Class 9th Geography (भूगोल) Subjective Question

Class 9th Geography Chapter Wise Short & Long Question | भारत : भूमि एवं लोग (भूगोल) चैप्टर नाम- आपदा प्रबंधन : एक परिचय (Disaster Management : An Introduction) 


Class 9th – कक्षा 9वीं

विषय – भारत : भूमि एवं लोग (Geography)

Objective Question (वस्तुनिष्ठ प्रशन)

चैप्टर का नाम- आपदा प्रबंधन : एक परिचय (Disaster Management : An Introduction) 


लघु उत्तरीय प्रश्न⇒


1. आपदा प्रबंधन क्या है ? 

उत्तर किसी भी प्रकार की आपदा (मानवजनित या प्राकृतिक) से बचाव करना ही आपदा प्रबंधन कहलाता है। चूंकि आपदा वेदना तथा कष्टों से भरा होता है, अतः उससे बचने का उपाय करना अति आवश्यक है और बचाव के लिए उसका प्रबंधन भी आवश्यक है।


2. आपदा को कम करने के लिए कौन-कौन-से उपाय किये जाने चाहिए ? 

उत्तरआपदा को कम करने के लिए निम्नलिखित उपाय किये जाने चाहिए- 

(i) जोखिम क्षेत्र में बसाव को रोकना चाहिए। 

(ii) भूमि उपयोग की योजना तैयार करना चाहिए | 

(iii) आपदा – रोधी भवन का निर्माण करना चाहिए। 

(iv) आपदा घटने से पहले ही जोखिम को कम करने के तरीके तलाशना चाहिए।


3. आप आपदा प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को किस प्रकार मदद कीजिएगा ? 

उत्तर हम आपदा प्रभावित क्षेत्र में निम्नांकित प्रकार से लोगों की मदद कर सकते हैं । 

आपदा की उद्घोषणा की सूचना शीघ्र ही अपने परिवारजनों एवं पड़ोसियों को दे देनी चाहिए। इससे लाभ यह होगा कि सभी लोग अपनी योग्यता व कार्यक्षमता के अनुसार बचाव कार्य में लग जायेगे। हम अपने मित्रों तथा शिक्षकों को मदद से राहत कार्य में जुट जायेगे। प्रभावित लोगों को कुछ समय के लिए विद्यालय में ही शरण दे देंगे, गाँव के सहयोग से उनके भोजन और बिछावन आदि का प्रबंध कर देंगे तथा स्थानीय चिकित्सकों की मदद से आवश्यकता के अनुसार उन्हें चिकित्सा व्यवस्था मुहैया करायेंगे ।


4. विद्यालय द्वारा किस प्रकार आपदा प्रभावित लोगों को मदद पहुँचायी जा सकती है ? 

उत्तर विद्यालय द्वारा निम्नलिखित प्रकार से आपदा प्रभावित लोगों को मदद पहुँचायी जा सकती है- 

(i) स्थानीय लोगों की सहायता से सामुदायिक रसोई की व्यवस्था करना । 

(ii) प्रभावित लोगों को ढूंढने और उनका बचाव करने के लिए दल भेजना। 

(iii) खोज एवं बचाव दल की तैनाती करना । 

(iv) आवश्यक संसाधन जुटाना । 

(v) जिनके परिजन बिछुड़ गए हैं उन्हें सान्त्वना दिलाना तथा परिजनों से मिलाने का प्रयास कराना ।


5. परमाणु ऊर्जा क्या है ? 

उत्तर रेडियोसक्रिय पदार्थ; जैसे यूरेनियम तथा प्लूटोनियम को परिष्कृत कर रिएक्टर के माध्यम से नाभिकीय विखंडन कराने के फलस्वरूप प्राप्त ऊर्जा की विपुल राशि को परमाणु ऊर्जा कहते हैं ।


6. विश्व में सर्वप्रथम परमाणु बम किस देश पर गिराया गया था ? 

उत्तर‘विश्व में सर्वप्रथम परमाणु बम जापान (हिरोशिमा तथा नागासाकी शहर) पर गिराया गया था।


7. भारत के किस राज्य में परमाणु परीक्षण किया गया ? 

उत्तर उत्तर भारत के राजस्थान राज्य के पोखरन में परमाणु बम का परीक्षण किया गया था ।


8. भोपाल गैस त्रासदी में किस गैस का रिसाव हुआ था ? 

उत्तर भोपाल गैस त्रासदी में मेथाइल आइसोसायनेट नामक गैस का रिसाव हुआ था।


9. कीटनाशक पदार्थों से क्या-क्या हानियाँ होती हैं? 

उत्तर कीटनाशक पदार्थों से निम्नलिखित हानियाँ हैं- 

(1) विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation) द्वारा वर्तमान समय में भारत के, 80% कीटनाशक को अत्यधिक जहरीला तथा मानवीय स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालनेवाला बताया गया है।

(2) नये संकर बीजों के उत्पादन में अत्यधिक मात्रा में कीटनाशकों का प्रयोग मानवीय स्वास्थ्य के लिए चुनौती बनती जा रही है।


10. अम्लीय वर्षा का प्रभाव किस पर पड़ता है ? इसकी विशेष जानकारी अपने वर्ग शिक्षक की मदद से संग्रहीत करें। 

उत्तर अम्लीय वर्षा का मुख्य प्रभाव मनुष्य के शरीर, फसल, वनस्पति, फल और मछलियों पर पड़ता है। इन सभी चीजों के उपयोग से लोगों में जानलेवा बीमारियाँ उत्पन्न हो जाती हैं। अम्लीय वर्षा से वृक्ष के पत्ते मृतप्राय हो जाते हैं। नये पत्ते नहीं के बराबर निकलते हैं। इस प्रकार अम्लीय वर्षा का मानव जन- जीवन से लेकर पेड़-पौधे और इमारतों पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।


11. किस देश द्वारा गैस के प्रयोग से यहूदियों को मारा गया था ? 

उत्तर जर्मनी द्वारा गैस के प्रयोग से यहूदियों को मारा गया था । यह दुष्कर्म द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान किया गया था।


12. कीटनाशक में किस रासायनिक पदार्थ का उपयोग होता है ? 

उत्तरकीटनाशक में हाइड्रोजन साइनाइड या मिथाइल आइसोसायनेट (MIC) नामक रासायनिक पदार्थ का उपयोग होता है।


13. प्लेग और हैजा का क्या कारण है? 

उत्तर सूक्ष्मजीवाणु और वायरस प्लेग और हैजा दोनों के कारण हैं।


14. ‘एड्स’ की बीमारी के कारणों को बताएँ । 

उत्तर ‘एड्स’ की बीमारी HIV वायरस के कारण होती है। इस बीमारी का मुख्य कारण है गलत यौन-संबध तथा इस्तेमाल किया गया सिरींज (सूई)। दूषित ब्लड चढ़ाने से भी यह रोग हो सकता है। यह एक जानलेवा रोग है। अभी तक इसका कोई इलाज संभव नहीं हो पाया है।


15. हेपेटाइटिस बीमारी के कारणों को बताएँ । 

उत्तरउत्तर ऐसे तो हेपेटाइटिस कई प्रकार के होते हैं, लेकिन इनमें मुख्य हैं हेपेटाइटिस ‘A, B तथा C। इन तीनों बीमारियों का कारण भी एक ही है। ये हैं सूक्ष्मजीवाणु तथा वायरस |


16. हवाई यात्रा करते समय सुरक्षा का कौन-सा नियम ध्यान में रखना चाहिए? 

उत्तरहवाई यात्रा करते समय सुरक्षा के निम्नलिखित नियमों को ध्यान में रखना चाहिए– 

(1) सर्वप्रथम यात्री को सुरक्षासम्बन्धी सभी नियमों को ध्यानपूर्वक पढ़ लेना चाहिए अथवा जानकारी हासिल कर लेना चाहिए। 

(2) जब आप सीट पर बैठे हों, तो सीट बेल्ट बाँधे रखें और संकेतों का पालन अवश्य करें। 

(3) आपातकालीन द्वार के सम्बन्ध में पहले से अवश्य जानकारी हासिल कर लें। 

(4) यात्रियों को दिये गए निर्देशों का पालन अवश्य करना चाहिए।


17. रेलवे फाटक पार करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ? 

उत्तर रेलवे फाटक पार करते समय निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना अति आवश्यक है- 

1. रेलवे फाटक पार करने से पूर्व सर्वप्रथम रुककर दाएँ और बाएँ दोनों ओर देख लेना चाहिए कि कोई गाड़ी या इंजन तो नहीं आ रहा है। यदि नहीं आ रहा हो, तो रेलवे लाइन क्रॉस करें अन्यथा नहीं।

2. कहीं-कहीं ये देखने को मिलता है कि रेलवे फाटक नहीं है, तो वहाँ भी उक्त नियमों का पालन करें। 

3. यदि रेलवे फाटक बंद है, तो उस समय रेलवे लाइन क्रॉस नहीं करना चाहिए। यदि जाना अत्यावश्यक हो, तो लाल और उजली बत्तियों पर ध्यान रखें, जहाँ लाल बत्ती गाड़ी रुकने का सूचक है तथा उजली बत्ती गाड़ी आने का सूचक है। 

उक्त सभी बातों पर पूर्ण रूप से ध्यान रखकर ही रेलवे लाइन क्रॉस करना चाहिए, नहीं तो ‘सतर्कता हटी दुर्घटना हुई’ वाली कहानी चरितार्थ हो जाएगी।


18. सड़क यात्रा के दौरान किन महत्त्वपूर्ण वातों पर ध्यान रखा जाना चाहिए ? 

उत्तर सड़क यात्रा के दौरान हमें निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण बातों पर अवश्य ध्यान देना चाहिए- 

(1) सड़क पर यदि आप पैदल चल रहे हैं, तो सदैव अपनी बायीं ओर चलना चाहिए। 

(2) बड़े नगरों में सड़क पार करने के लिए जेब्रा चिह्न बने होते हैं, वहीं से सड़क पार करना चाहिए। 

(3) कार या बस चालकों को भी ट्रैफिक नियमों का पालन करना चाहिए। (4) बड़े नगरों में पैदल चलने के लिए भूमिगत मार्ग बने होते हैं, उसी से चलना चाहिए। 

(5) कुछ जगहों; जैसे- भीड़-भाड़ वाले इलाकों में पैदल यात्रा के लिए पुल भी बने होते हैं, उसी से चलना चाहिए। 

उवत सभी बातों पर पूर्ण रूप से ध्यान रखकर ही सड़क मार्ग पर पैदल चलना चाहिए।


19. आग से उत्पन्न आपदा क्या है ? 

उत्तरआग से उत्पन्न आपदा मानवीय भूल के कारण होती है। कभी-कभी ऐसा देखने को मिलता है कि असामाजिक तत्त्व घर, पाठशाला, वाहन आदि में आग लगा देते है, जिससे आर्थिक क्षति तो होती ही है, जान-माल को भी भारी नुकसान पहुंचता है। बहुत से लोग जलकर राख हो जाते हैं। बाढ़ जैसी आपदा से तो बचने की भी संभावना रहती है, लेकिन आग से उत्पन्न आपदा में सर्वस्व नाश हो जाता है।


20. साम्प्रदायिक दंगों से बचाव के किन्हीं तीन उपायों का वर्णन कीजिए। 

उत्तर साम्प्रदायिक दंगों से बचाव के तीन उपाय निम्नलिखित हैं- 

(1) साम्प्रदायिक हिंसा से बचना है, तो हमें न तो अफवाह फैलाना चाहिए। और न अफवाहों पर विश्वास करना चाहिए। 

(2) यदि कोई अफवाह फैला रहा है, तो इसकी सूचना तुरत निकटवर्ती पुलिस स्टेशन को दी जानी चाहिए। 

(3) साम्प्रदायिक दंगों में लगे लोगों को किसी भी तरह से पनाह नहीं देना चाहिए।


21. आतंकवादी आपदा से बचाव के किन्हीं तीन उपायों का वर्णन कीजिए। 

उत्तर आंतकवादी आपदा से बचाव के तीन उपाय निम्नलिखित हैं-

(1) यदि अचानक कोई गठरी मिल जाय, तो इसे छूना नहीं चाहिए, बल्कि पुलिस को तत्काल सूचित करना चाहिए। 

(2) यदि किसी क्षेत्र में सूटकेस, संदूक या थैला रखा हुआ दिखाई दे, तो इसकी सूचना पुलिस को शीघ्र दी जानी चाहिए । 

(3) यदि आपको किसी व्यक्ति की गतिविधियों पर शक है, तो इसकी सूचना शीघ्र पुलिस को दी जानी चाहिए। यदि आप पुलिस तक नहीं पहुँच सकते हैं, तो सूचना अपने शिक्षक या अभिभावक को दी जानी चाहिए।


22. अग्निशमन दस्ता के आने के पूर्व समुदाय द्वारा कौन-से प्रयास किए जाने चाहिए? 

उत्तरअग्निशमन दस्ता के आने के पूर्व समुदाय के लोगों को चाहिए कि वे अग्नि के प्रभाव को कम करने का प्रयास अवश्य करें तथा झुलसे लोगों को एक स्थान पर रखकर उनका प्राथमिक उपचार सुनिश्चित करें। मोबाइल फोन से निकटतम अस्पताल को सूचना दें तथा एम्बुलेंस की माँग करें। कुछ लोग आग बुझाने तथा उसे फैलने से रोकने का प्रयास करें। जिस घर में आग लगी हो, उस घर पर पानी फेंके, आस-पास के घरों को भी पानी से भिगो दें, ताकि आग फैलने नहीं पाये । यदि मिल-जुलकर इस कार्य को पूरा किया जाए, तो निश्चित ही अग्निशमन दस्ता के आने के पूर्व ही बहुत हद तक आग पर काबू पा लिया जा सकता है।


23. ग्रामीण स्तर पर आपदा प्रबंधन समिति के गठन में कौन- कौन-से सदस्य शामिल होते हैं ? 

उत्तरग्रामीण स्तर पर आपदा प्रबंधन समिति का गठन करने का निर्णय राष्ट्रीय स्तर पर लिया गया है। इस समिति में निम्नलिखित सदस्य होते हैं— (1) विद्यालय के प्रधानाध्यापक, (2) गाँव के मुखिया, (3) गाँव के सरपंच, (4) गाँव के दो त्यागी और समर्पित लोग, (5) प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र का डॉक्टर, (6) राष्ट्रीय सुरक्षा सेवा के सदस्य, (7) ग्राम सेवक, (8) स्वयं सहायता समूह की दो महिलाएँ आदि ।


Class 9th Geography Chapter Wise Short & Long Question | भारत : भूमि एवं लोग (भूगोल) चैप्टर नाम- आपदा प्रबंधन (Disaster Management)


दीर्घ उत्तरीय प्रश्न⇒


 1. आपदा प्रबंधन में ग्राम पंचायत की भूमिका का वर्णन कीजिए। 

उत्तर आपदा प्रबंधन में ग्राम पंचायत की निम्नलिखित भूमिकाएँ हो सकती- 

(1) पूर्वानुमान के आधार पर लोगों को चेतावनी, सूचना एवं सलाह देना ।

(2) राहत शिविर का चयन करना तथा प्रभावित लोगों को राहत मुहैया कराना । 

(3) प्रभावित लोगों के लिए भोजन एवं शुद्ध पेयजल की व्यवस्था कराना । 

(4) प्राथमिक उपचार की समुचित व्यवस्था कराना । 

(5) सभी लोगों को सुरक्षा देना एवं महिलाओं तथा बच्चों पर विशेष ध्यान देना । 

(6) स्वच्छता का भरपूर ख्याल रखना; ताकि महिलाओं, बच्चों, वयस्कों तथा वृद्धो को बीमारियों से बचाया जा सके। 

(7) बीमार लोगों के लिए डॉक्टर व अस्पताल की व्यवस्था कराना, ताकि इलाज सस्ता व शीघ्र कराया जा सके। 

उपर्युक्त कार्यों को करके ग्राम पंचायत आपदा प्रबंधन में अपनी अहम भूमिका निभा सकता है।


2. आपदा प्रबंधन में राष्ट्रीय स्तर पर किये जा रहे कार्यों की समीक्षा करें।

उत्तर भारत में राष्ट्रीय स्तर पर लगभग सदैव किसी-न-किसी आपदा की आशंका बनी रहती है। वह आपदा मानवजनित भी हो सकती हैं या प्राकृतिक भी। इन सभी प्रकार की आपदाओं से बचने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर भी कार्य किये जा रहे हैं, जो निम्नलिखित हैं- 

(1) आपदा प्रबंधन के लिए प्रतिवर्ष राष्ट्रीय बजट में आकस्मिक निधि का प्रबंध किया गया है। इससे संकट के समय धनराशि की समस्या नहीं आएगी। 

(2) आपदा प्रबंधन के लिए प्रधानमंत्री राहत कोष का भी गठन किया गया है। 

(3) आपदाओं की बारंबारता के क्षेत्र को चिह्नित किया जा रहा है, जिससे उसके क्षेत्र के बारे में जानकारी प्राप्त किया जा सके।

( 4 ) आपदा प्रबंधन में लगे हुए लोगों के लिए प्रशिक्षण का कार्य आवश्यक है। अतः उसके लिए अनेक प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित किये जा रहे हैं। विश्वविद्यालय में आपदा प्रबन्धन की पढ़ाई भी प्रारंभ की गयी है। 

(5) पंचायत तथा ग्रामीण स्तर पर भी आपदा प्रबंधन के लिए न सिर्फ प्रशिक्षण दिए जा रहे हैं, वरन् इससे निपटने की पूर्ण जानकारी भी दी जा रही है। आतंकवाद और साम्प्रदायिक दंगों को कम करने के लिए आतंकवाद-विरोधी दस्ते का भी गठन किया गया है। 

(6) आपदा प्रबंधन में स्वयंसेवी संस्थाओं का योगदान भी महत्त्वपूर्ण है । यह परामर्शदात्री के रूप में महत्वपूर्ण कार्य करता है।


3. रेडिएशन से क्या-क्या हानियाँ होती हैं ? मनुष्य पर पड़नेवाले इसके प्रतिकूल प्रभावों की जानकारी दें। 

उत्तररेडिएशन घातक किरणे हैं। ये मुख्यतः दो माध्यमों से उत्पन्न होते हैं— सूर्य से निकलनेवाली पराबैगनी किरणों से तथा रेडियोधर्मी पदार्थों से। इनसे अनेक हानियाँ हैं। सर्वप्रथम तो यह किसी जनप्राणी पर जोखिम भरा कुप्रभाव डालता है। इससे अनेक प्रकार के चर्मरोग, कैंसर आदि हो जाते हैं। गर्भवती माताओं तथा गर्भस्थ शिशु पर भी इसका कुप्रभाव पड़ता है। बच्चे अपंग पैदा होते हैं, उनकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं रहती है, फलतः वे बड़े होकर भी सामान्य जीवन से वंचित रह जाते हैं। इसका दुष्प्रभाव कई वर्षों तक बना रहता है, इसको शीघ्र शमन करने का भी कोई उपाय नहीं सूझता है। इस प्रकार रेडिएशन से अनेक हानियाँ हैं। 

रेडिएशन का मानव जीवन पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, जो निम्नलिखित हैं- 

(i) इसके प्रभाव से जीवों के आनुवांशिक पदार्थ में उत्परिवर्तन की दर में वृद्धि हो जाती है, जिससे हड्डी का टी०बी०, कैंसर, शारीरिक विकृतियाँ तथा अंगों के समुचित विकास में असमानताएँ उत्पन्न हो जाती हैं। 

(ii) रेडिएशन के प्रभाव से त्वचा संबंधी रोग उत्पन्न हो जाते हैं।

(iii) नाभिकीय विस्फोटों से ओजोन की सुरक्षा परत का क्षय होता है।

(iv) रेडियोधर्मी पदार्थों के रेडिएशन से रक्त-कैंसर, बंध्यता, दृष्टिदोष आदि रोग हो सकते हैं। 

इस प्रकार हम देखते हैं कि मानव-जीवन पर इसका प्रतिकूल प्रभाव ही नहीं पड़ता, बल्कि जानलेवा प्रभाव भी पड़ता है।


4. परमाणु ऊर्जा से क्या लाभ है? वर्णन करें। 

उत्तर परमाणु ऊर्जा से अनेक लाभ हैं। नाभिकीय विखंडन अत्यधिक मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न होती है। यह ऊर्जा आर्थिक और सामाजिक विकास को नई गति दे सकती हैं। परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने में लगे खर्च के अनुसार यह शोदा महँगा तो अतना पडता है। लेकिन आज के मामले में हम आत्मनिर्भर बन सकते हैं।


 5. गैस रिसाव होने पर किस प्रकार की सावधानी रखनी चाहिए? 

उत्तर गैस रिसाव होने पर हमें निम्नलिखित सावधानियाँ रखनी चाहिए- 

(1) गैस रिसाव होने की स्थिति में सर्वप्रथम वहां मौजूद लोगों को स्पष्ट दिशा-निर्देश देने की जरूरत है कि ये वायु की उल्टी दिशा में जाएँ। 

(2) रासायनिक कारखानों में काम करनेवाले लोगों को मास्क और ग्लब्स, विशिष्ट डिजाइन के ट्राउजर और जूते की सुविधा भी अनिवार्य रूप से दी जानी चाहिए। 

(3) एक निश्चित अंतराल पर सभी लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण भी आवश्यक है। 

(4) गैस रिसाव से बचने के लिए कर्मियों तथा निकटवर्ती बस्तियों के लोगों को बचाने के लिए प्रबंधन को तात्कालिक और दीर्घकालिक दोनों प्रकार के प्रबंध करने चाहिए। 

उक्त सभी बातों पर ध्यान रखने से गैस रिसाव की स्थिति में काफी हद तक सुरक्षित बचा जा सकता है।


6. रासायनिक आपदा के अन्तर्गत आनेवाली समस्याओं का वर्णन कीजिए। 

उत्तर रासायनिक आपदा के अन्तर्गत आनेवाली समस्याओं को मुख्यतः तीन वर्गों में बाँटकर वर्णन किया गया है, जो निम्नलिखित हैं- 

(1) विषैले रासायनिक उत्पाद से उत्पन्न छिपी हुई आपदाएँ- – ऐसी आपदा की जानकारी शीघ्र नहीं होती है। इसका प्रभाव सर्वाधिक रूप से कृषि उत्पाद पर देखने को मिलता है। रासायनिक खाद और कीटनाशक के प्रयोग से न सिर्फ मृदा के सूक्ष्म जीवों का विनाश होता है, वरन् उत्पाद विषैली हो जाती है। इसके लगातार उपयोग से कई प्रकार की बीमारियाँ उत्पन्न हो जाती हैं, जो जानलेवा साबित होते हैं। कभी-कभी कीटनाशक के प्रयोग से खेत और तालाब का जल जहरीला हो जाता है, जिससे पालतू पशु और मनुष्य दोनों उसके शिकार हो जाते हैं। 

इस प्रकर की आपदा से महानगर भी नहीं बच निकलते। वहाँ भी लोगों के श्वसन नली, त्वचा, आँख और अन्य संवेदनशील अंग इससे प्रभावित होते हैं। इतना ही नहीं, वायुमंडल भी इससे प्रभावित होते हैं। अम्लवर्षा से वनस्पति, मृदा, जल आदि में अम्ल की मात्रा में वृद्धि हो जाती है, जिससे मनुष्य के शरीर, फसल, वनस्पति, फल और मछलियाँ भी प्रभावित होती हैं। 

(2) रासायनिक युद्ध-सामग्री के उपयोग से उत्पन्न आपदा- युद्ध में रासायनिक आयुधों के अंतर्गत विभिन्न प्रकार की जहरीली गैसों का उपयोग होता है। इसके साथ ही विस्फोटक पदार्थ; जैसे-छोटे बमों में भी विषैली गैसें रहती हैं, जिनके उपयोग के बाद वातावरण विषैला हो जाता है। जर्मनी ने तो द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान गैस चैम्बरों में लाखों यहूदियों को मार डाला था । इराक में गैसीय आयुधों के भंडार के सन्देह में अमेरिका ने उसको तबाह कर दिया था। 

(3) रासायनिक औद्योगिक इकाइयों में रिसाव और कचरे से उत्पन्न आपदा – रासायनिक औद्योगिक इकाइयों में रिसाव भी बड़ी आपदा का रूप ले लेता है। भोपाल गैस त्रासदी इसका सबसे बड़ा उदाहरण है जहाँ 2-3 दिसम्बर, 1984 को मिथाइल आइसोसायनेट जैसी विषैली गैस का रिसाव हुआ था। यह औद्योगिक जगत् की सबसे बड़ी आपदा है। इसमें करीब 2000 लोगों की मृत्यु हुई और 10,000 से भी अधिक लोग अपंग हो गए। इसके प्रभाव से मरनेवालों की संख्या में 1989 तक वृद्धि होती रही । तूतीकोरिन में भी ऐसी ही घटना हुई थी, लेकिन इस घटना में बहुत कम लोग प्रभावित हुए थे।


7. जैविक अस्त्र क्या है ? इससे उत्पन्न समस्याओं का वर्णन कीजिए। 

उत्तरजैविक अस्त्र एक नया युद्धक अस्त्र है । इसे भारी विनाश का अस्त्र कहा गया है। इसके इस्तेमाल से निर्दोष नागरिक तथा पशु तो प्रभावित होते ही हैं, पेड़-पौधे भी कुप्रभावित होने लगते हैं। इसे अब महान अमानवीय अस्त्र माने जाना लगा है। इन अस्त्रों की तकनीक का विकास जापानियों द्वारा किया गया, लेकिन जैविक अस्त्रों का वास्तविक प्रयोग 2001 ई. में संयुक्त राज्य अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेन्टर पर आतंकी हमले के बाद से प्रारंभ हुआ। 

जैविक अस्त्र से उत्पन्न समस्याओं का वर्णन करना बहुत ही कम होगा, क्योंकि यह इतना महान विनाशकारी है कि क्षणमात्र में ही व्यक्ति और अन्य जीव- जन्तु काल की गाल में समा जाते हैं। ऐंथ्रेक्स नामक जीवाणु को अमेरिका के महत्त्वपूर्ण सामरिक क्षेत्रों में डाक-सेवा द्वारा या अनजान व्यक्तियों द्वारा पहुँचाया जाने लगा। ऐंथ्रेक्स एक ऐसा सूक्ष्मजीवाणु है, जो श्वसन तंत्र द्वारा शरीर के अंदर पहुँचकर एक प्रकार का जहर उत्पन्न कर देता है तथा एक भारी त्रासदी को जन्म देता है। ऐंथ्रेक्स के अलावे और कई जीवाणु जैविक अस्त्रों के अंतर्गत उपयोग में लाये जाते हैं। जैसे रुग्णता लानेवाला जीवाणु । जैविक अस्त्र अब एक ऐसा अस्त्र समझा जाने लगा है, जिससे शीघ्र पार पाना मुश्किल है, लेकिन इतना तो अवश्य कहा जायेगा कि इसके निर्माणकर्ता व प्रयोगकर्ता दोनों ही मानव के हितैषी ।


8. जैविक आपदा कितने प्रकार के हैं? उनका संक्षिप्त विवरण दें। 

उत्तर जैविक आपदा को चार वर्गों में विभाजित किया गया है, जो निम्नांकित है- 

(i) प्रथम वर्ग में उन बीमारियों को रखा गया है, जिनके जीवाणु और वायरस हैं। ये जीवाणु और वायरस हैं— चिकेन पॉक्स, केनिन हेपेटाइटिस आदि । 

(ii) इसके अंतर्गत भी वैसी बीमारियों को रखा गया है, जिनकी उत्पत्ति का कारण सूक्ष्म जीवाणु और वायरस है। ये बीमारियाँ हैं हेपेटाइटिस A, B और C इन्फ्लूएंजा, चिकेन पॉक्स और एड्स आदि । 

(iii) तीसरे वर्ग में भी सूक्ष्मजीवाणु और वायरस को रखा गया है, जो मानव – समूह के लिए विनाशकारी आपदा ला सकता है। इसके अंतर्गत ऐश्वेवस, स्मॉल पॉक्स, मलेरिया, हैजा, डायरिया आदि प्रमुख हैं। 

(iv) चौथे वर्ग में अतिविनाशकारी वायरस को रखा गया है। जैसे- बोलिवियन तथा अर्जेटियन बुखार तथा बर्ड फ्लू, एड्स ।


9. जैविक आपदा से बचाव के उपाय बताएँ । 

उत्तर जैविक आपदा से बचाव का उपाय करना जितना हम सरल समझते हैं, उतना ही कठिन है, फिर भी हम कुछ खास सावधानी बरतकर कुछ हद तक बचाव के उपाय कर सकते हैं, जो निम्नांकित हैं— (1) अज्ञात व्यक्ति द्वारा भेजे गये पार्सल या पत्र को बिना सोच-समझे स्पर्श नहीं करें। इसे जाँच दल के जिम्मे कर दें। (2) स्वच्छ जल एवं गर्म भोजन ग्रहण करें। (3) सुरक्षात्मक दवा का छिड़काव अवश्य कराएँ। (4) प्रशासनिक प्रतिबद्धता को शीघ्रता से तथा मजबूती लागू करें। (5) यदि पत्र – पार्सल आदि को छूना आवश्यक है, तो ग्लव्स का उपयोग करें । इन सावधानियों को बरतने से मनुष्य बहुत हद तक अपना बचाव कर सकता है। अतः सरकारी तौर पर ऐसे सख्त कानून की भी जरूरत है, जो जैविक अस्त्रों के प्रयोग पर प्रतिबंध लगा सके। इसके लिए अंतर्राष्ट्रीय प्रयास भी आवश्यक है।


10. आग से उत्पन्न आपदा के अंतर्गत आग लगने के कारणों तथा रोकथाम के उपायों का विस्तृत वर्णन करें। 

उत्तरआग से उत्पन्न आपदा मानवजन्य आपदाओं में से एक है। प्रायः देखा जाता है कि मानवीय भूल से आग लगाने पर जान-माल की भारी क्षति होती है।

आग लगने के अनेक कारण हैं, जो निम्नांकित हैं—

(1) खाना पकाते समय लगनेवाली आग,

(2) होटर से लगनेवाली आग,

(3) अतिभारण (शॉर्ट सर्किट) से लगनेवाली आग,

(4) बीड़ी-सिगरेट से लगनेवाली आग,

(5) कूड़ा-कर्कट से लगनेवाली आग,

(6) कल-कारखाने में रखी पैकिंग सामग्री से लगनेवाली आग,

(7) तेल, जैसे- किरोसिन, डीजल, पेट्रोल से लगनेवाली आग। 

आग लगने की रोकथाम के लिए निम्नलिखित उपाय हैं—

(1) घर के भीतर अत्यधिक ज्वलनशील पदार्थ न रखें।

(2) प्रत्येक घरों में अग्निशमन यंत्र रखें और इसे इस्तेमाल करने के लिए घर के प्रत्येक व्यक्ति को प्रशिक्षित करें।

(3) घर से बाहर निकलते समय बिजली के सभी उपकरणों को बन्द करे।

(4) खाना बनाने के पश्चात् गैस के नॉब को बन्द करना न भूलें।

(5) आग लगने की स्थिति में घर से बाहर निकलने का रास्ता सदैव याद रखें।

(6) एक ही सॉकेट में बहुत सारे उपकरण न लगाएँ।

(7) आलमारी लगाकर प्रवेश मार्ग को बंद नहीं करे।

(8) जिस घर में धुआँ हो, वहाँ हाथ-पैर या पेट के बल रंगकर चलने का प्रयास करें।


11. आतंकवाद क्या है ? आतंकवादी आपदा से बचाव के उपायों का विस्तृत वर्णन करें। 

उत्तर आतंकवाद मानवजनित वह आपदा हैं, जो हिंसात्मक मार्ग से राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति चाहता है । यह राजनीति से प्रेरित हिंसा होती है। इसका एकमात्र उद्देश्य होता है— वर्तमान शासन-व्यवस्था को ध्वस्त कर अपनी शासन व्यवस्था कायम करना । विश्व के अधिकतर बड़े आतंकवादी संगठन राजनीतिक सीमा के अंतर्गत कार्य नहीं करते हैं, बल्कि वे एक से अधिक क्षेत्रों में कार्य करते हैं। आतंकवादी अपने देश के हैं या बाहर के, यह पता करना थोड़ा मुश्किल तो जरूर है, लेकिन दोनों का कार्य हिंसात्मक बारदात करना ही है। 

हम सभी जानते हैं कि आतंकवादी हमलों में प्रायः बम, ग्रेनेड जैसे घातक हथियारों का प्रयोग किया जाता है। इससे बचाव के लिए निम्नलिखित उपाय आवश्यक हैं— 

(1) यदि अचानक कोई गठरी या थैला मिल जाय, तो उसे छूना नहीं चाहिए, बल्कि पुलिस को तत्काल सूचित करना चाहिए । 

(2) यदि आपको किसी व्यक्ति की गतिविधियों पर शक हो, तो उसकी सूचना तुरंत पुलिस को दें। यदि आप पुलिस तक नहीं जा सकते हैं, तो इसकी सूचना अपने शिक्षक या अभिभावक को दें। 

(3) अपने मकान में किरायेदार रखने के पूर्व उसका सही शिनाख्त करे। और फोटोग्राफ़ सहित उनकी जानकारी अपने पास रखें। 

(4) सरकार द्वारा आतंकवाद की जाल में फँसे लड़कों को यह आश्वासन देना चाहिए कि यदि वे हिंसा का मार्ग त्याग कर आम लोगों के साथ जीना प्रारंभ करते हैं, तो उनके ऊपर दंडात्मक कार्यवाही नहीं होगी, बल्कि क्षमादान के साथ-साथ रोजगार के लिए आर्थिक सहायता भी दी जायेगी। 

(5) विद्यालय में बच्चों को आतंकवाद से उत्पन्न समस्याओं की जानकारी देनी चाहिए।


12. आपदा प्रबंधन के लिए समुदाय में किन अच्छे गुणों का होना आवश्यक है ? 

उत्तर आपदा प्रबंधन के लिए समुदाय में निम्नलिखित अच्छे गुणों का होना अनिवार्य है- 

(1) समुदाय के सदस्य सदैव समुदाय की भलाई के बारे में सोचे। (2) समुदाय द्वारा जब सामूहिक कार्य के लिए टीम का गठन हो, तो उसे कामचोर लोगों से बचाना चाहिए। उसमें परिश्रमी और साहसी लोग ही आपदा का सामना कर सकते हैं। 

(3) उसमें जात-पाँत और धर्म-आधारित भेदभाव नहीं होने चाहिए। जब आपदा अपने प्रकोप में विभेद नहीं करती है, तो सबों में यह भावना विकसित होनी चाहिए कि एकजुट होने से ही आपदा का प्रभाव कम हो सकता है। समुदाय के हर व्यक्ति को सजग रहना चाहिए कि वे संभावित आपदा की जानकारी शीघ्र ही एक-दूसरे को दें। इस प्रकार की जानकारी देने से कई बार जाति और सांप्रदायिक दंगे रुके हैं। इससे अफवाह फैलानेवाले नौ-दो ग्यारह हो जाते हैं और मानवजनित आपदा पर सामुदायिक प्रबंधन भारी पड़ जाता है।

(4) समुदाय के लोगों में उत्साह, साहस और आवश्यकतानुसार सख्ती के प्रयोग की क्षमता होनी चाहिए। 

(5) हर व्यक्ति को बहुत सारे निजी कार्य होते हैं, लेकिन सामुदायिक आपदा के सामने निजी कार्य को गौण समझते हुए इसका सामना करने हेतु आगे आना चाहिए।


13. आपदा प्रबंधन में समुदाय की केन्द्रीय भूमिका का वर्णन करें। 

उत्तर आपदा प्रबंधन में समुदाय की अहम केन्द्रीय भूमिका होती है। आपदा का रूप कोई भी क्यों न हो, उसका विनाशकारी प्रभाव जान-माल पर पड़ता हो है। आपदा का पहला झटका मनुष्य को लगता है और मनुष्य ही आपदा को पहला झटका देता है, जब वह आपदा को न्यून करने का सामुदायिक प्रयास प्रारंभ करता है। आपदा से होनेवाले वास्तविक ह्रास का सही अनुमान समुदाय ही लगा सकता है। आपदा प्रबंधन के लिए जो भी आकस्मिक सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाती हैं, उनके वितरण में प्रत्येक परिवार तक उसके लाभ को पहुँचाने में समुदाय की केन्द्रीय भमिका होती है। समुदाय ही आपदा के पूर्वानुमान की जानकारी देता है और समुदाय के लोग ही सबसे पहले आपदा का सामना करते हैं। आपदा में मकान डोल सकते हैं, घरें गिर सकती हैं, बाढ़ आ सकती है, लेकिन समुदाय नहीं टूट सकता है। समुदाय सुख-दुःख का साथी होता है और भारत जैसे ग्रामीण देश में आपदा प्रबंधन की सबसे बड़ी जिम्मेदारी समुदाय की होती है प्रशासनिक प्रबंधन – कार्य और स्वयंसेवी संस्थाओं का प्रबंधन – कार्य भी सामुदायिक नेतृत्व के माध्यम से ही सफलतापूर्वक सम्भव होता है।


14. ग्रामीण आपदा प्रबंधन समिति के कार्यों का विस्तृत वर्णन कीजिए। 

उत्तर ग्रामीण आपदा प्रबंधन समिति के निम्नलिखित कार्य हैं. 

(1) पूर्वानुमान के अनुसार चेतावनी एवं सूचना देना — यह प्रबंधन समिति जिला मुख्यालय से प्राप्त सूचनाओं को तत्काल लोगों तक पहुँचायेगा। 

(2) राहत शिविर का चयन और प्रभावित लोगों को राहत पहुँचाने का कार्य — इसी के साथ जिला प्रशासन को सूचित करेगा और आगजनी है, तो दमकल को सूचित करेगा । 

(3) राहत कार्य – मुख्य रूप से लोगों को भोजन एवं पेयजल उपलब्ध कराना। 

(4) प्राथमिक उपचार – – प्राथमिक उपचार की व्यवस्था करना । 

(5) सभी को सुरक्षा देना — महिला एवं बच्चों पर विशेष रूप से ध्यान देना। 

(6) स्वच्छता का ख्याल रखना – स्वच्छता रखने से विभिन्न प्रकार की बीमारी नहीं फैलती है।


15. आपदा प्रबंधन में समुदाय की भागीदारी को कैसे सुनिश्चित किया जा सकता है ? 

उत्तरआपदा प्रबंधन में समुदाय की भागीदारी को तभी सुनिश्चित किया जा सकता है, जब संभावित आपदा की सूचना अधिक से अधिक लोगों को प्राप्त हो सके। इसके लिए निम्नलिखित विधियों से ग्रामपंचायत प्रशासनिक व्यवस्था, स्वयंसेवी संस्था तथा प्रगतिशील व्यक्ति स्वयं आगे बढ़कर लोगों की भागीदारी सुनिश्चित कर सकते हैं- 

(1) निकटतम विद्यालय में विद्यार्थियों के बीच यह घोषित करना कि बाढ़ अथवा आँधी की संभावना है, इसलिए घर में लोगों को सचेत कर देना। 

(2) मंदिर, मस्जिद या गिरिजाघर में जाकर प्राकृतिक अथवा मानवजनित संभावित आपदाओं की जानकारी देना। यह जानकारी उस समय उचित होगा, जब प्रार्थना के लिए अधिक-से-अधिक लोग उपस्थिति हो । यदि आवश्यक हो, तो धर्मस्थल में लगे हुए सार्वजनिक उद्घोषणा के द्वारा भी जानकारी दी जा सकती है। 

(3) वैसे परिवारों की सूची बनाना, जहाँ अत्यधिक उम्र के वृद्ध, शिशु, गर्भवती महिला, बीमार और विक्षिप्त लोग हों। ऐसे लोगों के विस्थापन हेतु विशेष दल का गठन करना। 

(4) पंचायत भवन और गाँव के विद्यालय में राहत शिविर के लिए आपातकालीन व्यवस्था करना, जिसमें खान-पान के अतिरिक्त नाव, तैरनेवाले जैकेट, चिकित्सक और अभियंताओं की व्यवस्था करना ।

(5) आगजनी, महामारी, जाति और सांप्रदायिक तनाव और ओला वृष्टि जैसी आपदा में परिवहन की व्यवस्था रखना, जो सम्बंधित अधिकारी तक मोबाइल अथवा फोन नहीं रहने पर सूचना पहुँचा सके।


Class 9th Geography Chapter Wise Short & Long Question | भारत : भूमि एवं लोग (भूगोल) चैप्टर नाम- आपदा प्रबंधन : एक परिचय (Disaster Management : An Introduction) 


  • 9th Class Objective Questions in Hindi
  • Social Science – सामाजिक विज्ञान Objective Question Class 9th
  • Class 9th Economics Objective Question
  • 9th Social Science – सामाजिक विज्ञान Objective Question

Class 9th Exam Social Science – सामाजिक विज्ञान All Chapter Ka Important Objective Question On New Pattern


Important Links-
Class 9th CLICK
Class 10th CLICK
Class 12th CLICK
Join Telegram Channel CLICK
Join Youtube Channel CLICK
Instagram Link CLICK

  • Social Science – सामाजिक विज्ञान Objective Question
  • Bihar Board 9th Objective Question
  • Class 9th All Chapter Objective Question
  • Class 9th Social Science – सामाजिक विज्ञान VVI Objective Question
  • Class 9th Geography Chapter Wise Short & Long Question

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *