12th Physics

Class 12th Physics Most VVI Guess Question for 2020 Board Exam | Physics 2020 Exam Question Short Type Question With Answer


1. वैद्युत द्विध्रुव आघूर्ण को परिभाषित कीजिए तथा इसका S.I. मात्रक लिखिए।

2. स्थिर वैद्युत परिरक्षण क्या है? इसका उपयोग लिखें। 

3. संघारित्र की धारिता को प्रभावित करने वाले दो कारक को लिखें। 

4. पेल्टियर प्रभाव क्या है? 

5. समझाइए कि किरचॉफ का द्वितीय नियम ऊर्जा संरक्षण का नियम है। 

6. शन्ट के दो उपयोग लिखिए। 

7. एक 12 Ω  प्रतिरोध वाले तार को खींचकर उसकी लंबाई दुगुनी कर दी जाती है तार का नया प्रतिरोध निकालें

8. ऐम्पियर के परिपथीय नियम को समझाएँ। 

9. विद्युत् चुम्बक तथा स्थायी चुम्बक के बीच दो अन्तर लिखिए।

10. शंट क्या है? इसका उपयोग समझाएँ। 

11. नर्म लोहे तथा इस्पात के चुंबकीय गुणों में दो अंतर बतावें। 

12. चुम्बकीय फ्लक्स की विमा एवं S मात्रक बताइए।

13. लेंज का नियम ऊर्जा संरक्षण का सिद्धान्त है। समझाएँ।


ANSWER

1. वैद्युत द्विध्रुव आघूर्ण को परिभाषित कीजिए तथा इसका S.I. मात्रक लिखिए।

Ans. वैद्युत द्विध्रुव आघूर्ण इसकी रचना करने वाले किसी एक आवेश तथा उनके बीच की दूरी के गुणनफल के बराबर होता है। 

अर्थात्  p = q x 2l

यह एक सदिश राशि है जिसकी दिशा ऋणावेश से धनावेश की ओर होती है।

इसका S.I. मात्रक कूलॉम मीटर है।


 2. स्थिर वैद्युत परिरक्षण क्या है? इसका उपयोग लिखें। 

Ans. स्थिर विद्युत परीक्षण ⇒ स्थिर वैद्युत परिरक्षण वह प्रक्रिया है जिसमें किसी आंतरिक charge क्षेत्र को बाहरी विद्युत क्षेत्र से बचाया जाता है। इसे Faraday पिंजरा भी कहते हैं। इस प्रक्रिया में फैराडे पिंजरा किसी बाहरी विद्युत क्षेत्र को कार्यान्वित होने से रोक देता है, जिसके आंतरिक क्षेत्र के contents पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। 

उपयोग :- 

1. इस प्रक्रिया का उपयोग विद्युत उपकरणों में किया जाता है। 

2. धातु के ट्यूब बनाने में उपयोग किया जाता है। 


3. संघारित्र की धारिता को प्रभावित करने वाले दो कारक को लिखें। 

Ans. : संधारित्र की धारिता को प्रभावित करने वाले दो कारक इस प्रकार है-

(i) Plate का क्षेत्र

(ii) Plates के बीच की दूरी


4. पेल्टियर प्रभाव क्या है? 

Ans. पेल्टियर प्रभाव (Peltier Effect) → सन् 1834 में वैज्ञानिक पेल्टियर ने खोजा कि जब वैद्युत् धारा दो भिन्न-भिन्न धातुओं की सन्धि से होकर गुजरती है तो सन्धि के स्थान पर ऊष्मा उत्पन्न होती है अथवा अवशोषित होती है। विद्युत् धारा का यह ऊष्मीय प्रभाव पेल्टियर प्रभाव कहलाता है। 


5. समझाइए कि किरचॉफ का द्वितीय नियम ऊर्जा संरक्षण का नियम है। 

Ans. किरचॉफ के द्वितीय नियमानुसार, 

∑IR = ∑E

दोनों पक्षों में It का गुणा करने पर,

 ∑IR × It = ∑E × It

⇒ ∑I2Rt = ∑EIt

∑I2Rt = बन्द विद्युत् परिपथ के विभिन्न प्रतिरोधों में t समय में व्यय ऊर्जा का योग अर्थात् कुल व्यय ऊर्जा 

∑EIt = बन्द विद्युत् परिपथ में उपस्थित विभिन्न विद्युत् वाहक बल स्रोतों से t समय में प्राप्त ऊर्जाओं का योग अर्थात कल प्राप्त ऊर्जा। 

अतः बन्द परिपथ में उपस्थित विभिन्न सेलों से किसी नियत समय में प्रापत कुल ऊर्जा उसमें उपस्थित विभिन्न प्रतिरोधों में व्यय कल ऊर्जा के  बराबर है। 

यह ऊर्जा संरक्षण के अनुकूल है। 

अतः किरचॉफ का द्वितीय नियम ऊर्जा संरक्षण का नियम ही है। 


6. शन्ट के दो उपयोग लिखिए। 

Ans. (i) यह धारामापी की कुण्डली को जलने से बचाता है तथा साथ ही अधिकांश धारा शन्ट में से प्रवाहित होने से अधिक विक्षेप उत्पन्न न होने से संकेतक को टूटने से बचाता है। 

(ii) भिन्न-भिन्न प्रतिरोधों के शन्ट प्रयोग करके धारामापी से परिवर्तित  अमीटर की परास को बदला जा सकता है।

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7. एक 12 Ω  प्रतिरोध वाले तार को खींचकर उसकी लंबाई दुगुनी कर दी जाती है तार का नया प्रतिरोध निकालें।

Ans. :-  लम्बाई के दुगुने होने से प्रतिरोध भी दुगुना हो जाएगा। 

अतः नया प्रतिरोध = 12 x 2 = 24Ω


8. ऐम्पियर के परिपथीय नियम को समझाएँ। 

Ans. :-  Ampere circuital नियम → इस नियम का प्रतिपादन सन् 1826 में मैरी एम्पीयर ने किया था। इस नियम में किसी बंद लूप पर समाकलित चुम्बकीय क्षेत्र एवं उस लूप से होकर प्रवाहित हो रही कुल धारा के बीच गणितीय संबंध स्थापित किया गया। जेम्स क्लार्क मैक्सवेल ने इसे विद्युत गतिकीय सिद्धांत से सिद्ध किया। यह नियम विद्युत चुम्बकीय से संबंधित एक महत्वपूर्ण नियम है। 


9. विद्युत् चुम्बक तथा स्थायी चुम्बक के बीच दो अन्तर लिखिए। 

Ans. विद्युत् चुम्बक तथा स्थायी चुम्बक में अन्तर

विद्युत् चुम्बक स्थायी चुम्बक
1 इन चुम्बकों का बार-बार चुम्बकन तथा विचुम्बकन दोनों होते हैं। इन चुम्बकों का बार-बार चुम्बकन तथा विचुम्बकन नहीं किया जाता 
2 इनको बनाने के लिए ऐसे पदार्थ प्रयक्त किये जाते हैं जिनकी चुम्बकीय प्रवत्ति अधिक तथा धारणशीलता कम हो; जैसे – नर्म लोहा इनको बनाने के लिए ऐसे पदार्थ प्रयुक्त किये जाते हैं जिनकी धारणशीलता तथा निग्राहिता उच्च हो जैसे–फौलाद, अनेक मिश्र धातु

10. शंट क्या है? इसका उपयोग समझाएँ। 

Ans. : शंट एक उपकरण है जो विद्युत प्रतिरोध को कम प्रतिरोध पथ बनाकर सर्किट में किसी अन्य बिंदु को पार करने की अनुमति देता है। 

उपयोग-

★ किसी गैल्वेनोमीटर की क्वायल के समान्तर शंट लगाकर उसे आमीटर में बदला जाता है।

★ यदि किसी आमीटर का परास (रेंज) बढ़ाना हो तो उसके क्वायल के समान्तर उचित प्रतिरोध वाला एक शंट जोड़ा जाता है। 

★ परिपथ की किसी शाखा में बहने वाली धारा मापने के लिए उस शाखा के श्रेणीक्रम (सीरीज) में एक कम प्रतिरोध वाला शंट जोड़ा जाता है। धारा बहने से इस प्रतिरोध के दोनों सिरों के बीच उत्पन्न विभवान्तर इस शाखा में बहने वाली विद्युत धारा के समानुपाती होता है।


11. नर्म लोहे तथा इस्पात के चुंबकीय गुणों में दो अंतर बतावें। 

Ans. 

नर्म लोहे इस्पात
1 यह आसानी से तथा जल्दी magnetise हो जाता है। यह देर से magnetise होता है।
2 यह अपना चुंबकत्व का गुण, प्रेरित चुंबक के हटाने पर तुरंत खो देता है।  यह चुंबकत्व के गुण को थोड़े देर तक बनाए रखता है। 

12. चुम्बकीय फ्लक्स की विमा एवं S मात्रक बताइए।

Ans. चुम्बकीय फ्लक्स का विमा सूत्र (Dimensional Formula of Magnetic Flux) 

चुम्बकीय फ्लक्स Φ = BA cosθ (जहाँ cosθ विमाहीन राशि है।)

⇒ [Φ] = [B] [A] 

= [MT2 A-1] [L2] = [ML2T2A-1]

♦ चुम्बकीय फ्लक्स का SI मात्रक वेबर होता है जिसको Wb से प्रदर्शित किया जाता है। 

“जब किसी तल के 1 मीटर2 क्षेत्रफल से 1 टेस्ला का चुम्बकीय क्षेत्र तल के लम्बवत् गुजरता है, तो इस तल से बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स 1 वेबर कहलाता है।” 

अतः 1 वेबर = 1 टेस्ला मीटर2 अर्थात् [1 Wb = 1 Tm2 ]


13. लेंज का नियम ऊर्जा संरक्षण का सिद्धान्त है। समझाएँ। 

Ans. : लेंज के नियम के अनुसार जब किसी कुण्डली के पास चुंबक का उत्तरी ध्रुव लाया जाता है तो कुंडली के पास वाला सिरा भी उत्तरी ध्रुव बन जाता है, जो चुंबक का पास आने का विरोध करता है। चुंबक पर इस प्रतिकर्षण बल के विरुद्ध एक बाह्य कार्य करना पड़ता है। यह बाह्य कार्य विद्युत ऊर्जा में बदलकर प्रेरित विद्युत धारा बनाती है। अतः यहाँ सिर्फ ऊर्जा का परिवर्तन हुआ है.

 बाह्य कार्य = प्रेरित विद्युत धारा। 

इसी प्रकार जब चुंबक के उत्तरी ध्रुव को कुंडली से दूर किया जाता है, तो कुंडली के पास वाला सिरा दक्षिणी ध्रुव बन जाता है, जो इसे दूर जाने का विरोध करता है, अतः इसके विरुद्ध बाह्य कार्य करना पड़ता है, जो प्रेरित विद्युत धारा में परिवर्तित हो जाता है। 

अतः दोनों स्थितियों में हम यह कह सकते हैं कि यहाँ बाह्य कार्य प्रेरित विद्युत धारा में परिवर्तित हो रहा है तथा पूरे निकाय की ऊर्जा संरक्षित है, अतः यहाँ ऊर्जा संरक्षण का सिद्धांत लागु होता है।


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