Class 10th Board Exam Social Science VVI Short Type Chapter Wise Question
प्राकृतिक आपदा एवं प्रबंधनः भूकम्प एवं सुनामी
1. भूकम्प के केन्द्र एवं अधिकेन्द्र के बीच अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- भूकम्प का वह भाग जहाँ चट्टान टूटने की प्रक्रिया आरंभ होती है, भूकम्प का केन्द्र (focus) कहलाता है। भूकम्प केन्द्र ही भूकम्प का उत्पत्ति स्थान (Point of originc) है।
भूकम्प केन्द्र से धरती पर अनुलम्ब, भूकम्प अधिकेन्द्र (epicentre) कहलाता है। भूकम्पीय तरंगों का पहला झटका अधिकेन्द्र पर ही लगता है। अधिकेन्द्र से जैसे-जैसे दूरी बढ़ती जाती है वैसे-वैसे भूकम्प का प्रभाव घटता जाता है।
2. भूकम्पीय तरंगों से आप क्या समझते हैं? प्रमुख भूकम्पीय तरंगों के नाम लिखिए।
उत्तर – पृथ्वी के गर्भ में संचित अपार ऊर्जा के मुक्त होने से लहरें उत्पन्न होती हैं, जो भूकम्पीय तरंगें कहलाती हैं। अर्थात् भूकम्प आने के पूर्व तथा भूकम्प के बाद कम गहनता के अनेक कंपन होते हैं।
भूकम्प के समय उठनेवाले कंपन यानी तरंगों को निम्नलिखित तरंगों में बाँटा जा सकता है-०प्राथमिक तरंग (P-wave), द्वितीयक तरंग (S-wave) तथा (iii) सतही या दोघ तरंग (L-wave)
3. भूकम्प क्या है? इससे बचाव के दो उपायों का उल्लेख करें।
उत्तर- धरती में उत्पन्न ऊर्जा तरंगें चट्टानों में कम्पन उत्पन्न करती हैं। इस कम्पन का केन्द्र जब स्थल खण्ड होता है तो उसे भूकम्प (earthquake) कहते हैं। भूकम्प एक प्राकृतिक आपदा है। इसमें जानमाल दोनों की क्षति होती है। भारत में दरभंगा (बिहार) एवं लातूर (महाराष्ट्र), भुज (गुजरात) में भयंकर भूकम्प आए थे। भूकम्प से बचाव के दो उदाहरण इस प्रकार हैं (i) भूकम्परोधी भवन निर्माण कर, (ii) भूकम्प के पूर्वानुमान पर सक्रियता प्रदर्शन द्वारा।
4. भूकम्प एवं सुनामी के विनाशकारी प्रभाव से बचने के किन्हीं चार उपायों का वर्णन कीजिए।
उत्तर- भूकम्प एवं सुनामी प्राकृतिक आपदा हैं जिनसे बचाव के लिए बहुआयामी प्रयास आवश्यक है। वस्तुतः ये प्रयास व्यापक और दूरदृष्टि वाले हो। कुछ प्रमुख प्रयास निम्नांकित हैं
(i) भूकम्प एवं सुनामी का पूर्वानुमान-पूर्वी तरंग और अनुकंपन तरंगों को यदि भूकम्पलेखी यंत्र पर ठीक से मापा जाय तो तरंगों की प्रकृति के आधार पर संभावित बड़े भूकम्प या सुनामी का पूर्वानुमान किया जा सकता है।
(ii) भवन-निर्माण-भूकम्प या सुनामी के विनाश को ध्यान में रखते हुए भवन निर्माण की स्वीकृति देने के पहले इन तथ्यों की जाँच होनी चाहिए कि क्या वे भूकम्पनिरोधी या सुनामीनिरोधी कारणों पर आधारित हैं।
(iii) जान-माल की सरक्षा किसी भी भूकम्प या सुनामी का सीधा प्रभाव जान-माल पर पड़ता है। अतः जान-माल के बचाव के लिए विशेष सुरक्षा-व्यवस्था कर।
(iv) गैर सरकारी संगठनों का सहयोग-भूकम्प या सुनामी किसी भी प्रकार की आपदा प्रबंधन में स्वयंसेवी संस्थाएँ, विद्यालय और आम लोग बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।
5. भारत को प्रमुख भूकम्प क्षेत्रों में विभाजित करते हुए सभी क्षेत्रों का संक्षिप्त विवरण दीजिए। अथवा, भारत की भुकम्पीय पेटी का सोदाहरण वर्णन करें।
उत्तर – भारत के प्राय: सभी भागों में भूकम्प के झटके आते हैं। गहनता और बारंबारता में अंतर के आधार पर भारत को 5 भूकम्पीय क्षेत्र (Zone) में बाँटा गया है, जो निम्नलिखित हैं
(i) क्षेत्र 1 – इस क्षेत्र में भारत के दक्षिणी पठारी क्षेत्र आते हैं, जहाँ भूकंप का खतरा नहीं के बराबर है।
(ii) क्षेत्र 2 – इसके अन्तर्गत प्रायद्वीपीय भारत के तटीय मैदानी क्षेत्र आते हैं। यहाँ भूकंप की संभावना तो होती है लेकिन तीव्रता कम होने के कारण सीमित खतरे होते हैं।
(iii) क्षेत्र 3 – इसमें मुख्यतः गंगा-सिन्धु का मैदान, राजस्थान तथा उत्तरी गुजरात के कुछ क्षेत्र आते हैं। यहाँ भूकंप का प्रभाव देखने को मिलता है लेकिन वे कभी-कभी ही विनाशकारी होते हैं।
(iv) क्षेत्र 4 – यहाँ अधिक खतरे की संभावना होती है। इसमें भारत के मुख्यतः शिवालिक हिमालय का क्षेत्र, पश्चिम बंगाल का उत्तरी भाग, असम घाटी तथा पूर्वोत्तर भारत का क्षेत्र आता है। इसी क्षेत्र में अंडमान-निकोबार द्वीप-समूह भी आता है।
(v) क्षेत्र 5 – यह सर्वाधिक खतरे का क्षेत्र है। इसके अंतर्गत गुजरात का कच्छ, जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड का कमाऊँ पर्वतीय क्षेत्र, सिक्किम तथा दार्जिलिंग के पहाड़ी क्षेत्र आते हैं।
6. सुनामी से आप क्या समझते हैं? सनामी से बचाव के उपायों का उल्लेख कीजिए। अथवा, सुनामी आपदा प्रबंधन पर एक लेख लिखें।
उत्तर- सुनामी (Tsunami) एक प्राकृतिक परिघटना है। यह एक जापानी शब्द है जो दो शब्दों सू (Tsu) और नामी (nami) से बना है। ‘सू’ का अर्थ बन्दरगाह एवं ‘नामी’ का अर्थ लहरें हैं। इसमें लहरों की एक श्रृंखला निर्मित होती है जिसके परिणामस्वरूप समुद्र या सागर से जल व्यापक मात्रा में बहुत तीन गति से तट की ओर विस्थापित होता है। सुनामी लहर समुद्र तल पर आने वाले भूकम्प एवं ज्वालामुखीय विस्फोट के कारण उत्पन्न होता है। पृथ्वी की सतह में उत्पन्न कुछ विशेष प्रकार की हलचल (जैसे भूकम्प, ज्वालामुखी विस्फोट, भूस्खलन आदि) के कारण समुद्र में अत्यधिक ऊँची-ऊँची विशाल लहरें उत्पन्न होती हैं जो सुनामी लहरें कहलाती हैं। नीचे कुछ सुझाए गए उपायों पर अमल कर सुनामी से उत्पन्न क्षति को कम किया जा सकता है-(i) 26 देश के नेटवर्क प्रणाली से भारत को जोड़कर। (ii) भूकम्पीय तरंगों के समान ही सुनामी के पूर्व कंपन और अनुकंपन आते हैं। उनका पूर्वानुमान किया एवं आपदा संसूचक प्रणाली (disaster sensitive system) द्वारा समुद्री जल की सतह के नीचे की क्षैतिज हलचलों का अध्ययन कर। (ii) तटवर्ती क्षेत्रों में पेड़ लगाकर तटवर्ती आश्रय पट्टी (Coasts shelter belt) निर्मित कर सुनामी लहरों की तीव्रता को कम किया जा सकता है। (iv) तटवर्ती क्षेत्रों में भवन-निर्माण के सभी नियमों का कठोरतापूर्वक पालन कर। (v) राज्य सरकार तथा गैर-सरकारी संस्थाओं द्वारा तटीय प्रदेश में रहने वाले लोगों को सुनामी से बचाव का प्रशिक्षण देने की व्यवस्था कर।
7. भूकम्प और सुनामी के बीच अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- (i) भूकम्प (Earthquake) भूकम्प का सरल अर्थ भूमि का कंपायमान होना है। भूकम्प एक भूगर्भीय प्रक्रिया है जिसकी तीव्रता कभी-कभी अत्यन्त भयावह होती है उससे जान-माल की अपार क्षति होती है। यह पृथ्वी के गर्भ में संचित अपार ऊर्जा के मुक्त होने से उत्पन्न होती है जो भूकम्पीय तरंगें कहलाती हैं।
(ii) सुनामी (Tsunami)-सुनामी एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसमें महासागर का पानी भूकम्प के आने के कारण बड़े स्तर पर तितर-बितर होता है। इसके फलस्वरूप लहरों की एक श्रृंखला उत्पन्न होती है। अर्थात् पृथ्वी के गर्भ में संचित अपार ऊर्जा के मुक्त होने से लहरें उत्पन्न होती हैं, जो भूकम्पीय तरंगें कहलाती हैं। इस कंपन का केन्द्र जब महासागर की तली पर होता है तब वह सुनामी के नाम से जाना जाता है।
8. सुनामी से बचाव के कोई तीन उपाय बताइए।
उत्तर- सुनामी से बचाव के अग्रलिखित उपाय हैं- भूकम्पीय तरंगों के समान सुनामी में पूर्व कंपन और अनुकंपन आते हैं। (i)सुनामी के विनाशकारी प्रभाव को कम करने के लिए कंक्रीट तटबंध बनाने की जरूरत है। (ii) सुनामी के विनाशकारी प्रभाव को कम करने के लिए तटबंध के किनारे मैंग्रोव जैसी वनस्पति को सघन रूप में लगाना चाहिए।
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