश्वर का शानदार लबादा, उसका आभामण्डल, समाप्त हो जाएगा। 


1. कविता में का विवरण स्पष्ट करें। 

उत्तरअक्षर ज्ञान कविता में कवयित्री चने छोटे बच्चे द्वारा प्रारम्भिक अक्षर बोध को सकार रूप में चित्रित करते कहता है कि लिखने में अभ्यासपुस्तिका का चौखट छोटा पड़ जाता हैकर्म पथ भी इसी प्रकार प्रारम्भ में फिसलन भरा होता हैकबूतर में चंचलता हैबालक भी चंचल होता हैइस प्रकार अक्षर व्यापकता पूर्ण है


2. बेटे के आँसू कब आते हैं और क्यों? या सृष्टिविकास की कथा क्या है

उत्तरबेटा अक्षरज्ञान की सीढ़ियाँ चढ़ता हुआ, धीरेधीरे जब , लिखना चाहता है तो परेशानी में पड़ जाता हैकी टेढ़ीमेढ़ी बनावट उससे सधती नहींको माँ और बिन्दु (.) को उसकी गोद में बैठा मान लेने पर भी वह लिखने में सफल नहीं होतावह अनवरत कोशिश करता है किन्तु कामयाब नहीं होता और उसकी आँखों से आँसू निकल आते हैंकिन्तु उसकी असफलता के आँसू उसमें हताशा नहीं, उत्साह पैदा करते हैं और यह उत्साह ही सृष्टिविकास की कथा है


हमारी नींद

1. हमारी नींदकविता किस प्रकार के जीवन का चित्रण करती है

त्तरइस कविता में समाज के सुविधा सम्पन्न खुशहाल लोगों के परोक्ष अत्याचारों का उदाहरण पेश किया गया हैगरीब जनता अंधविश्वासों में डूबी संघर्षमय जीवन जीती रहे निरंतर आगे बढ़ने वाला हठीला जीवनव्यापार चलता रहे और सुखी लोग सुख में डूबे रहें।


2. हमारी नींदकविता में कवि किन अत्याचारियों का और क्यों जिक्र करता है

उत्तरकवि ने अपनी काव्यरचना हमारी नींदमें अनेक अत्याचारियों का उल्लेख किया हैउसकी दृष्टि में वे भी अत्याचारी हैं जो जीवन की, यों ही, अनेक समस्याओं को जन्म देते हैंइनके बाद कवि उन लोगों को अत्याचारी कहता है, जो तरहतरह के उन्माद में दंगे करतेकराते हैंइतना ही नहीं, अपने विरोधी के घरद्वार को आग के हवाले करते हैंफिर कवि कहता है कि सत्ता या साम्राज्यविस्तार के लिए नाना प्रकार के बमों का इस्तेमाल कर लोगों का सर्वनाश करनेवाले भी अत्याचारी ही हैंइनके अलावा कवि उन लोगों को भी अत्याचारियों में शुमार करता है जो अंधविश्वासों को जन्म देते और गरीबों की धार्मिक भावनाओं का शोषण करते हैं


एक वृक्ष की हत्या

1. कविता का समापन करते हुए कवि अपने किनकिन अंदेशों का जिक्र करता है और क्यों?

उत्तरएक वृक्ष की हत्या’ शीर्षक के समापन के समय कवि को अंदेशा हैकवि को अपने घर, शहर और देश की आशंका हैनदियों की चिन्ता है जो नालों में दबल रही हैवायुमंडल की चिन्ता है जो कार्बन उत्सर्जन कर रहे हैंखाद्य पदार्थ जो जहर बन गए हैं की चिन्ता हैअर्थात् पूरे भारत पर लुटेरों का हमला हो गया हैसम्य मानव इतना असम्य हो गया है कि उसका उल्टा असर मनुष्य पर ही पड़ेगा


2. वृक्ष और कवि में क्या संवाद होता है

उत्तरकवि बुद्धिजीवी हैवह जानता है कि बूढ़ा चौकीदार विश्वासी होता हैउसका अनुभव हमेशा हितकर होता हैचौकीदार के रूप में वह वृक्ष भी बुढ़ा है लेकिन उसके बलबूते में कोई कमी नहीं आयी हैवह सजग हैदूर से आते कवि को देखकर ललकारता है कि तुम कौन हो और दोस्तके रूप में मीठे स्वर को सुन झुक जाता हैसंवादशैली की यह कविता मनुष्य और वृक्ष के संबंध का युगयुगान्तका बताता है। 


हिरोशिमा

1. हिरोशिमाकविता से हमें क्या सीमिलती है

उत्तरप्रस्तुत कविता में मानव का रचा हुआ सूरज और कुछ नहीं अणुबम हैयह जानते हुए कि इसके विस्फोट से भयंकर संहार होगा, मनुष्य ने यह कार्य किया, यही त्रासदी हैमानव का बनाया हुआ सूरज ही मानव को वाष्प बनाकर चट कर गया, सोख गयाइस प्रकार विश्व राजनीति में आयुधों की होड़ से जो संकट गहरा रहा है, वह दुखद है


2. छायाएँ दिशाहीन सब ओर क्यों पड़ती हैं? स्पष्ट रें। 

उत्तरइस प्रसंग में कहा गया है कि अणुबम का प्रहार जापान के हिरोशिमा शहर पर किया गया थावह विनाशक था जिसमें से सभी तरफ जलने से रौशनी निकल रही थीमानव के दिशाहीन मानवता का नाश कर स्वयं भी शर्मशार होता हैअतः उसकी छायाएँ भी दिशाहीन ही होती है


3. हिरोशिमा में नुष्य की साक्षी के रूप में क्या है

उत्तरहिरोशिमामें मानवनिर्मित अणुबम के चलते भीषण नरसंहार हुआबहुतसे लोग तो वाष्प बन गएउनका अतापता ही नहीं चलाहाँ, जो लोग नहीं रहे, उत्ताप में स्वाहा हो गए, उनमें से कुछ की छायाएँ झुलसे पत्थरों, दीवारों और सड़कों पर उनकी साक्षी के रूप में या कहिए कि मनुष्य की संहारक प्रवृत्ति की साक्षी के रूप में मौजूद हैं


जनतंत्र का जन्म

1. कविवर दिनकर ने जनता के स्वप्न का किस तरह चित्र खींचा है

उत्तरकविवर दिनकर ने भारतीय जनता की शक्ति और क्रांतिकारी स्वरूप को प्रस्तुत कियावर्षों क्या, सौ वर्षों क्या, हजार वर्षों से गुलामी रूपी काला बादल अंधकार फैलाए हुए था, अब समाप्त हुआआसमान की खिड़कियाँ उसके हंकार से टनेवाली हैक्योंकि स्वतंत्र भारत का जो स्वप्न जनता ने देखा है, वह वर्षों की कालिमा को तारतार कर आजादी का प्रकाश फैला चुका है


2. “देवता मिलेंगे खेतों में खलिहानों मेंपंक्ति के माध्यम से कवि किस देवता की बात करता है क्यों

उत्तरकवि दिनकर के अनुसार जनतंत्र में प्रजा ही, जनता ही, सबकछ होती हैवह राजा होती हैउसी के नाम पर, उसी के हित के लिए. उसके द्वारा अधिकारप्रदत्त लोग शासन करते हैंइस प्रकार, प्रजा ही राजा है. जनतंत्र का देवता हैऔर चूंकि प्रजा किसान और मजदूर है, तः कवि कहता के जनतंत्र के देवता राजप्रासादों, मंदिरों में नहीं मिलेंगेये मिलेंगे खेतों में खलिहानों में, सड़कों पर


1. कवि ने जनता को दूधमुंहीक्यों कहा है

त्तरकवि के अनुसार मध्यवर्ग से आने वाले सुविधाभोगी नेताओं की दृष्टि में जनता मानो कोई दूधमुंहीबच्ची हो। जिसे बहलानेफुसलाने के लिए दोचार खिलौने ही विकास के प्रलोभन के लिए काफी हैं


2. भारतमाता अपने ही घर में प्रवासिनी क्यों बनी हुई है

उत्तप्रवासी वह होता है, जो परदेश में जाकर बसता हैवहाँ उसे बहुतसे अधिकार नहीं होते जो वहाँ के मूल निवासिसों के होते हैंवहाँ उसे मूल निवासियों की भाँति आमतौर से, मानसम्मान भी प्रापत नहीं होतापरतंत्रकाल में यहाँ के लोगों के अधिकार भी छीन गए, विदेशी शासकों के आगे मानसम्मान भी जाता रहापरदेशी अधिक प्रभावशाली बन इस प्रकार, भारतमाता अपने देश में ही प्रवासिनी हो गई


3. भारतमाता का हास भी राहुग्रसित क्यों दिखाई पड़ता है

उत्तरकहते हैं राहु जैसे दुष्ट ग्रह की छाया जब चन्द्रमा पर पड़ती है तो ग्रहण होता है अर्थात् चन्द्रमा की प्रसन्नता, हँसीखुशी, कांति कम हो जाती हैचूँकि भारतमाता पराधीन है, विदेशियों की काली छाया इस पर पड़ रही है, अतएव इसकी हँसी पर भी ग्रहण लगा हैइसी कारण, इसका हास भी राहुग्रसित दिखाई देता है


1. कवि प्रेमघन को भारत में भारतीयता क्यों नहीं दिखाई पड़ती?

उत्तरकवि प्रेमघन जब भारतभूमि पर दृष्टिपात करते हैं तो पाते हैं कि चारों ओर लोग अंग्रेजी वेशभूषा में हैं, रहनसहन, रीतिरिवाज भी लोगों का विदेशियों जैसा हो गया है, घरद्वार भी लोग विदेशीशैली के बनाने लगे हैंलोगों को हिन्दी बोलने में शर्म और अंग्रेजी में संभाषण करने पर गर्व का बोध होता हैलोग हिन्दुस्तानी नाम से घृणा करते हैंइस प्रकार, कवि को भारत में कहीं भारतीयता दिखाई नहीं पड़ती


2. कवि ने डफालीकिसे कहा है और क्यों

उत्तरफालीवह है जो डफअर्थात् ताशा बजाता हैइसकी आवाज बड़ी तेज होती है और इसका लक्ष्य होता है शोर मचाना, लोगों का ध्यान आकर्षित करनाकवि देखता है कि कुछ लोग शासकों की झूठी प्रशंसा करने में दिनरात लगे रहते हैंउनके द्वारा किए जाने वाले गुणगान में रंचमात्र की भी सत्यता नहीं होतीवे छोटीसी बात को बढ़ाचढ़ा कर जोरशोसे लोगों को सुनाते हैंइनका लक्ष्य होता है अपने स्वामी को खुश करना या जिससे कछ पाने की उम्मीद हो, उसे प्रसन्न करनाकवि ऐसे ही झूठे प्रशंसकों को को, डफाली कहता है


3. स्वदेशीशीर्षक विता में कवि समाज के किस वर्ग की आलोचना जोन है और क्यों

उत्तरस्वदेशीकविता में प्रेमघनभातीय समाज के उस वर्ग की आग करते हैं जो दिनरात भारत के तत्कालीन गौरांगप्रभुओं की खुशामद कर उनका गुणगान करने में लगे रहते थे, अपनी भाषा बोलने में, देसी वेश पहनने में अपमान समझते थे और अपने देशवासियों से घृणा करते थेकवि आलोचना का उद्देश्य ऐसे लोगों में राष्ट्रीय भावना उत्पन्न करना था। 


अति सूधो सनेह का मारग है

1. मन लेहु पै देहु छटाँक नहींसे कवि का क्या तात्पर्य है

उत्तरकवि घनानंद ने प्रेममार्ग की विशेषता का उल्लेख करते हुए कहा है कि यह ऐसा मार्ग है जिसमें मन चला जाता है किन्तु कुछ मिलता नहींवस्तुतः मनके यहाँ दो अर्थ हैं, एक अन्तरअर्थात् हृदय और दूसरा माप की इकाई मनके यहाँ दो अर्थ हैं, एक अन्तरअर्थात् हृदय और दूसरा माप की इकाई मनजो अपने जमाने में सर्वाधिक वजनी माना जाता थाइस प्रकार, एक अर्थ यह है कि प्रेममार्ग में सर्वाधिक मनदेना है, किन्तु पाना एक टाँभी नहीं हैदूसरा अर्थ है हृदयदेना है किन्तु प्रतिदान की आशा नहीं रखना हैवस्तुतः कवि के मन लेह पै देहु छटाँक नहींकहने का तात्पर्य यह है कि प्रेमार्ग उत्सर्ग का मार्ग है, इस पर प्रतिदान के आकांक्षी नहीं चलते


2. घनानन्द के अनुसार परहित के लिए देह धारकौन करता है

उत्तरपरहित के लिए (दूसरों की भलाई के लिए) बादल देह धारण करता हैबादल जल का भंडार होता है और वह बनता ही बरसने के लिएबरसने के बाद उसका अस्तित्व भी समाप्त हो जाता हैबादल सूखी धरती पर बरसकर उसे हराभरा बना देता हैग्रीष्म से तप्त धरती को सुकून देने के लिए बादल अपने अस्तित्व को समाप्त कर लेता है। 


राम बिनु बिरथे

1. गुरुनानक की दृष्टि में ब्रह्म का निवास कहाँ है

उत्तरजो सांसारिकता का परित्याग कर इस आलजाल से निकल सकेऔर जिसको काम, क्रोध, मद, मोह छु सकेउसी के हृदय में ब्रह्म का निवास संभव है


2. कवि किसके बिना जगत् में यह जन्म व्यर्थ मानता है

उत्तरकवि राम नाम के बिना जगत में यह जन्म व्यर्थ मानता है। 


शिक्षा और संस्कृति

1. शिक्षा का ध्येय गाँधीजी क्या मानते थे और क्योंअथवा, गाँधी जी के अनुसार शिक्षा का जरूरी अंग क्या होना चाहिए

उत्तरगाँधीजी शिक्षा का मूल ध्येय चरित्रनिर्माण मानते थेउनका ख्याल था कि किताबी ज्ञान तो चरित्रनिर्माण का एक साधन हैअसल बात है मनुष्य में साहस, बल, सदाचार और किसी बड़े लक्ष्य के लिए आत्मोसर्ग करने का ज्ञान। इनके अभाव में सम्यक चरित्र का निर्माण नहीं होतागाँधीजी चरित्रनिर्माण पर इसलिए जोर देते थे कि स्वराज्य होने पर ऐसे चरित्रवान लोग समाज का काम संभालेंगे और देश की समुन्नति होगी


नौबतखाने में इबादत 

1. डुमराँकी महत्ता किस कारण से है

उत्तरडुमराँव की महत्ता दो कारणों से हैपहली तो यह कि इसके आसपास की नदियों के कछारों में रीडनरकटनामक एक प्रकार की घास पाई जाती है जिसका प्रयोग शहनाई बजाने में किया जाता हैदूसरा कारण यह है कि शहनाई के शाहंशाह विस्मिल्ला खाँ का यह पैतक निवास हैइनके परदादा उस्तासलार हुसन यही के थे और इनके खानदान के लोग शहनाई बजाते थे


2. बिस्मिल्ला खाँ मतलबबिस्मिल्ला खाँ की शहनाईएक कलाकार के रूप में बिस्मिल्ला खाँ का परिचय पाठ के आधार पर दें। 

उत्तरबिस्मिल्ला खाँ जब हाथ में शहनाई लेकर उसे फूंकते थे तो शहनाई की आवाज सबके सिर चढ़कर बोलने लगती थीउनकी शहनाई में सरगम भरा थाउन्हें ताल मालूम था, राग मालूम थासातों सुर आकार लेने लगते थेसंगीत का सहाना सफर शुरू हो जाता थाउन्हें सरकार ने भारतरत्नसे सम्मानित किया, फिर भी वे अत्यन्त विनम्र रहे, शहनाई के शाहंशाह थे लेकिन कभी किसी कलाकार की आलोचना नहीं कीजिनसे भी सीखा उनके प्रति आदरभाव रखाइस प्रकार, वे एक सच्चे कलाकार थे। 


मछली

1. संतू मछली लेकर क्यों भागा?

उत्तरसंत मछली लेकर भागा क्योंकि वह नहीं चाहता था मछलियाँ काटी जाएँभग्गू उन्हें पटकपटक कर मार देता और फिर काटतासंतू इसलिए एक मछली गमछे में लपेटकर भाग गयासंतू मछली को बचाना चाहता था


2. मछली और दीदी में क्या समानता दिखलाई पड़ी? स्पष्ट करें। 

उत्तरमछली और दीदी में बहुत सारी समानताएँ हैंमछली जल में रहती है, दीदी घर मेंमछली झोले में तड़पती है, दीदी घर में छटपटाती हैमछली पानी से निकलने पर पिटती है और दीदी घर में पिता से पिटती हैमछली अपनी व्यथा व्यक्त कर पाती है और दीदी


3. मछली को छूते हुए संतु क्यों हिचक रहा था?

उत्तरसंतु भी अबोहैउसे नहीं मालम कि मछलियाँ काटती नहीं हैंसलिए मछलियों को छूने से हिचक रहा हैबड़े भाई के समझाने पर वह एकबार छूता है, लेकिन झट से अपनी ऊँगली हटा लेता हैउसके मन का डर अभी भी बना हुआ है


आविन्यों

1. अशोक वाजपेयी की नदी तट पर बैठे क्या अनुभव होता है?

उत्तदक्षिण फ्रांस की रोन नदी के किनारे बैठे हुए लेखक को ऐसा लगता है कि वह भी नदी के साथ उसके प्रवाह से मिल बह रह रहा हैशीतल और स्वच्छ जल में कवि भी स्वयं को उसी की तरह समझने लगता है


जितजित मैं निरखत हैं

1. बिरजू हाराज अपना सबसे बड़ा जज अपनी माँ को क्यों मानते थे

उत्तरबिरजू महाराज अपना सबसे बड़ा जज अपनी अम्माँ को इसलिए मानते थे क्योंकि उनकी म्माँ पनी कुल रंपरा से आती हुई कथक नर्तकों की महान विरासत अपनी स्मृतियों में सहेजकर रखती थीं और बच्चे के पिता के निधन के बाद उसकी देखभाके अलावा रियाज पर नजर रखती थींगड़बड़ी होने पर बाबूजी की तस्वीर दिखाकर हौसला बढ़ाती थीं


2. बिरजू महाराज कौनकौसे वाद्य बजाते हैं

उत्तरबिरजू महाराज महान नर्तक थेउनके कार्यक्रम देश के भिन्नभिन्न कोने में हुए, विदेशों में नाम कमायालेकिन नर्तन के अलावा, वाद्यवादन का भी काफी शौथावे सितार, तबला, हारमोनियम, गिटार, सरोद, बाँसुरी आदि बजाया करते थे


3. बिरजू महाराज के गुरु कौन थे? उनका संक्षिप्त परिचय दें। 

उत्तरबिरजू महाराज के गुरु उनके पिताजी थेवे खुद अपने जमाने के प्रसिद्ध नर्तक थेनृत्य के प्रति पूर्णतः समर्पितअनेक राजाओंवाबों के दरबार में रहे लेकिन नौकरी उन्हें नहीं भाती थीआजाद तबीयत के आदमी थेएकदम फक्कड़। 

किसी को तकलीफ में देख पसीज जाते और दूसरों से कर्ज लेकर उसकी मदद करते थेइसलिए उनकी आर्थिक स्थिति ठीनहीं थीवे अपनी पीड़ा किसी को बताते नहीं थे54 वर्ष की आयु में चल बसे


4. बिरजू महाराज का अपने शागिर्दो के बारे में क्या राय है

उत्तरअपने शागिर्दो के बारे में बिरजू महाराज की राय है कि विदेशी शिष्यों में वैरानिक उन्नति कर रही हैतीरथ प्रताप और प्रदीप ने अच्छा काम किया हैं, शाश्वती तरक्की की राह पर है और दुर्गा भीकृष्ण मोहन और राममोहन उतना ध्यान नहीं दे रहे हैं, जितना देना चाहिएबेटे भी ध्यान नहीं दे रहे हैंइन लोगों में पेक्षित उत्सा, त्याग, समर्पण की भावना नहीं हैये नाच को इन्ज्वायमेंट समझते हैं, साधना नहीं। 


परंपरा का मूल्यांकन

1. परम्परा ज्ञान किनके लिए आवश्यक है और क्यों

उत्तरजो लोग साहित्य में युगपरिवर्तन चाहते हैं, जो लकीर के फकीर नहीं हैं और जो रूढ़ियाँ तोड़कर क्रांतिकारी साहित्य की रचना करना चाहते हैं, उनके लिए साहित्य की परम्परा का ज्ञान जरूरी हैऐसा इसलिए कि साहित्य की परम्परा के ज्ञान से ही प्रगतिवादी दृष्टिकोण विकसित होता है और परिवर्तनमूलक साहित्य का जन्म होता है


2. साहित्य का कौनसा पक्ष अपेक्षाकृत स्थायी होता है? इस संबंध में लेखक की रास्पष्ट करें। 

उत्तरसाहित्य का संबंध मनुष्य से हैकिन्तु मनुष्य आर्थिक जीवन के अतिरिक्त भी प्राणी के रूप में अपना जीवन जीता हैबहुतसी दिभावनाएँ साहित्य में प्रतिफलित होती और इस प्रकार इसे मनुष्य से जोड़ती हैंवस्तुतः साहित्य मात्र विचारधारा नहीं हैइसमे मनुष्य का इन्द्रियबोध, उसकी भावनाएँ भी व्यंजिहोती हैंसाहित्य का यही पक्ष अपेक्षाकृत स्थायी होता है


3. साहित्य के निर्माण में प्रतिभा की भूमिका को स्वीकाकरते हुए लेखक किन खतरों से गाह करता है

त्तरयह निर्विवाद है कि विशेष सामाजिक परिस्थितियों में कला या साहित्य का विकास होता है किन्तु समान सामाजिक परिस्थितियाँ होने पर भी कला का विकास हो, यह जरूरी नहीं हैयहाँ असाधारण प्रतिभाशाली लोगों की भूमिका होती हैवे ही मानवमन की अतल गहराइयों में डूबकर साहित्य के मोती निकालते हैंशेष लकीर के फकीर होते हैंकिन्तु इन विशिष्ट लोगों की कृतियाँ भी पूर्णत: दोषरहित नहीं होतीइसलिकुछ नया करने की गुंजाइश रहती हैलेकिन व्यक्तिपूजा से सावधान रहना चाहिए, तभी साहित्य स्थायी महत्व का होगा


4. लेखक के अनुसार सफलता और चरितार्थता क्या है

उत्तरलेखक के अनुसार सफलता और चरितार्थता में अंतर हैमनुष्य मारणास्त्रों के संचयन से, उपकरणों के बाहुल्य से उस वस्तु को पा सकता है जिसे उसने बड़े आडम्बर के साथ सफलता नाम दे रखा हैपरंतु मनुष्य की चरितार्थता प्रेम में है, मैत्री में है, त्याग में है, अपने को सबके मंगल के लिनि:शेष भाव से दे देने में है। 


बहादुर

1. अपने शब्दों में पहली बार दिखे बहादर का वर्णन करें। 

उत्तरबहादुर ठिगने कद का चकइट लड़का थारंग गोरा था और चिपटा मुँहवह अपनी आँखें बुरी तरह मटका रहा थाउसने सफेद निकर, आधी बाँह की सफेद कमीज और भूरे रंग का पुराना जूता पहना हुआ थाउसके गले में स्काउटों जैसा एक रूमाल बाँधा थापहली बार में वह ऐसा ही दिखा था


2. बहादुर के चले जाने पर सबको पछतावा क्यों होता है

उत्तरबहादुर की तरह कर्मठ, ईमानदार नौकर खोजने पर भी मिलने के कारण और झूठमूठ उस पर चोरी का इल्जाम लगाने के ते घर के सब व्यक्ति को पछतावा होता है 


नागरी लिपि

1. देवनागरी में कौनसी भाषाएँ लिखी जाती हैं

उत्तरदेवनागरी में संस्कृत, प्राकृत, खड़ी बोली की भाषाएँ लिखी जाती हैंइनके अलावा हिन्दी की विविबोलियाँ तथा नेपाली और नेवारी भाषा देवनागरी में लिखी जाती है


2. देवनागरी लिपि के अक्षरों में स्थिरता कैसे आई

उत्तरलगभग दो सौ वर्ष पहले छापाखाने के लिए देवनागरी लिपि बनी तब से अनेक पुस्तकें छपनी शुरू हो गयीकेन्द्रीय हिन्दी निदेशालय विभिन्न साहित्यिक और विद्वानों ने इस लिपि में सुधार कर प्रेथा कंप्यूटर के लायक बनायाइससे इसमें स्थिरता गई


3. लेखक ने पटना से नागरी का क्या संबंध बताया है?

 उत्तरपादताडितकमनामक नाटक से जानकारी मिलती है कि पाटलिपुत्र (पटना) को नगर कहते थेतः नागरया नागरीशब्द उत्तर भारत के किसी बड़े गर से संबंध रखता हैलेखक ने कहा है कि हो सकता है यह बड़ा नगर प्राचीन पटना ही हो


नाखन क्यों बढते हैं

1. बढ़ते नाखूनों द्वारा प्रकृति मनुष्य को क्या याद दिलाती है

उत्तरनाखूनों का बढ़ना पाश्विक प्रवृत्ति मनुष्य की सहजवृत्ति हैयह मनुष्य को हमेशा याद दिलाती है कि तुम असभ्य युग से सभ्य यग में गए, लेकिन तुम्हारी सोच मेरी तरह है जो लाख मन से हटाओ पनप ही जाती हैमनुष्य के ईर्ष्या, जड़ता, हिंसक प्रवृत्ति क्रोध आदि कभी खत्म होने वाला नहीं हैतभी तो शस्त्रों की होड़ लगी हुई हैनाखून बढ़ते हुए यह याद दिलाती है


2. लेखक द्वारा नाखूनों को अस्त्र के रूप में देखना कहाँ तक संगत है

उत्तरअस्त्र हाथ में रखकर वार किया जाता है और शस्त्र फेंककरलाखों वर्ष पहले मनुष्य जंगली था, वनमानुष जैसा नाखून द्वारा ही वह जंगली जानवरों आदि से अपनी रक्षा करता थादाँत भी थे लेकिन उनका स्थान नाखूनों के बाद थाचूँकि नाखून हमारे शरीर का अंग है, इसलिए लेखक द्वारा नाखूनों को अस्त्र के रूप में देखना सर्वथा उचित है


3. लेखक क्यों पूछता है कि मनुष्य किस ओर बढ़ रहा है? पशुता की ओर या मनुष्यता की ओर? स्पष्ट करें। 

उत्तरलेखक देखता है कि मनुष्य एक ओर अपने बर्बरकाल के चिह्न नष्ट करना चाहता है और दूसरी ओर प्रतिदिन घातक शस्त्रों की वृद्धि करता है तो चकित रह जाता है और उसके मन में सवाल उठता है कि आज मनुष्य किस ओर जा रहा हैपशुता की ओर या मनुष्यता की ओर? स्तुतः लेखक मनुष्य को मनुष्यता की ओर ले जाना चाहता हैवह चाहता है कि मनुष्य में मानवोचित संयम, सदाशयता और स्वाधीनता के भाव जगें, वह शस्त्रों की होड़ में पड़े। 


4. स्वाधीनताशब्द की सार्थकता लेखक क्या बताता है

उत्तरआचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के विचार से स्वाधीनताशब्द अत्यन्त व्यापक और अर्थपूर्ण हैइसमें अपनेआप ही अपनेआपको नियंत्रित करने का भाव है, कोई बाह्य दबाव नहीं हैइस शब्द में हमारे देश की परंपरा और संस्कृति परिलक्षित होती है जिसका मूल तत्व है संयम और दूसरे के सुखदुख के प्रति समवेदना, त्याग और श्रेष्ठ के प्रति श्रद्धायही कारण कि द्विवेदी जी ने अनधीनताकी अपेक्षा स्वाधीनताशब्द को इण्डिपेण्डेंसका सार्थक पर्याय माना है


5. मनुष्य बारबार नाखूनों को क्यों काटता है

उत्तरमनुष्य नहीं चाहता कि बर्बर युग की कोई निशानी उसमें शेष रहेइसलिए, बारबार नाखूनों को काटता है। 


भारत से हम क्या सीखें

1. मैक्समूलर की दृष्टि में सच्चे भारत के दर्शन कहाँ हो सकते हैं और क्यों

उत्तरमैक्समूलर की दृष्टि में सच्चे भारत के दर्शन मुम्बई, कोलकाता, चेन्नई जैसे शहरों में नहीं, भारत के गाँवों में हो सकते हैं क्योंकि इसकी सर्वाधिक आबादी गाँवों में बसती हैवहीं हार्दिक संपन्नता और आर्थिक विपन्नता हैधर्म और इतिहास के अवशेष वहीं सुरक्षित हैं


2. धर्म की दृष्टि से भारका क्या महत्व है? भारत से हम क्या सीखेंपाठ के आधार पर तायें। 

उत्तरधर्म की दृष्टि से भारत अत्यन्त महत्वपूर्ण हैइसलिए कि धर्म के उद्भव और उसके नष्ट होनेवाले रूप का यहाँ प्रत्यक्ष ज्ञान यहाँ होता हैयह वैदिक धर्म, बौद्ध धर्म तथा जैन धर्म की जन्मभूमि है तो इस्लाम और ईसाई धर्म की शरणस्थली भी हैयहाँ विभिन्न धर्मावलम्बी सदियों से हिलमिल कर रहते हैंमतमतान्तर यहाँ प्रकट और विकसित होते हैं

विष के दाँत

1. काशू और मदन के बीच झगड़े का क्या कारण था? प्रसंद्वारा लेखक क्या दिखलाना चाहता है

उत्तरकाशू और मदन के बीच झगड़े का कारण काशू की टू खेलने की ललक और मदन द्वारा उसे खेलाने से इनकार करना थालेखक इसके द्वारा बच्चों की ईर्ष्या और इनकार दिखाना चाहता है


श्रम विभाजन और जाति प्रथा

1. लेखक के अनुसार आदर्श समाज में किस प्रकार की गतिशीलता होनी चाहिए

उत्तरकिसी भी आदर्श समाज में इतनी गतिशीलता होनी चाहिए जिससे कोभी वांछित परिवर्तन समाज के एक छोर से दूसरे छोर तक संचारित हो सकेऐसे समाज के बहुविध हितों में सबका भागी होना चाहिए तथा सबको उनकी रक्षा के प्रति सजग रहना चाहिए


HISTORY (इतिहास)
1 यूरोप में राष्ट्रवाद : उदय और विकास 
2 समाजवाद , साम्यवाद और रूस की क्रांति 
3 इंडो – चाइना में उपनिवेशवाद और राष्ट्रवाद 
4 भात में राष्ट्रवाद 
5 अर्थव्यवस्था और आजीविका : औधोगिकीकरण का युग 
6 शहरीकरण एवं शहरी जीवन 
आपदा प्रबंधन 
1 प्राकृतिक आपदा : एक परिचय
2 बाढ़ और सुखाड़
3 भूकंप एवं सुनामी 

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