Class 9th Geography (भूगोल) Subjective Question

Class 9th Geography Chapter Wise Short & Long Question | भारत : भूमि एवं लोग (भूगोल) चैप्टर नाम- जलवायु (Climate)


Class 9th – कक्षा 9वीं

विषय – भारत : भूमि एवं लोग (Geography)

Objective Question (वस्तुनिष्ठ प्रशन)

चैप्टर का नाम- जलवायु (Climate)


लघु उत्तरीय प्रश्न⇒


1. पश्चिम राजस्थान एक मरुस्थल है। भौगोलिक कारण दें। 

उत्तर⇒ पश्चिमी राजस्थान का भाग मरुस्थली है, क्योंकि बंगाल की खाड़ी शाखा की आर्द्र हवाएँ उत्तर-पश्चिम के निम्नतम दाब वाले क्षेत्र में पहुँचने के पहले सूख जाती हैं। अरब सागर शाखा की हवाएँ भी वहाँ जाकर अरावली के समान्तर बहते हुए आगे बढ़ जाती हैं। अतः दोनों ही स्थितियों में वह क्षेत्र सूखा ही रह जाता है। यही कारण है कि राजस्थान का पश्चिमी भाग मरुस्थल है।


2. तमिलनाडु में जाड़े में वर्षा होती है। भौगोलिक कारण दें। 

उत्तर⇒ चूँकि जनवरी-फरवरी में उत्तर-पूर्वी शुष्क हवाएँ बंगाल की खाड़ी से गुजरती है, जो जलवाष्प ग्रहण कर भारत के दक्षिण-पूर्वी भाग अर्थात् तमिलनाडु में जाड़े में वर्षा कराती हैं।


3. भारतीय कृषि मॉनसून के साथ जुआ है। भौगोलिक कारण दें। 

उत्तर⇒ भारतीय कृषि मॉनसून पर निर्भर करती है। अच्छी वर्षा के उम्मीद में किसान खेतों में बीज तो बो देते हैं, लेकिन अच्छी फसल मॉनसून के आगमन पर निर्भर करती है। अतः हम कह सकते हैं कि भारतीय कृषि मॉनसून के साथ जुआ है।


 4. मासिनराम में विश्व की सर्वाधिक वर्षा होती है। भौगोलिक कारण दें। 

उत्तर⇒ दक्षिण-पश्चिम मॉनसून बंगाल की खाड़ी शाखा अंडमान निकोबार द्वीपों से आगे बढ़ती है, तो पश्चिम की ओर मुड़ जाती है। इसी से पूर्वोत्तर भारत में मासिनराम (मेघालय) में विश्व की सर्वाधिक वार्षिक वर्षा (1187 सेमी) होती है।


5. ऊटी में सालोंभर तापमान काफी नीचे रहता है। भौगोलिक कारण दें।

उत्तर⇒ ऊटी एक पर्वतीय क्षेत्र है, जहाँ हिमालय मध्य एशिया से आनेवाली हवाओं को रोककर तापमान कम कर देता है तथा मॉनसूनी हवाओं को रोककर अच्छी वर्षा भी कराता है। अतः ऊटी में सालोभर तापमान काफी नीचे रहता है।


6. जाड़े के दिनों में भारत में कहाँ-कहाँ वर्षा होती है ? 

उत्तर⇒ जाड़े के दिनों में पूर्वी तटीय भाग केरल तथा तमिलनाडु में वर्षा होती है।


7. फेरेल का क्या नियम है? 

उत्तर⇒ फेरेल के नियमानुसार यदि निम्नदाब का क्षेत्र बनता है तो हवाएँ अपनी नियत दिशा की विपरीत दिशा में आकर्षित हो जाती हैं।


8. जेट स्ट्रीम क्या है ? 

उत्तर⇒ ऊपरी वायु- परिसंचरण भारत में पश्चिमी प्रवाह से प्रभावित होती है। इन्हीं धाराओं को जेट स्ट्रीम’ कहते हैं।


9. भारतीय मॉनसून की कोई तीन विशेषताएँ वताइए । 

उत्तर⇒ भारतीय मॉनसून की तीन विशेषताएँ हैं—

(i) दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की वर्षा मौसमी है, जो जून से सितम्बर तक होती है।

(ii) भारत की कृषिप्रधान अर्थव्यवस्था में मॉनसून का महत्त्व है।

(iii) मॉनसूनी वर्षा भू-आकृति द्वारा नियंत्रित होती है।


10. ‘लू’ से आप क्या समझते हैं? 

उत्तर⇒ भारत के दक्षिण-पश्चिम तटीय भाग में हवा अरब सागर की ओर से आती है, जिससे वर्षा होती है, लेकिन देश के अन्य भागों का मौसम शुष्क रहता है उस समय उत्तर भारत में चलने वाली पछुआ हवा अत्यंत गर्म एवं शुष्क होती है, जिसे लू कहते हैं। लू मुख्यतः ग्रीष्मऋतु में बिहार एवं बंगाल में ही चलता है, जिसमें धूल भरी आँधी चलती है।


11. मॉनसून का विस्फोट क्या है ? 

उत्तर⇒ भारत में जून के प्रारंभ तक गमीं बढ़ती जाती है, किन्तु मध्य जुन से मौसम में अचानक बदलाव आने लगता है। तेजी से हवा दक्षिण-पश्चिम से आने लगती है। आकाश में बादल छा जाते हैं तथा गर्जन-तर्जन के साथ भारी वर्षा होने लगती है। इसे ही मॉनसून का विस्फोट अथवा मॉनसून का फटना (श्दहेददह ) कहते हैं।


12. भारत के अत्यधिक गर्म एवं अत्यधिक ठंडे क्षेत्रों के नाम वताइए । 

उत्तर⇒ भारत में अत्यधिक गर्म, क्षेत्र– राजस्थान (बाड़मेर), तापमान -48°- 50°C 

भारत में अत्यधिक ठंढा क्षेत्र – जम्मू-कश्मीर (पहलगाँव या गुलमर्ग- औसत तापमान – 20°C से कम तथा खिलनमर्ग – 0°C से भी कम )


Class 9th Geography Chapter Wise Short & Long Question | भारत : भूमि एवं लोग (भूगोल) चैप्टर नाम- जलवायु (Climate)


दीर्घ उत्तरीय प्रश्न⇒


1. भारत की मानसूनी जलवायु की क्षेत्रीय विभिन्नताओं को सोदाहरण समझाइए | 

उत्तर⇒ भारत दी जलवायु मॉनसूनी है। इस मॉनसूनी जलवायु में एकता के साथ स्पष्ट विभिन्नता भी देखने को मिलती है। उदाहरणस्वरूप, राजस्थान के बाड़मेर इलाके में जून के दिन का तापमान 48°C 20°C होता है, तो उसी दिन कश्मीर के पहलगाँव या गुलमर्ग में तापमान 20° सेल्सियस से भी कम रहता है। गुलमर्ग के उत्तर में स्थित खिलनमर्ग का तापमान 0°C से भी कम रहता है। उस समय जून में सारा उत्तर भारत गर्म एवं शुष्क हवाओं के चपेट में रहता है, जबकि असम में भारी वर्षा के कारण ब्रह्मपुत्र नदी में बाढ़ आ जाती है। भारत के समुद्रतटीय क्षेत्र में तापमान सम एवं स्थल के मध्य में विषम पाया जाता है। अतः हम कह सकते हैं कि भारत की मॉनसूनी जलवायु में क्षेत्रीय विभिन्नताएँ पाई जाती हैं।


2. भारत में कितनी ऋतुएँ पाई जाती हैं? किसी एक का भौगोलिक विवरण दीजिए। 

उत्तर⇒ उत्तर भारत में कुल छः ऋतुएँ पाई जाती हैं। ये ऋतुएँ हैं- वसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत तथा शिशिर । 

लेकिन भौगोलिक दृष्टि से तथा मौसम विभाग के अनुसार भारत में मुख्यतः निम्नलिखित चार ऋतुएँ हो पायी जाती है। 

(i) शीतऋतु (नवम्बर से मध्य मार्च तक) । (ii) ग्रीष्मऋतु (मध्य मार्च से मध्य जून तक ) । 

(iii) वर्षाऋतु (मध्य जून से मध्य सितम्बर तक ) । 

(iv) लौटती मॉनसून ऋतु (मध्य सितम्बर से मध्य नवम्बर तक ) । अब लौटते मॉनसून के मौसम का भौगोलिक विवरण निम्नांकित रूपों में प्रस्तुत किया गया है- 

लौटती मॉनसून ऋतु – सितम्बर के अंत में सूर्य के दक्षिणायन होने से उत्तरी-पश्चिमी भाग का निम्नदाब समाप्त होकर दक्षिण में खिसक जाता है, जिसके कारण दक्षिण-पश्चिम मॉनसून कमजोर पड़ने लगता है। सितम्बर में मॉनसून राजस्थान, गुजरात, पश्चिमी गंगा के मैदान तथा मध्य भारत से लौट जाता। अक्टूबर में यह बंगाल की खाड़ी के उत्तर में स्थित हो जाता है। नवम्बर में यह कर्नाटक तथा तमिलनाडु तक ही बढ़ पाता है। नवम्बर के मध्य तक मॉनसून पूरे भारत से लौट जाता है, जिसे मॉनसून का निवर्तन या लौटना कहा जाता है। उस समय भारत में तापमान गिरने लगता है तथा मौसम शुष्क होने लगता है, जिसके कारण प्रायद्वीप के पूर्वी तटपर उत्तरी-पूर्वी मॉनसून से अच्छी वर्षा होती है।


3. भारत की जलवायु के मुख्य कारकों को स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर⇒ उत्तर भारत की जलवायु को प्रभावित करने वाले मुख्य कारक निम्नलिखित हैं- 

अक्षांश (Latitucle), ऊँचाई (Altitucle), वायुदाब (Air pressure), पवन (Wind), जल एवं स्थल का वितरण (Distribution of Rainfall and Land ) । 

अक्षांश – कर्क रेखा (23.5°C उ.) भारत के मध्य से गुजरती है। भारत में कर्क रेखा के उत्तर में उपोष्ण तथा दक्षिण में उष्णकटिबंधीय जलवायु पायी जाती है। अतः दक्षिण भारत गर्म एवं उत्तर भारत अपेक्षाकृत ठंढा रहता है। 

ऊँचाई — चूँकि ऊँचाई बढ़ने के साथ-साथ तापमान घटता जाता है। भारत के उत्तर में हिमालय पर्वतमाला स्थित है, जिसकी औसत ऊँचाई लगभग 6000 मीटर है। भारत के तटीय तथा मैदानी क्षेत्र की ऊँचाई 30 से 150 मीटर है। अतः पर्वतीय क्षेत्र ठंढा तथा मैदानी या तटीय क्षेत्र अपेक्षाकृत गर्म रहता है। 

वायुदाब एवं पवन – वायुदाब तथा पवनों की दिशाओं के कारण भारत की जलवायु विशिष्ट बनती है। भारत में कर्करेखा क्षेत्र से विषुवतेखा क्षेत्र की ओर उत्तरी-पूर्वी मॉनसून पवनें चलती हैं। ये उपोष्ण कटिबंधीय उच्च दाब पेटी से उष्ण कटिबंधीय निम्नदाब अर्थात स्थल से समुद्र की ओर चलते हैं । अतः इनसे वर्षा नहीं होती है। गर्मी में यह स्थिति विपरीत हो जाती है, क्योंकि सूर्य के उत्तरी गोलार्द्ध में होने के कारण राजस्थान के मरुस्थलीय क्षेत्र में निम्नदाब का केन्द्र बन जाता है तथा मकर रेखा के क्षेत्र में उच्चदाब रहता है। अतः गर्मी में दक्षिणी गोलार्द्ध के मकर रेखा क्षेत्र की हवाएँ तेजी से हिन्द महासागर को पारकर भारत में पहुँचने लगती हैं। इन्हें दक्षिण-पश्चिम मॉनसून कहते हैं जिससे सम्पूर्ण भारत में व्यापक वर्षा होती है। 

जल एवं स्थल का वितरण – समुद्रतटीय क्षेत्र में जाड़ा तथा गर्मी के तापमान में अधिक अंतर नहीं होता, क्योंकि जल-भाग देर से गर्म एवं देर से ठंढा होता है । वहाँ तापान्तर कम होने के कारण जलवायु सम बनी रहती है। दक्षिण भारत के तटीय क्षेत्र इसके प्रभाव में रहते हैं, लेकिन उत्तर भारत के समुद्र से दूर होने के कारण समुद्र का प्रभाव नहीं पड़ता है। फलतः वहाँ जाड़े में अत्यधिक जाड़ा तथा गर्मी में अत्यधिक गर्मी पड़ती है।


4. जेट धाराएँ क्या हैं तथा भारतीय जलवायु पर उनका क्या प्रभाव पड़ता है ? 

उत्तर⇒ जेट धाराएँ — पश्चिमी प्रवाह से प्रभावित ऊपरी वायु- परिसंचरण को जेट धाराएँ कहते हैं । 

भारतीय जलवायु पर जेट धाराओं का व्यापक प्रभाव पड़ता है। ये लगभग 279-30° उत्तरी अक्षांशों के बोर चलती है। ये सितम्बर से मार्च तक हिमालय के दक्षिणी छोर पर चलती हैं तथा देश के उत्तर एवं उत्तर-पश्चिम भाग में पश्चिमी चक्रवाती विक्षोभ के रूप में आकर वर्षा की झड़ी लगा देती हैं। ऐसी स्थिति को बनाने में वायुदाब में अंतर तथा पवन की दिशा भी मुख्य कारक है।


5. एल निनो एवं ला निना में अंतर स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर⇒ एल निनो तथा ला निना में निम्नलिखित अंतर हैं-

एल निनो ला निना
(i) यह एक गर्म जलधारा है।  (i) यह एक ठंढी जलधारा है। 
(ii) यह दक्षिण अमेरिका के पेरू एवं इक्वेडोर देशों में उत्पन्न होती है। (ii) इसकी उत्पत्ति पेरू तट पर होती हैं। 
 (iii) यह तीन से सात वर्ष के अंतराल में उत्पन्न होती है। (iii) यह कभी-कभी उत्पन्न होती है 
 (iv) इससे जल का तापमान अचानक 5 से 10°C तक बढ़ जाता है। (iv) इससे जल तापमान घट जाता है। 
(v) इससे पूर्वी द्वीपसमूह क्षेत्र में निम्न वायुदाब का क्षेत्र बन जाता है। (v) इससे पूर्वी द्वीपसमूह क्षेत्र में उच्च वायुदाब का क्षेत्र बन जाता है।
(vi) यह दक्षिण-पश्चिम मॉनसून पवन के कुछ अंशों को अपनी और आकर्षित कर लेती है।   (vi) यह दक्षिण-पश्चिम मॉनसून हवा में जल की मात्रा बढ़ा देती है। 

6. भारत में होनेवाली मॉनसूनी वर्षा एवं उसकी विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर⇒भारत में होनेवाली मॉनसूनी वर्षा मुख्यतः दो प्रकार की होती हैं– ग्रीष्मकालीन वर्षा तथा शीतकालीन वर्षा । 

विशेषताएँ– 

ग्रीष्मकालीन वर्षा- भारत में ग्रीष्मकालीन वर्षा दक्षिण-पश्चिम मॉनसूनी हवा से होती है। प्रायद्वीपीय भारत त्रिभुजाकार होने की वजह से दक्षिण-पश्चिम मॉनसून हवा दो शाखाओं में बँटकर आगे बढ़ती है। एक शाखा अरब सागर की शाखा है, जो भारत के पश्चिम तटीय भाग तथा पश्चिमी घाट पर्वत की पश्चिमी ढाल पर भारी वर्षा करती है। दूसरी शाखा बंगाल की खाड़ी शाखा है, जो अंडमान-निकोबार द्वीप पर वर्षा करने के बाद पूर्वांचल एवं मेघालय के बीच पहुँचकर पश्चिम की ओर मुड़ जाती है तथा पूर्वोत्तर भारत एवं गंगा-ब्रह्मपुत्र के मैदान में वर्षा करती है। 250 सेमी से भी अधिक तथा राजस्थान के पश्चिमी भाग में 25 सेमी से भी कम वर्षा होती है। 

शीतकालीन वर्षा- भारत में शीतकालीन वर्षा के क्षेत्र सीमित हैं। लौटती मॉनसून तथा उत्तर-पूर्वी मॉनसून से भारत के पूर्वी तटीय भाग, तमिलनाडु तथा केरल में वर्षा होती है। स्थल से चलनेवाली यह हवा जब बंगाल की खाड़ी से होकर गुजरती है, तो नमी धारण कर लेती है, जिससे यह वर्षा होती है। इस हवा. से राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश तथा बिहार में वर्षा होती है । यह वर्षा रबी फसलों के लिए उपयोगी होता है।


7. भारतीय जलवायु का मानव जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों का वर्णन करें। 

उत्तर⇒ जलवायु के मानव जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन निम्नलिखित शीर्षकों के अन्तर्गत किया जा सकता है- 

(1) मानव का पहनावा और जलवायु : मानव का पहनावा तथा वेश-भूषा जलवायु से प्रभावित होती है। भारत की जलवायु उष्ण और आर्द्र होने के कारण हल्के बारीक कपड़ों की आवश्यकता होती है। इसी कारण पुरुषों के लिए धोती-कुर्ते तथा स्त्रियों के लिए साड़ी का प्रचलन अधिक है। ठण्डे पहाड़ी भागों में शीतकाल में उत्तर भारत में ऊनी वस्त्रों की आवश्यकता होती है। 

(2) खान-पान और जलवायु : पर्याप्त वर्षा वाले सामान्य जलवायु वाले क्षेत्र गेहूँ की फसलों के लिए अधिक उपयुक्त होते हैं। धान की खेती के लिए हल्की गर्मी और पर्याप्त मात्रा में वर्षा जरूरी है। पहाड़ी ढलानों पर फल देने वाले पेड़ उगाए जाते हैं। जिन क्षेत्रों में जिन फसलों का उत्पादन अधिक होता है वहाँ के निवासियों की खान-पान सम्बन्धी आदतें भी उसी के अनुरूप होती है। इसी कारण पंजाब के लोगों के भोजन में गेहूँ तथा बंगाल के लोगों के भोजन में क्रमश: गेहूँ और चावल की प्रधानता पायी जाती है। कश्मीर के लोगों के खान-पान में फल की प्रधानता होती है। 

(3) मानव निवास और जलवायु : जलवायु का प्रभाव मानव- निवास पर भी पड़ता है। हमारे देश में मकानों को इस प्रकार बनाया जाता है कि खुली हवा अधिक-से-अधिक प्राप्त हो। मकानों में आँगन और बरामदे की आवश्यकता अधिक होती है। यहाँ के मकान पश्चिमी देशों की तुलना में भिन्न प्रकार के होते हैं। भारत में गरम और शुष्क इलाकों में अधिक मोटी दीवारों वाले मकान बनातें हैं ताकि गरम हवाओं को घर के भीतर प्रवेश करने से रोका जा सके। इसीलिए राजस्थान में घरों की दीवार मोटी और वर्षा के अभाव में छत चपटी बनाई जाती है । अत्यधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में घरों की छतें ढालू बनाई जाती हैं ताकि वर्षा का पानी सरलतापूर्वक बह जाए। 

(4) सामाजिक जीवन और जलवायु : जलवायु का प्रभाव सामाजिक जीवन पर भी पड़ता है। भारत का अधिकतर भाग उष्णकटिबंध में स्थित है। वर्ष में अधिकांश समय ताप ऊँचा रहता है। इसके कारण मनुष्य शीघ्र परिपक्वावस्था को प्राप्त कर लेते हैं। लड़के और लड़कियाँ शीघ्र किशोरावस्था को प्राप्त कर लेते हैं। इसलिए बाल विवाह की प्रथा प्रचलित है। कम उम्र में ही अपने देश के युवकों और युवतियों को आजीविका के प्रयत्नों का भार सहना पड़ता है, जबकि वे व्यवसायों में प्रवेश के लिए पूर्ण रूप से दक्ष नहीं होते हैं। इसका मनोवैज्ञानिक रूप से भी कुप्रभाव पड़ता है, जिससे अधिकतर लोग निराशावादी बन जाते हैं। 

(5) परिवहन और जलवायु : जलवायु का प्रभाव परिवहन पर भी पड़ता है। मरुस्थलों के लोग घुमक्कड़ी जीवन बिताने को विवश हैं। ऊँट उनकी मुख्य सवारी होती है जो कई दिनों तक बिना पानी पीए रह सकता है। ठंडे बर्फीले क्षेत्रों में रहने वाले लोग परिवहन के साधनों के रूप में स्कीज, स्लेज गाड़ियों आदि का उपयोग करते हैं।


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