Class 10th Exam Hindi Subjective Question “विष के दाँत’ Guess
Class 10th HINDI Short Type Question || कक्षा 10 हिंदी का महत्वपूर्ण ‘लघु उत्तरीय’ प्रशन और उत्तर
“विष के दाँत’
1. काशू और मदन के बीच झगड़े का क्या कारण था? इस प्रसंग द्वारा लेखक क्या दिखलाना चाहता है?
उत्तर- काशू और मदन के बीच झगड़े का कारण काशू की लटू खेलने की ललक और मदन द्वारा उसे खेलाने से इनकार करना था। लेखक इसके द्वारा बच्चों की ईर्ष्या और इनकार दिखाना चाहता है।
2. ‘विष के दाँत‘ कहानी में सामाजिक समानता और मानवाधिकार की बानगी है। कैसे? स्पष्ट कीजिए। या, ‘विष के दाँत‘ कहानी का सारांश लिखें।
उत्तर– सेन साहब को अपनी कार पर बड़ा नाज था। घर में कोई ऐसा न था जो गाड़ी तक बिना इजाजत फटके। पाँचों लड़कियाँ माता–पिता का कहना अक्षरशः पालन करतीं। किन्तु बुढ़ापे में उत्पन्न खोखा पर घर का कोई नियम लागू न होता था। अतः गाडी को खतरा था तो इसी खोखा अर्थात् काशू से।
सेन साहब अपने लाड़ले को इंजीनियर बनाना चाहते थे। वे बड़ी शान से मित्रों से अपने बेटे की काबलियत की चर्चा करते थे। एक दिन मित्रों की गप्प–गोष्ठी और काशू के गुण–गान से उठे ही थे कि बाहर गुल–गपाड़ा सुना। निकले तो देखा कि गिरधारी की पत्नी से शोफर उलझ रहा है और उसका बेटा मदन शोफर पर झपट रहा है। शोफर ने कहा कि मदन गाड़ी छू रहा था और मना करने पर उधम मचा रहा है। सेन साहब ने मदन की माँ को चेतावनी दी और अपने किरानी गिरधर को बुलाकर डाँटा अपने बेटे को संभालो। घर आकर गिरधारी ने मदन को खूब पीटा। दूसरे दिन बगल वाली गली में मदन दोस्तों के साथ लटट के काश भी खेलने को मचल गया। किन्तु मदन ने लट्टू देने से इनकार काशू की आदत तो बिगड़ी थी। बस, आदतवश हाथ चला दिया। मदन भी पड़ा और मार–मार कर काशू के दाँत तोड़ दिए।
देर रात मदन घर आया तो सुना कि सेन साहब ने उसके पिता को जोर से हटा दिया है और आउट हाउस से भी जाने का हुक्म दिया है। मदन के से लोटा लुढ़क गया। आवाज सुनकर उसके माता–पिता निकल आए। मदन मा खाने को तैयार हो गया। गिरधारी उसकी ओर तेजी से बढ़ा किन्तु सहसा उसका चेहरा बदल गया। उसने मदन को गोद में उठा लिया–‘शाबास बेटा एक मैं हूँ........और एक तू है जो खोखा के दो–दो दाँत तोड डाले।‘ इस प्रकार हम देखते हैं कि कहानीकार ने ‘विष के दाँत‘ में उच्च वर्ग के सेन साहब की महत्वाकांक्षा, सफेदपोशी के भीतर लड़के–लड़कियों में विभेद भावना, नौकरी–पेशा वाले गिरधारी की हीन–भावना और उसके बीच अन्याय का प्रतिकार करनेवाली बहादुरी और साहस के प्रति प्यार और श्रद्धा को प्रस्तुत करते हुए प्यार–दुलार के कुपरिणामों को बखूबी दर्शाया है।
3. काशू और मदन के बीच झगड़ों का कारण क्या था? इस प्रसंग के द्वारा लेखक क्या दिखाना चाहता है?
उत्तर– मदन सेन साहब के मुलाजिम गिरधारी का बेटा था। बाल–सुलभ स्वभाव से उसने सेन साहब की नयी गाड़ी छूकर उसकी चमक आदि जानने की कोशिश की तो ड्राइवर ने उसे धक्का दे दिया। उसके घुटने छिल गये। गुस्से में जब मदन उसकी ओर झपटा तो सेन साहब आए और ड्राइवर ने उनसे मदन की शिकायत कर दी। सेन साहब क्रुद्ध हो गए। उन्होंने मदन की माँ को जाने को कहा और गिरधारी को भी चेतावनी दी। मदन के पिता और ड्राइवर दोनों ही निम्न वर्ग अर्थात् झोपड़ी वाले थे लेकिन एक ने दूसरे के खिलाफ झूठी बात कहकर झोपड़ी वाले को पराजित किया और महलवाले सेन साहब की जीत हुई। यह तो एक उदाहरण है। समाज में अक्सर ऐसा होता है और यही निम्न या निम्न मध्य वर्ग की त्रासदी है।
4. ‘विष के दाँत‘ कहानी का नायक कौन है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर– नायक वह होता है जिसके इर्द–गिर्द कहानी चक्कर काटती है और जिसके किसी कृत्य से कहानी का समापन होता है। इस दृष्टि से देखें तो सेन साहब की चर्चा यद्यपि ‘विष के दाँत‘ कहानी में अधिक है तथापि नायक उनकी फैक्ट्री के किरानी गिरधारी का बेटा मदन ही है। कहानी घूम फिर कर मदन द्वारा सेन साहब की गाड़ी छूने के आरोप पर आती है, जिसके कारण ड्राइवर इसे धक्के देकर गिरा देता है, जिसके प्रतिकार स्वरूप मदन उसपर झपटता है। वह सेन साहब से भी भयभीत नहीं होता, उनकी उपस्थित में भी ड्राइवर को मारने के लिए लपकता है। इस घटना के पश्चात् उसकी पिटाई होती है किन्तु वह मूल बात को नहीं भूलता। जब खोखा लटू खेलने आता है और लटू की माँग करता है तो मदन उससे बराबरी का व्यवहार करता हुआ अपना लटू लाने को कहता है और क्रद्ध खोखा जब उस पर हाथ चला देता है तो बिना हिचक और निडरता से उस पर टूट पड़ता है और उसके दो–दो दाँत तोड़ देता है। वह अन्याय सहन नहीं करता। नायक की पहचान है निर्भीकता और साहसिकता। ये दोनों ही गुण मदन में मौजद हैं। अत: ‘विष के दाँत‘ का नायक मदन ही है।
5. खोखा (काशू) का चरित्र–चित्रण करें। खोखा किन मामलों में अपवाद था?
उत्तर– काशू धनी–संपन्न सेन साहब के नाउम्मीद बुढ़ापे की आँखों का तारा है। माँ–बाप के अतिशय लाड़–प्यार ने उसे जिद्दी बना दिया है। वह घर के किसी भी कायदे–कानून के मामले में अपवाद है। नौकरों और बड़ी बहनों पर हाथ छोड़ने में देर नहीं करता। तोड़–फोड़ करना, घर आए मेहमानों की गाड़ियों के चक्के की हवा निकालने में उसे हिचक या परेशानी नहीं होती। वह सभी को अपने से हीन समझता है। यही कारण है कि मदन के हाथों पिट जाता है।
काशू, माँ–बाप के अतिशय लाड़–प्यार से बिगड़ा, बदमिजाज, खुराफाती लड़का है।
6. ‘विष के दाँत‘ शीर्षक कहानी की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर– शास्त्रीय विधान के अनुसार किसी रचना के शीर्षक की उपयुक्तता की तीन कसौटियाँ हैं–कथावस्तु की प्रतीकता, आकर्षकता और संक्षिप्तता। ‘विष के दाँत‘ कहानी में सारी कथा सेन–दम्पति के अहं के इर्द–गिर्द घूमती है। सब कुछ उनके ही परिवार को लेकर घटित होता है। अतः शीर्षक में ‘अहं‘ के विष–तत्व मौजूद हैं। ‘विष के दाँत‘ अत्यन्त आकर्षक है क्योंकि यह बात खिंचती है कि ये ‘विष के दाँत‘ हैं क्या? जहाँ तक संक्षिप्तता का प्रश्न है, यह अत्यन्त संक्षिप्त तो नहीं है किन्तु फिर भी संक्षिप्त है। लेखक ‘विष के दाँत‘ के बदले शीर्षक ‘विषदंत‘ भी रख सकता था किन्तु संस्कतनिष्ठता से बचने के लिए उसने ऐसा किया है। अतएव, हम कह सकते हैं कि ‘विष के दाँत‘ उपयुक्त शीर्षक है।
7. लड़कियाँ क्या हैं, कठपुतलियाँ हैं और उनके माता–पिता को इस बात का पर गर्व है–सप्रसंग व्याख्या करें।
उत्तर– प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य–पुस्तक ‘गोधूलि‘ भाग–2, के ‘विष के दाँत‘ शीर्षक कहानी से उद्धृत हैं जिसमें कहानीकार नलिन विलोचन शर्मा ने सेन साहब की लड़कियों दशा का वर्णन किया है।
कहानीकार कहता है कि सेन साहब की लड़कियाँ लड़कियाँ नहीं, कठपुतलियाँ हैं। कठपुतलियाँ को उनका मालिक मन–माफिक नचाता है और सेन साहब की लड़कियाँ अपने माता–पिता की मर्जी पर चलती हैं, उनकी अपनी कोई सत्ता या अस्तित्व नहीं है, अपनी इच्छा नहीं है। तुर्रा तो यह कि उनकी इस अवस्था पर माता–पिता को गर्व है कि उनकी पुत्रियाँ उनकी हर बात मानती हैं।
यहाँ कहानीकार ने नैसर्गिक प्रवृत्ति के विपरीत अपनी इच्छा अपनी संतान पर थोपने पर सरलता से व्यंग्य किया है।
लेखक ने इस पंक्ति में माँ–बाप की उस प्रवृत्ति का उल्लेख किया है, जिससे बच्चे बिगड़ जाते हैं।
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