Class 9th History Chapter Wise Short Long Type Question | इतिहास की दुनिया चैप्टर नाम- “भौगोलिक खोजें” का प्रशन
Class 9th – कक्षा 9वीं
विषय – इतिहास की दुनिया
Short Long Question (लघु दीर्घ उत्तरीय प्रश्न)
चैप्टर का नाम- भौगोलिक खोजें (Geographical Discoveries)
लघु उत्तरीय प्रश्न ⇒
1. यूरोप में मध्यकाल को अंधकार का युग क्यों कहा जाता है ?
उत्तर⇒ राज्यकीय अव्यवस्था, जनसाधारण की शोचनीय स्थिति एवं शिक्षा तथा राष्ट्रीय भावना के अभाव, अंधविश्वास के कारण यूरोप में मध्यकाल को अंधकार का युग कहा जाता है। मध्यकाल में यूरोप में कोई केन्द्रीय शक्तिशाली सत्ता नहीं थी । सम्पूर्ण वातावरण अशांत एवं अस्थिर था। बैरन और सामंत लोगों की निरंकुशता के कारण जनसाधारण का जीवन दुःखमय था । शिक्षा-दीक्षा की कोई ठीक व्यवस्था नहीं थी। राजनीतिक कार्यों में पोप के हस्तक्षेप के कारण राष्ट्रीय भावना पनप नहीं पाई थी । धर्म का स्वरूप उदार एवं मानवीय नहीं था । पृथ्वी के बारे में ज्ञान अत्यल्प एवं अंधविश्वास से युक्त था। अतः मध्यकाल को अंधकार का युग कहना उचित प्रतीत होता है।
2. भौगोलिक खोजों में वैज्ञानिक उपकरणों का क्या योगदान था ?
उत्तर⇒ यूरोपवासियों ने कम्पास का ज्ञान अरबों से सीखा। गैलीलियो ने दूरबीन का आविष्कार कर समुद्री यात्रा को सुलभ बना दिया। कम्पास एवं दूरबीन की सहायता से दूरी एवं दिशा का पता लगाकर सुगमतापूर्व यात्रा की जा सकती थी। मॉनसून का ज्ञान प्राप्त हो जाने से जलयात्रा सुगम हो गई। नाविकों के पथ-प्रदर्शन के लिए नये-नये मानचित्र बनाए गए। अब मानचित्र में काफी सुधार हो चुका था। इस संदर्भ में एस्ट्रोलोब (अक्षांश जानने का उपकरण) महत्त्वपूर्ण था । अन्य तकनीकी विकास के कारण ऐसे जहाजों का निर्माण हुआ जो महासागरों में सुरक्षित रूप से चल सकते थे। जहाज निर्माण कला में परम्परागत पद्धति की जगह खाँचा पद्धति से विशाल और मजबूत जहाज बनाए जाने लगे। पुर्तगालियों ने एक नई किस्म के हल्के और तेज गति से चलने वाले जहाज कैरावल बनाए ।
3. भौगोलिक खोजों ने व्यापार-वाणिज्य पर किस प्रकार प्रभाव डाले ?
उत्तर⇒ भौगोलिक खोजों ने व्यापार-वाणिज्य पर निम्नांकित रूप में प्रभाव डाले-
(i) व्यापार वाणिज्य का विस्तार— नये-नये देशों की खोज से नये व्यापारिक सम्पर्क बना, जो यूरोपीय व्यापार-वाणिज्य पर क्रांतिकारी प्रभाव डाले। यूरोपीय व्यापार, जो भूमध्य और बाल्टिक सागर तक सीमित था, अब अटलांटिक, हिन्द तथा प्रशांत महासागर तक पहुँच गया।
(ii) यूरोपीय व्यापार पर से इटली के एकाधिकार की समाप्ति- भौगोलिक खोजों के पश्चात् यूरोपीय व्यापार पर से इटली का एकाधिकार समाप्त हो गया। अब उसके स्थान पर स्पेन, पुर्तगाल, हॉलैंड, इंग्लैंड तथा फ्रांस आदि देशों ने अपना आधिपत्य जमा बैठे।
4. भौगोलिक खोजों ने किस प्रकार भ्रांतियों को तोड़ा ?
उत्तर⇒ उत्तर भौगोलिक खोजों ने मध्ययुगीन यूरोपीयों में व्याप्त भ्रांतियों को तोड़ने के लिए निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण कार्य किए-
(i) चर्च द्वारा फैलाई गई अवधारणाओं पर संदेह भौगोलिक खोजों द्वारा लोगों का ज्ञान बढ़ा । अब चर्च द्वारा फैलाई गई अवधारणाओं पर लोग संदेह करने लगे। कालान्तर में यह धर्मसुधार आंदोलन का कारण बना।
(ii) नए गोलार्द्ध की जानकारी – नए गोलार्द्ध की जानकारी ने यूरोप का पोल खोलकर रख दिया। यूरोपवालों को स्वयं अपनी क्षुद्रता का एहसास हुआ। दुनिया की महत्ता की अभूतपूर्व जानकारी ने मनुष्य को नए-नए आविष्कारों के रास्ते पर खड़ा कर दिया।
5. भौगोलिक खोजों ने किस प्रकार विश्व के मानचित्र में परिवर्तन लाया ?
उत्तर⇒ विश्व इतिहास में समुद्री यात्राओं एवं भौगोलिक खोजों का महत्त्पूर्ण स्थान रहा है । भौगोलिक खोजों के पूर्व विश्व के कई ऐसे क्षेत्र थे, जिनमें जन-जीवन तो विद्यमान था लेकिन शेष विश्व से उनका जुड़ाव नहीं था । पन्द्रहवीं शताब्दी के अंतिम चरण से 16वीं शताब्दी के प्रारंभिक भाग तक कई नए देशों की खोज की गई। इनमें अमेरिका, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया तथा एशिया के अन्य हिस्से शामिल हैं। इन देशों या महादेशों की खोजों के पश्चात् ही विश्व को पाँच महाद्वीपों या महादेशों में बाँटा गया और विश्व का नया मानचित्र बनाया गया। इस प्रकार भौगोलिक खोजों ने विश्व के मानचित्र को पूरी तरह बदल डाला।
दीर्घं उत्तरीय प्रश्न ⇒
1. भौगोलिक खोजों का क्या तात्पर्य है ? इसने किस प्रकार विश्व की दूरियाँ घटाईं ?
उत्तर⇒ भौगोलिक खोजों का तात्पर्य- समुद्री यात्राओं द्वारा नए-नए देशों और महादेशों का पता लगाकर विश्व का एक नया मानचित्र तैयार करना है। भौगोलिक खोजों ने निम्नलिखित प्रकार से विश्व की दूरियाँ घटाई |
(i) वाणिज्य व्यापार — विश्व की आरंभिक सभ्यताओं से ही वाणिज्य- व्यापार एक देश से दूसरे देशों में किया जाता था, लेकिन यह व्यापार कुछ खास- खास देशों के बीच ही सीमित था । भौगोलिक खोजों ने वाणिज्य-व्यापार का विस्तार किया, जिससे नए-नए मार्गों का पता चला और एक देश से दूसरे देश में आना जाना आसान हो गया।
(ii) वड़े और तेज चलनेवाले जहाजों का आविष्कार – भौगोलिक खोजों के द्वारा बड़े और तेज चलनेवाले जहाजों का आविष्कार हुआ। यूरोप से भारत आने का नया रास्ता मिला, जिससे आने-जाने में कम समय लगने लगा।
(iii) नए-नए देशों की खोज-इन देशों और मार्गों को खोजने में यूरोप के सभी देश लगे हुए थे । अतः नए-नए देशों का पता चला तथा वहाँ के लोगों से संपर्क हुआ। उन नए देशों में पहुँचने पर यूरोपीय देशों को वहाँ की जनशक्ति तथा खनिज सम्पदा का पता चला।
(iv) कुस्तुन्तुनिया पर तुर्की का अधिकार – कुस्तुन्तुनिया पर तुर्की के अधिकार ने यूरोपीयनों को नए मार्गों की खोज और तेज चलनेवाले जहाजों को बनाने पर विवश किया।
अब सभी देशों के लिए दूरियाँ कम हो गई तथा व्यापार-वाणिज्य जोर-शोर से होने लगा। इस प्रकार भौगोलिक खोजों ने विश्व की दूरियाँ कम कर दी।
2. भौगोलिक खोजों के कारणों की व्याख्या करें।
उत्तर⇒ कौतूहल की भावना ने नए-नए देश खोजने की प्रेरणा दी। इन खोज यात्राओं का प्रमुख कारण व्यापार की उन्नति तथा आर्थिक लाभ भी होता था। जब यूरोप वालों को पता चला कि पूर्वी देशों से व्यापार करने के फलस्वरूप इटली के नगर बहुत समृद्ध हो गए तो उनकी भी इस व्यापार के लाभ में हिस्सेदार बनने की इच्छा हुई। परन्तु भौगोलिक खोजों का सबसे अधिक प्रेरणा 1453 के बाद जब तुर्की में एशिया माइनर पर अधिकार करके उनके मसाले के व्यापार का मार्ग रोक दिया तो नाविकों ने पश्चिम की ओर से समुद्री यात्रा करके पूर्वी देशों में पहुँचने का विचार बनाया। इसके परिणामस्वरूप समुद्र की बड़ी यात्राओं का आरंभ हुआ । अतः भौगोलिक खोजों के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे-
(i) पुराने व्यापारिक मार्ग पर तुर्कों ने 1453 में अधिकार कर लिया था, इसलिए उस मार्ग से अब व्यापार करना असंभव सा हो गया था । अतः नए मार्ग ढूँढ़ने की इच्छा उत्पन्न हुई।
(ii) धन प्राप्ति तथा व्यापार की वृद्धि के विचारों ने भी लोगों को नए देशों की खोज करने की ओर आकर्षित किया।
(iii) ईसाई धर्म का प्रचार करने के लिए भी कुछ लोग नए-नए देशों की खोज करने के लिए प्रयत्नशील हो गए।
(iv) पुनर्जागरण के प्रभाव के फलस्वरूप जो लोग अब साहसी बन गए थे उनके द्वारा दूर स्थित देशों तथा मार्गों को ढूंढ निकालना संभव हो गया।
(v) नए-नए आविष्कारों, कुतुबनुमा अथवा दूरदर्शी यंत्र के आविष्कार ने भी नाविकों को हर ऋतु तथा हर समय दिशा का ज्ञान कराकर उनमें पूर्वी देशों में पहुँच सकने का विश्वास पैदा कर दिया। इससे भी नए देशों की खोज के कार्य में बहुत सहायता मिली।
3. अंधकार युग से क्या समझते हैं ? अंधकार युग से बाहर आने में भौगोलिक खोजों ने किस प्रकार मदद की?
उत्तर⇒ प्रारंभिक मध्ययुग को आमतौर से अंधकार युग कहा जाता है। कुछ हद तक वस्तुतः वह अंधकारमय था । जनता का जीवन बड़ा दुःखमय था । बहुत कम लोग शिक्षा प्राप्त कर पाते थे। साधारण मनुष्य पूर्णतया असहाय थे। राजा और बैरन निरंकुश शासक थे। राष्ट्रीयता का पूर्ण अभाव था। ये स्थितियाँ प्रायः सारे यूरोप में एक हजार वर्ष से अधिक तक विद्यमान रहीं । सामंत प्रथा का प्रभाव इतना शक्तिशाली था कि बहुत-से देश आजतक उसकी बुराइयों को नहीं दूर कर सके। लोगों को तर्क करने की अनुमति नहीं थी। तर्क करना एक अपराध माना जाता था और तर्क करनेवाले को सजा दी जाती थी। लोगों में वैज्ञानिक भावना की कमी थी। इसीलिए उनके मन में जिज्ञासा न थी । वे किसी भी प्रश्न का उत्तर जानने के लिए उत्सुक नहीं थे। लोग अन्धविश्वासी थे। धार्मिक मामलों में भी उनका अन्धविश्वास था। अतः इन सब कारणों से मध्यकाल की आरंभिक शताब्दियों को अन्धकार युग कहना उचित प्रतीत होता है। विश्व के सभी देशों में मध्यकाल एक साथ प्रारंभ नहीं हुआ।
मध्ययुग के अंतिम वर्षों में यूरोप में अनेक परिवर्तन हो रहे थे। जिसके परिणामस्वरूप यूरोप के लोग मध्ययुगीन मानसिकता से निकलने को उद्धत थे। यूरोपीय लोगों ने जीवन के प्रति अपने दृष्टिकोण को बदला और अपने बारे में सोचना शुरू कर दिया। उन्होंने चर्च के प्रति अन्धविश्वास को तिलांजलि देकर तर्क-वितर्क तथा वैज्ञानिक विचार-विमर्श का मार्ग अपनाया। इस दौरान डियाज, कोलम्बस, वास्कोडिगामा तथा मैगलन आदि साहसिक नाविकों ने समुद्र की यात्राएँ कर नये-नये देशों को खोज निकाला। फलस्वरूप एक देश दूसरे देशों में रहने वाले लोगों से मिलने-जुलने लगे। वे अपने संकुचित विचार छोड़ने के लिए विवश हुए। उनके बीच विचारों का आदान-प्रदान होने लगे। फिर क्या था, विश्व के बारे में उनका ज्ञान बढ़ता चला गया और इस प्रकार उनकी विचारधारा में बड़ी तेजी से परिवर्तन आने लगे। अब उन्होंने अपने अन्धविश्वासों को तिलांजलि दी और इस प्रकार वे मध्ययुग के अंधेरे से निकलकर आधुनिक युग के प्रकाश की ओर बढ़ने लगे। ऐसे में मध्ययुग के अन्धकार की कब्र खुदनी निश्चित थी । इस प्रकार भौगोलिक खोजों ने पूर्व और पश्चिम को एक-दूसरे के निकट ला दिया। उत्साह, साहस और वैज्ञानिक दृष्टिकोण ने समस्त मानवता को एक मंच पर लाकर खड़ा कर दिया। ऐसे में मध्ययुग का अंधकार कैसे टिक सकता था ।
4. भौगोलिक खोजों के परिणामों का वर्णन करें। इसने विश्व पर क्या प्रभाव डाला ?
उत्तर⇒ भौगोलिक खोजों का परिणाम काफी दूरगामी और महत्वपूर्ण साबित हुए। इन खोजों ने खोजकर्ता देशों के जन-जीवन को गहन रूप से प्रभावित किया। इसका प्रभाव उन देशों के जन-जीवन पर भी पड़ा जिन देशों का पता लगाया गया। भौगोलिक खोजों के परिणाम निम्नरूपेण स्पष्ट किये जा सकते हैं-
(i) भौगोलिक खोजों के परिणामस्वरूप अमेरिका, कनाडा, फिलिपाइन द्वीप समूह, प्रशान्त महासागर तथा भारत के लिए एक नए समुद्री मार्ग को खोज निकाला गया। फलस्वरूप विश्व के बहुत-से देश एक-दूसरे को जानने लगे। दूर स्थित स्थान जैसे अमरीका, कनाडा, भारत, फिलिपाइन द्वीपसमूह, वेस्टइण्डीज और अलग-थलग आस्ट्रेलियन देश जाने-पहचाने हो गए।
(ii) इससे लोगों के ज्ञान में वृद्धि हुई । विभिन्न देशों के लोगों के स्वभाव, व्यापारिक गतिविधियाँ, संस्कृति एवं वैज्ञानिक उपलब्धियों के बारे में जानकारी मिली।
(iii) भौगोलिक खोजों के परिणामस्वरूप बहुत-सी भ्रांतियाँ, अन्धविश्वास आदि समाप्त हो गए और लोग अज्ञानता रूपी अन्धकार से बाहर आ गए। साथ ही आधुनिक युग की ओर बढ़ने लगे।
(iv) भौगोलिक खोजों ने उपनिवेशवाद को बढ़ावा दिया। बंजर एवं उजाड़ क्षेत्र जिनमें ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका जैसे क्षेत्र थे उनका विकास अन्य देशों की भाँति होने लगा।
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