Class 9th Geography (भूगोल) Subjective Question

Class 9th Geography Chapter Wise Short & Long Question | भारत : भूमि एवं लोग (भूगोल) चैप्टर नाम- क्षेत्रीय अध्ययन (Regional Study )


Class 9th – कक्षा 9वीं

विषय – भारत : भूमि एवं लोग (Geography)

Objective Question (वस्तुनिष्ठ प्रशन)

चैप्टर का नाम- क्षेत्रीय अध्ययन (Regional Study ) 


लघु उत्तरीय प्रश्न⇒


1. भौगोलिक अध्ययन में क्षेत्रीय अध्ययन के महत्व को स्पष्ट करें। 

उत्तर भौगोलिक अध्ययन में क्षेत्रीय अध्ययन से तात्पर्य है कि हम क्षेत्र – विशेष में रहनेवाले मानव और उनके परिवेश के बारे में जानकारी हासिल करें। अलग-अलग क्षेत्रों की सामाजिक, सांस्कृतिक तथा आर्थिक परिस्थितियों में अंतर पाया जाता है। किसी विशिष्ट क्षेत्र में निवास करनेवाले लोगों के जीवन पर स्थलाकृति, जलवायु, अपवाह, कृषि उत्पादकता, औद्योगिक विकास, नगरीकरण इत्यादि का स्पष्ट प्रभाव पड़ता है। लोगों के रहन-सहन का तरीका इन सभी तत्वों से जुड़ा हुआ है। मानवीय गतिविधियाँ भी अपने परिवेश पर प्रभाव डालती हैं। इन सभी बातों को समझने के लिए भौगोलिक अध्ययन में क्षेत्रीय अध्ययन आवश्यक है।


2. भूमि का कृषि के लिए उपयोग किस क्षेत्र में अधिक होता है ? 

उत्तर भूमि का कृषि के लिए उपयोग मुख्यतः ग्रामीण क्षेत्र में अधिक होता है। गाँव वहीं बसते हैं, जहाँ कृषि कार्य की सुविधा होती है, क्योंकि मनुष्य को पहली आवश्यकता भोजन है। ग्रामीण क्षेत्रो में कृषक रहते हैं और वे ही वहाँ की भूमि का उपयोग कृषि कार्य के लिए करते हैं।


3. वायु प्रदूषण से किस प्रकार की हानि होती है ? 

उत्तर वायु प्रदूषण से मनुष्य मुख्यतः श्वास से संबंधित रोगों से ग्रसित हो जाता है। श्वास रोग के अंतर्गत आनेवाले प्रमुख रोग हैं- दमा (दम फूलना), क्षय रोग (टी०बी०), उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर), निम्न रक्तचाप (लो ब्लड प्रेशर), आदि। इनमें उच्च रक्तचाप से तो लकवा, बेन हैमरेज या हार्ट अटैक (हृदय गति रुकना) भी हो सकते हैं। इस प्रकार हम देखते हैं कि वायु प्रदूषण से सिर्फ मामूली हानि ही नहीं होती है, बल्कि जानलेवा खतरा भी उत्पन्न हो सकता है।


4. जल प्रदूषण से होनेवाली हानि की चर्चा करें। 

उत्तर  जल-प्रदूषण का भी स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। प्रदूषित जल पीने से हैजा, टाइफायड, मिचली, जौडिस आदि रोग हो जाते हैं। इतना ही नहीं, इसका प्रभाव जलीय जीव-जन्तु पर भी पड़ता है। वे भी प्रदूषित जल में अधिक समय तक जीवित नहीं रह सकते हैं। इस प्रकार हम देखते हैं कि जल-प्रदूषण से जन-जीवन को बहुत हानि पहुँचती है।


5. वर्षा जल का संग्रहण किस प्रकार किया जाता है ? 

उत्तर वर्षा जल का संग्रहण निम्नलिखित तरीके से किया जा सकता है-

(i) पानी को विभिन्न प्रकार के भवनों की छतों से वर्षा जल को एकत्रित करके संग्रहण किया जा सकता है। 

(ii) वर्षा जल को चार्जिंग पिट द्वारा किसी गड़ा या तालाब में एकत्रित करके उसका उपयोग बाद में किया जा सकता है। 

(iii) बाढ़ या भारी वर्षा के कारण ऊपरी जल को गड्ढा या नदियों में एकत्रित कर जल संग्रहण किया जा सकता है। ध्यान रहे कि एकत्रित जल को प्रदूषित होने से बचाना है, ताकि इनका बाद में उपयोग संभव हो सके।


6. क्षेत्रीय अध्ययन से क्या समझते हैं ? 

उत्तर क्षेत्रीय अध्ययन एक ऐसा उपागम है, जिसके द्वारा उस क्षेत्र में निवास करनेवाले लोगों के रहन-सहन, कृषि कार्य, पशुपालन तथा अन्य बातों की जानकारियाँ प्राप्त होती हैं। इससे क्षेत्र विशेष के आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक बातों के अतिरिक्त वहाँ की स्थलाकृति, जलवायु, अपवाह तथा औद्योगिक विकास की भी जानकारी प्रात होती हैं।


7. क्षेत्रीय अध्ययन के क्या लाभ हैं? 

उत्तर क्षेत्रीय अध्ययन भूगोल का एक महत्त्वपूर्ण अंग है। इससे अनेक ‘लाभ है, जैसे किसी क्षेत्र विशेष में कृषि का प्रकार, भूमि का प्रकार, जल का बहाव, भौम जल स्तर की स्थिति, जनसंख्या घनत्व, लोगों के रहन-सहन का स्तर, उपज की स्थिति तथा किस्म आदि सभी तथ्यों को जानकारी प्राप्त होती है। यदि उनको चार्ट में प्रदर्शित किया जाए, तो अनेक लोग लाभान्वित होंगे।


8. अध्ययन के लिए क्षेत्र का चयन करते समय किन विन्दुओं पर ध्यान देना चाहिए? 

उत्तर क्षेत्र का चयन करते समय निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान देना चाहिए – (i) जलवायु, (ii) स्थलाकृति, (iii) कृषि-उत्पादकता, (iv) अपवाह, (v) नगरीकरण, (vi) औद्योगिक विकास, (vii) आवागमन के साधन तथा (viii) आर्थिक विषयों से सम्बन्धित तथ्य, आदि ।


Class 9th Geography Chapter Wise Short & Long Question | भारत : भूमि एवं लोग (भूगोल) चैप्टर नाम- क्षेत्रीय अध्ययन (Regional Study )


दीर्घ उत्तरीय प्रश्न⇒


1. क्षेत्र – अध्ययन के लिए प्रश्नावली की विभिन्न विधियों की चर्चा करें। 

उत्तर क्षेत्र अध्ययन के लिए प्रश्नावली को विभिन्न विधियाँ निम्नलिखित हैं- 1. क्षेत्रीय अध्ययन की कार्यविधि, 2. प्रश्नावली 3. भूमिगत जल स्तर में गिरावट के कारण, 4. भूमिगत जल स्तर को बढ़ाने के उपाय तथा 5. भूमि – उपयोग के रूप में परिवर्तन । 

(1) क्षेत्रीय अध्ययन की कार्य-विधि – इसके लिए सबसे पहले क्षेत्र में जाकर क्षेत्र का अवलोकन किया जाता है। अध्ययन के उद्देश्य को आधार मानकर सभी पहलुओं पर विचार किया जाता है तथा सम्बन्धित प्रश्नावली तैयार करते हैं। प्रश्नावली में जो लिखित सूचनाएँ प्राप्त होती हैं, उन्हें एकत्रित कर अध्ययन एवं विश्लेषण किया जाता है। 

(2) प्रश्नावली – इस विधि में लोगों से प्रश्न पूछे जाते हैं। सर्वेक्षण के लिए अनेक प्रकार के प्रश्न पूछे जा सकते हैं। प्रश्नों की प्रकृति वांछित आँकड़ों की प्रकृति तथा वहाँ के लोगों की पृष्ठभूमि पर निर्भर करती है। कुछ प्रश्नों के उत्तर हाँ या नहीं में हो सकते हैं। जैसे- क्या आप नौकरी करते हैं? इस प्रश्न का उत्तर हाँ या नहीं में हो सकता है। 

(3) भूमिगत जल स्तर में गिरावट के कारण – जनसंख्या में वृद्धि तथा उद्योगों के साथ ही कृषि के विकास के कारण जल की खपत बढ़ी है। सिंचाई के लिए गहरे ट्यूबवेल लगाकर जल का शोषण किया जाता है। नगरों में सीवर सिस्टम में भी जल की खपत बढ़ी है। गाँव में भी सेप्टिक पाखानों की बढ़ोत्तरी हो रही है। जहाँ पहले एक लोटा पानी लगता था, वहीं आज एक बड़ी बाल्टी पानी का व्यय करना पड़ता है। 

(4) भूमिगत जल स्तर को बढ़ाने के उपाय — भूमिगत जल स्तर को बढ़ाने का एक ही उपाय है— वर्षा जल को किसी भी रूप में या किसी तरह भूमि के अंदर पहुँचाना। इसके लिए चार्जिंग पिट बनाकर और वाटर हारवेस्टिंग विधि से भूमिगत जल स्तर को बढ़ाया जा सकता है। 

(5) भूमि के उपयोग के रूप में परिवर्तन — भूमि उपयोग के क्षेत्रीय अध्ययन के लिए पूरे गाँव को या उसके किसी टोले को लिया जा सकता है। उसके भूमि उपयोग का सर्वेक्षण करते समय ‘भूकर मानचित्र’ में सभी प्रकार की भूमि को दिखाना आवश्यक है। खेतों के आकार व संख्या को दर्शाना आवश्यक है। भूमि का उपयोग किस अन्न के उत्पादन के लिए हो रहा है, यह दिखाना भी जरूरी है। इसके लिए अन्न के नाम का पहला अक्षर उपयोग में लाया जा सकता है।


2. वायु प्रदूषण के चार स्रोतों का वर्णन करें। 

उत्तर वायुमंडल में अवांछित एवं हानिकारक पदार्थों के जमा होने से। वायुमंडल की गुणवत्ता में होनेवाली कमी को वायु प्रदूषण कहते है। वायु प्रदूषण के मुख्य चार स्रोत निम्नलिखित है- 

(1) उद्योगों से निकलनेवाली गैस/धुआँ या अन्य अपशिष्ट पदार्थ- बड़े-बड़े उद्योगों में कल-कारखानों के चलने से धुआँ उत्सर्जित होता है, साथ-ही-साथ कणीय पदार्थ भी निकलते हैं, जो वायु की गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं। 

(2) वाहनों की संख्या में वृद्धि – आज न केवल नगरों में, बल्कि गाँवों में भी डीजल / पेट्रोल चालित वाहनों की संख्या में वृद्धि हो रही है, जिससे वायु प्रदूषित हो रही है। 

(3) वायुमंडल में तैरते धूलकण – वाहनों के चलने से या लोगों के पैर से उड़नेवाले धूल-कण के कारण भी वायु प्रदूषित हो रही है। 

(4) तीव्र गति से चालित वाहनों द्वारा मृदा का अपरदन – तीव्र गति से चालित वाहनों द्वारा मृदा का अपरदन होता है और साथ ही वायु प्रदूषित होता है। वृक्षों के कट जाने से भी यह क्रिया तीव्र हो गई है।


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