Class 9th Geography (भूगोल) Subjective Question

Class 9th Geography Chapter Wise Short & Long Question | भारत : भूमि एवं लोग (भूगोल) चैप्टर नाम- भौतिक स्वरूप : संरचना एवं उच्चावच (Physical Form : Structure & Relief)


Class 9th – कक्षा 9वीं

विषय – भारत : भूमि एवं लोग (Geography)

Objective Question (वस्तुनिष्ठ प्रशन)

चैप्टर का नाम- भौतिक स्वरूप : संरचना एवं उच्चावच (Physical Form : Structure & Relief) 


लघु उत्तरीय प्रश्न⇒


1. हिमालय की तीन समांतर श्रेणियों के नाम लिखें। 

उत्तर ⇒ हिमालय की तीन समान्तर श्रेणियों के नाम हैं—

(1) आंतरिक हिमालय (महान) या हिमाद्रि,

(2) लघु हिमालय या मध्य हिमालय तथा

(3) बाह्य हिमालय या शिवालिक श्रेणी ।


2. काराकोरम के सबसे ऊँचे पर्वत शिखर का क्या नाम है ? 

उत्तर ⇒ काराकोरम के सबसे ऊँचे पर्वत शिखर का नाम है— के2 (माउंट गाडविन आस्टिन)


3. कौन-सा तटीय मैदान अपेक्षाकृत अधिक चौड़ा है ? 

उत्तर ⇒ भारत के दक्षिण के पठार के पूर्वी तटीय मैदान पश्चिमी तटीय मैदान की अपेक्षा अधिक चौड़ा है। इसकी चौड़ाई 160 से 350 किमी तक है।


4. तटीय मैदान में स्थित तीन झीलों के नाम लिखें। 

उत्तर ⇒ तटीय मैदान में स्थित तीन झीलों के नाम हैं—

(1) बेम्बनाड झील,

(2) पुलिकट झील (तमिलनाडु),

(3) चिल्का झील (ओडिशा) ।


5. पश्चिमी घाट पर्वत का दूसरा नाम क्या है ? 

उत्तर ⇒ सहयाद्रि की पहाड़ियाँ ।


6. मध्य गंगा के मैदान की चार विशेषताएँ वताएँ। 

उत्तर ⇒मध्य गंगा के मैदान की चार विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

(1) यह मैदान सबसे अधिक उपजाऊ है।

(2) यह घनी जनसंख्या वाला मैदान है।

(3) इस जमीन की ढाल पश्चिम से पूर्व की ओर है।

(4) इस मैदान की मिट्टी जलोढ़ है।


7. हिमालय और प्रायद्वीपीय पर्वतों के दो प्रमुख अंतर बताएँ । 

उत्तर ⇒ हिमालय और प्रायद्वीपीय पर्वतों के दो प्रमुख अंतर निम्नलिखित हैं—

(1) हिमालय पर्वत का विस्तार पश्चिम से पूर्व की ओर है, लेकिन प्रायद्वीपीय पर्वतों का विस्तार उत्तर से दक्षिण की ओर है।

(2) हिमालय एक नवीन वलित पर्वत है, जबकि प्रायद्वीपीय पर्वत प्राचीन गोंडवाना भूमि का अंश है।


8. ‘खादर’ तथा ‘बांगर’ किसे कहते हैं ? 

उत्तर ⇒ खादर – नदी के मैदानी भाग का वह क्षेत्र, जहाँ बाढ़ का जल प्रतिवर्ष पहुँचकर नयी मिट्टी की परत को लाकर जमा कर देता है, ‘खादर’ कहलाता है। 

बांगर – गंगा के मैदान में जहाँ नदियों द्वारा पुरानी मिट्टी के ऊँचे मैदान बन गए हैं, वहाँ नदियों की बाढ़ का जल नहीं पहुँच पाता है, उसे ‘बांगर’ कहते हैं।


9. पूर्वी घाट पर्वत तथा पश्चिमी घाट पर्वत में अंतर बताएँ । 

उत्तर ⇒ पूर्वी घाट पर्वत तथा पश्चिमी घाट पर्वत में अंतर

पूर्वी घाट  पश्चिमी घाट
(i) पूर्वी घाट में जमीन की ढाल पूर्व की ओर होती है।   (i) पश्चिमी घाट में जमीन की ढाल पश्चिम की ओर होती है।
(ii) इसकी ऊँचाई अपेक्षाकृत कम है।  (ii) इसकी ऊँचाई अपेक्षाकृत अधिक है। 
(iii) इसकी सर्वोच्च चोटी महेन्द्रगिरि (1501 मीटर) है।  (iii) इसकी सर्वोच्च चोटी अन्नामुदी (2695 मीटर) है। 
(iv) दक्षिण भारत में कावेरी नदी, पूर्वी घाट को काटकर होजकल जलप्रपात बनाती है।  (iv) शरावती नदी पर भारत का सर्वोच्च जलप्रपात जोग या गरसोपा स्थित है। 

10. भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी कहाँ स्थित है ? 

उत्तर ⇒ भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी अंडमान तथा निकोवार द्वीपसमूह के बैरन द्वीप पर स्थित है।


11. विश्व का सबसे बड़ा नदीय द्वीप माजोली किस नदी और किस राज्य में है ? 

उत्तर ⇒ विश्व का सबसे बड़ा द्वीप माजोली बापुत्र नदी में है, जो असम राज्य में स्थित है।


Class 9th Geography Chapter Wise Short & Long Question | भारत : भूमि एवं लोग (भूगोल) चैप्टर नाम- भौतिक स्वरूप : संरचना एवं उच्चावच (Physical Form : Structure & Relief)


दीर्घ उत्तरीय प्रश्न⇒


1. उत्तर के विशाल मैदान की विशेषताओं को लिखें। 

उत्तर ⇒ भारत के विशाल मैदान सिंधु, गंगा तथा ब्रह्मपुत्र और उसकी सहायक नदियों से बना मैदान है। इसे सिंधु, गंगा तथा ब्रह्मपुत्र का मैदान भी कहा जाता है। इसकी कुछ खास विशेषताएँ हैं, जो निम्नलिखित हैं- 

(1) यह मैदान जलोढ़ मिट्टी से बना है, (2) यह भारत का ही नहीं, बल्कि विश्व का सबसे अधिक उपजाऊ और घनी जनसंख्या वाला मैदान है, (3) यह 7 लाख वर्गकिलोमीटर से अधिक क्षेत्रफल में फैला हुआ है, (4) पश्चिम से पूर्व तक इसकी लंबाई 2400 किलोमीटर है और 150 से 500 किलोमीटर चौड़ा है, (5) पश्चिमी मैदान की ढाल उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम और पूर्वी मैदान की ढाल उत्तर-पश्चिम से दक्षिण – पूरब की ओर है।


 2. प्रायद्वीपीय पठार को विभाजित कर किसी एक की चर्चा विस्तार से करें। 

उत्तर ⇒ प्रायद्वीपीय पठार या दक्षिण पठार आकृति की दृष्टि से त्रिभुजाकार है तथा यह प्राचीन गोंडवाना भूमि का अंश है। इसे मुख्यतः दो भागों में बाँटा गया है। (i) मध्य उच्चभूमि और (ii) दक्कन का पठार । 

दक्कन का पठार- दक्कन के पठार को दक्कन टैग भी कहा जाता है। यह लावा द्वारा निर्मित है और लगभग 5 लाख वर्गकिलोमीटर में फैला हुआ है। इसके अंतर्गत मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र के अधिकांश भाग, पश्चिमी आन्ध प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु राज्य के अधिकतर भाग आते हैं। यहाँ लावा की अनुमानित गहराई 2,134 मीटर तक आँकी गई है, लेकिन पूरब और पश्चिम की ओर इसकी गहराई अपेक्षाकृत कम है। 

पश्चिमी घाट पर्वत उत्तर में तापी नदी के बाएँ तट से प्रारंभ होकर दक्षिण में कन्याकुमारी अंतरीप तक 1600 किमी की लंबाई में फैला हुआ है, जिसे सह्याद्रि की पहाड़ियाँ भी कहते हैं । यहाँ चार प्रमुख दरें उत्तर से दक्षिण क्रमशः थालघाट, भोरघाट, पालघाट और शिकोहा हैं। 

दक्षिण की ओर पश्चिमी घाट पर्वत नीलगिरि की पहाड़ियों द्वारा पूर्वी घाट से मिल जाता है । पूर्वी समुद्रतटीय मैदान के समान्तर महानदी की घाटी से दक्षिण में नीलगिरि तक दक्षिण पूर्वी दिशा में 1800 किलोमीटर की लंबाई में पूर्वी घाट पर्वत फैले हुए है। यह पश्चिमी घाट से बिल्कुल भिन्न है।


3. हिमालय पर्वत श्रृंखला की विशेषताओं का वर्णन करें। 

उत्तर ⇒ हिमालय पर्वत वलित पर्वत शृंखला है। ये पर्वत श्रृंखलाएँ पश्चिम से पूर्व दिशा में सिन्धु और ब्रहापुत्र के बीच करीब 2500 किमी की लंबाई में अर्द्धवृत्त (चाप) के रूप में फैली हुई हैं। इसका क्षेत्रफल लगभग 5 लाख वर्गकिमी है। यह विश्व की सबसे ऊंची पर्वतश्रेणी है। इसकी चौड़ाई कश्मीर में 500 किमी एवं अरुणाचल प्रदेश में मात्र 160 किमी है। पश्चिमी भाग की अपेक्षा पूर्वी भाग की ऊँचाई में अधिक विविधता पाई जाती है और इसकी तीन समान्तर शृंखलाएँ निम्नलिखित हैं- 

(i) महान या आंतरिक हिमालय – यह सबसे अधिक सतत् शृंखला है, जिसकी औसत ऊँचाई 6100 मीटर है। इस श्रृंखला की विशेषता यह है कि इसमें हिमालय के सर्वाधिक ऊँचे प्रमुख शिखर शामिल हैं तथा महान हिमालय का ऊपरी भाग हमेशा बर्फ से ढंका रहता है।

(ii) लघु अथवा मध्य हिमालय – महान हिमालय के दक्षिण में स्थित श्रृंखला को लघु हिमालय कहते हैं। यह हिमालय की सबसे अधिक कटी -छंटी श्रृंखला है तथा इसका निर्माण अत्यधिक संपीड़न तथा परिवर्तित शैलों से हुआ है। इसकी ऊँचाई 1800 मीटर से 4500 मीटर के बीच तथा औसत चौड़ाई 50 किलोमीटर है। 

(iii) बाहरी हिमालय – हिमालय के सबसे दक्षिणी श्रृंखला को बाहरी हिमालय, उपहिमालय अथवा शिवालिक कहते है। यह हिमालय की सबसे निचली श्रृंखला है। यह पश्चिम में पोतवार के पठार से प्रारंभ होकर पूरब की ओर तिस्ता नदी तक फैला हुआ है। इसकी औसत ऊँचाई 1200 किमी है तथा चौड़ाई 10 से 50 किमी है। यह हिमालय – का सबसे नवीन पर्वतीय भाग है। इसमें कुछ विस्तृत घाटियाँ भी हैं, जिन्हें दून या द्वार कहते हैं। जैसे— देहरादून, कोटलीदून एवं पाटलीदून, बुटवाल, कांगड़ा घाटी इत्यादि होता है।


4. दक्कन के पठार का वर्णन कीजिए। 

उत्तर ⇒ दक्षिण का पठार तापी नदी के दक्षिण में त्रिभुजाकार रूप में फैला हुआ है। उत्तर-पश्चिम में सतपुड़ा एवं विंध्याचल, उत्तर में महादेव तथा मकालू, पूर्व में पूर्वी घाट तथा पश्चिम में पश्चिमी घाट इसकी सीमाएँ बनाते हैं। इस पठार की उत्पत्ति प्राचीन काल में ज्वालामुखी क्रिया द्वारा निःसृत लावा के जमने से हुई है। इस पठार की रचना प्राचीन रवेदार शैलों से हुई है। यह पठार पश्चिम में ऊँचा एवं पूर्व की ओर कम ढाल वाला है। दक्कन के पठार का एक भाग उत्तर-पूर्व में भी देखा जाता है, जिसे स्थानीय रूप से ‘मेघालय’ तथा ‘कार्बी एंगलौंग पठार’ के नाम से जाना जाता है। यह एक भ्रंश के द्वारा छोटानागपुर पठार से अलग हो गया है। पश्चिम से पूर्व की ओर महत्त्वपूर्ण श्रृंखलाएँ गारो, खासी तथा जयंतिया हैं। 

इस पठार की पश्चिमी सीमा पर पश्चिमी घाट तथा पूर्वी सीमा पर पूर्वी घाट की पहाड़ियाँ स्थित हैं। पश्चिमी घाट को ‘सहयाद्रि पर्वत’ भी कहते हैं । यह उत्तर में तापी नदी की घाटी से दक्षिण में कन्याकुमारी तक विस्तृत है। यह पर्वत उत्तर से दक्षिण दिशा में एक दीवार की भाँति खड़ा है, जिसे पार करना कठिन कार्य है । परन्तु इसमें कुछ दर्रे हैं, जिनके द्वारा इस पर्वत को पार किया जा सकता है। उत्तर से दक्षिण की ओर थालघाट, भोरघाट, पालघाट तथा शेनकोट गैप हैं। 

पश्चिमी घाट की औसत ऊँचाई 900 से 1600 मीटर है। पूर्वी घाट की औसत ऊँचाई 600 मीटर है। पश्चिमी घाट पूर्वी घाट की अपेक्षा ऊँचे हैं। पूर्वी घाट प्रायद्वीप के पूर्वी तट के समान्तर महानदी घाटी के दक्षिण में नीलगिरि तक लगभग 800 किलोमीटर लम्बाई में इनका विस्तार है। ये पश्चिमी घाट की भाँति श्रृंखलाबद्ध तथा अधिक ऊँचे नहीं हैं। पश्चिमी घाट की ऊँचाई उत्तर से दक्षिण की ओर बढ़ती जाती है। अनाईमुदी इसका सर्वोच्च शिखर है। समुद्र तल से इसकी ऊँचाई 2695 मीटर है। नीलगिरि में स्थित ‘डोडा बेटा’ का दूसरा स्थान है और इसकी ऊँचाई 2,633 मीटर है। पूर्वी घाट के दक्षिण-पश्चिम में जवादी तथा शिवराय की पहाड़ियाँ हैं। तमिलनाडु में स्थित उद्गमंडलम् जिसे ऊटी के नाम से जाना जाता है तथा कोडईकनाल दक्षिण भारत का प्रसिद्ध पर्वतीय नगर है। पूर्वी घाट का सबसे ऊँचा शिखर महेन्द्रगिरि है जिसकी ऊँचाई 1500 मीटर है। 

प्रायद्वीपीय पठार की एक विशेषता यहाँ पायी जाने वाली काली मिट्टी है। इसे ‘ दक्कन ट्रैप’ के नाम से जाना जाता है। इसका निर्माण ज्वालामुखीय उद्गार से निर्मित आग्नेय शैलों से हुआ है। इन शैलों का समय के साथ अपरदन हुआ है जिनसे काली मृदा का निर्माण हुआ है।


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