Class 9th History

Class 9th History Chapter Wise Short Long Type Question | इतिहास की दुनिया चैप्टर नाम- “अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम” का प्रशन

Class 9th History Chapter Wise Short Long Type Question | इतिहास की दुनिया चैप्टर नाम- “अमेरिकी स्वतंत्रता संग्रामका प्रशन


Class 9th – कक्षा 9वीं

विषय – इतिहास की दुनिया

Short Long Question (लघु दीर्घ उत्तरीय प्रश्न)

चैप्टर का नाम- अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम (The War of American Independence


लघु उत्तरीय प्रश्न ⇒


1. अमेरिका या नई दुनिया की खोज क्यों हुई ? 

उत्तर⇒ आधुनिक युग लाने वाले कारक में एक कारकों 15वीं शताब्दी में नए समुद्री मार्गों की खोज एवं नये देशों की खोज भी शामिल है। इसका उद्देश्य नए व्यापारिक मार्गों को विकसित कर यूरोपीय देशों की अर्थव्यवस्था, व्यापार और वाणिज्य के माध्यम से समृद्ध बनाना था। इसी क्रम में स्पेन के महान नाविक कोलम्बस ने अमेरिकी महाद्वीप को खोज निकाला। यद्यपि कोलम्बस ने अमेरिका को भारतीय उपमहाद्वीप का हिस्सा समझा और यहाँ के निवासियों को रेड इंडियन कहा। बाद में पता चला कि अनजाने में ही कोलम्बस ने जिस देश की खोज की थी, वह अमेरिका था। बाद में स्पेन के नाविक अमेरिगु वेस्पुची ने इस नई दुनिया को विस्तार से ढूँढ़ा और इसे एक महाद्वीप बताया। इसी के नाम पर इस क्षेत्र का नाम अमेरिका पड़ा। उसने इस बृहद भूखण्ड के बारे में विस्तृत जानकारी दी। धीरे-धीरे यूरोपीय देशों ने इस क्षेत्र में अपने उपनिवेश भी बसा लिए। उत्तरी अमेरिका में इंगलैंड और फ्रांस ने अपना वर्चस्व स्थापित कर दिया।


2. नई दुनिया की खोज इंगलैंड के लिए वरदान साबित हुआ, कैसे ? 

उत्तर⇒ नई दुनिया की खोज के बाद धीरे-धीरे इंगलैंड ने उत्तरी अमेरिका में अपने उपनिवेश बसाना शुरू कर दिया और अपना वर्चस्व भी स्थापित कर दिया। 1750 तक अमेरिका के उत्तरी भाग में इंगलैंड के तेरह उपनिवेश स्थापित हो चुके थे। इन उपनिवेशों में इंगलैंड की आबादी का एक बड़ा भाग आकर बस गया। इससे बढ़ती आबादी से इंगलैंड को राहत मिली। यहाँ बसने वालों में भूमिहीन किसान, धार्मिक स्वतंत्रता चाहने वाले लोग, व्यापारी तथा मुनाफाखोर आदि थे। भूमिहीन किसानों ने वहाँ के जंगलों को काटकर कृषि योग्य बनाया। साथ ही दलदली भूमि पर कृषि कार्य करना शुरू किया। धीरे-धीरे यहाँ बड़े-बड़े फार्म बन गए। वहाँ ऊन, पटसन और गेहूँ की खेती करने लगे इससे इंगलैंड का गोदाम गेहूँ से भर गया। बड़े-बड़े फार्म में तम्बाकू और कपास की खेती की जाती थी । उपज को इंगलैंड निर्यात किया जाता था जिससे वहाँ के उद्योग फल-फूल रहे थे । यहाँ चमड़े के उद्योगों का प्रारंभ हो गया था। इस प्रकार नई दुनिया की खोज इंगलैंड के लिए वरदान साबित हुआ ।


3. मुक्त व्यापार के सिद्धांत ने उपनिवेशवासियों को क्रांति के लिए प्रेरित किया, कैसे ? 

उत्तर⇒ आर्थिक मामलों में ब्रिटेन की औपनिवेशिक नीति अंग्रेजी सरकार तथा उसके अमेरिकी उपनिवेशों के बीच झगड़े का कारण सिद्ध हुई। अंग्रेजी सरकार अमेरिका पर अपना वाणिज्यवाद थोपना चाहती थी। इसके लिए अमेरिका के व्यापार को अपनी मुट्ठी में लेना आवश्यक था। सबसे गंभीर मतभेद विकसित हो रही उन्मुक्त व्यापार की धारणा थी। राज्य द्वारा व्यापार को नियंत्रित करने का विरोध किया गया था । इस सिद्धांत के अनुसार उपनिवेशवासी अपने व्यापार एवं अन्य क्रियाकलापों में इंगलैंड के हस्तक्षेप को पसन्द नहीं करते थे। अतः उपनिवेशों में विकसित हो रहा मध्यवर्ग इंगलैंड के कुलीनवर्गीय शासन का अन्त चाहता था। फलत: ‘मुक्त व्यापार के सिद्धांत’ ने उपनिवेशवासियों को क्रांति के लिए प्रेरित किया।


4. अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम ने फ्रांस पर भी प्रभाव डाला है, कैसे?

उत्तर⇒ अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम ने फ्रांस को भी प्रभावित किया। फ्रांस में राजनीतिक क्रांति लाने में इसका महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। फ्रांस की क्रांति का नेता लफाते (लफायते) के नेतृत्व में फ्रांसीसी सैनिकों ने अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम में भाग ले चुका था। जब वे स्वदेश लौटे तो निरंकुश राजतंत्र के विरुद्ध जनता को जागरूक करने का प्रयास किया। अमेरिका के स्वतंत्रता संग्राम में जो खर्च हुआ उसने फ्रांस को आर्थिक दृष्टि से खोखला कर दिया। बाद में लगाए गए करों का बोझ लोगों को असह्य हो गया। बढ़े हुए ऋण से मुक्ति पाने के लिए फ्रांस की सरकार को विधानसभा की बैठक बुलानी पड़ी। वहीं से फ्रांस की क्रांति की शुरूआत हो गई। इस प्रकार अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम ने फ्रांस पर भी प्रभाव डाला।


 5. क्या अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम के परिणामों ने औपनिवेशिक विश्व को प्रभावित किया ? 

उत्तर⇒ विश्व इतिहास में अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम का विशेष महत्त्व है। अमेरिका ने राष्ट्रीयता के सिद्धांत का प्रतिपादन किया। इस क्रांति ने यह सिद्ध कर दिया कि राष्ट्रीय भावना जागृत हो जाने पर उपनिवेशों को अधीन रखना असंभव साम्राज्यवादी देशों को पराजित कर संयुक्त राज्य ने साम्राज्यवाद को करारा झटका दिया था। उसने एक ऐसा उदाहरण प्रस्तुत किया जो पराधीन देशों को बहुत दिनों तक प्रेरित करता रहा। कालान्तर में इस संग्राम ने निरंकुश राजतंत्र और सामन्तवाद को समाप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया। प्रजातांत्रिक आदर्श की स्थापना के लिए हर देश में आन्दोलन का दौर चल पड़ा। वह ऐसा समय था कि विश्व के कोने-कोने में यूरोप के किसी-न-किसी देश का उपनिवेश स्थापित हो चुका था। जिस समय अमेरिका से इंगलैण्ड जूझ रहा था उसी समय उपनिवेशों की जनता स्वतंत्रता प्राप्ति के उपाय में जुटी हुई थी। अतः हम कह सकते हैं कि अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम की सफलता और उसके परिणामों ने औपनिवेशिक विश्व को काफी प्रभावित किया।


दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ⇒


 1. अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम के तीन प्रमुख कारणों की विवेचना कीजिए। 

उत्तर⇒ अमेरिका में इंगलैंड के तेरह (13) उपनिवेश थे। 1775 में उपनिवेशों के लोगों ने इंगलैंड के विरुद्ध युद्ध छेड़ दिया। इतिहास में इस घटना को अमेरिका के स्वतंत्रता संग्राम कहकर पुकारा जाता है। इसके तीन प्रमुख कारण निम्नलिखित थे— 

(i) आर्थिक शोषण : अमेरिकी उपनिवेशों को इंगलैंड की सरकार कच्चे माल की प्राप्ति के साधन और अपना तैयार माल बेचने के लिए एक मण्डी मात्र समझती थी। इंगलैंड में ऐसे कानून बनाए गए जो इंगलैंड के लिए तो लाभदायक थे, परन्तु उपनिवेशों के लिए हानिकारक । कठोर कानूनों, वाणिज्यवाद की नीति, मुक्त व्यापार की नीति, स्टाम्प एक्ट, नये कर आदि के कारण अमेरिका के लोगों में पर्याप्त असंतोष फैला हुआ था। 

(ii) उपनिवेशों में राजनीतिक स्वायत्तता का अभाव : अमेरिकी उपनिवेशों में अधिकांश अंग्रेज लोग थे। वे इंगलैंड की संसदीय व्यवस्था एवं विधि-विधान से परिचित थे। अतः वे अपने उपनिवेश में उसी प्रकार की प्रजातांत्रिक व्यवस्था चाहते थे। परन्तु ब्रिटिश सरकार इसके विरुद्ध थी । उपनिवेशों के गवर्नर इंगलैंड के राजा द्वारा मनोनीत किए जाते थे। उन्हें विशेषाधिकार भी प्राप्त थे। वे उपनिवेशवासियों के प्रति उत्तरदायी नहीं थे। फलस्वरूप गवर्नर और निर्वाचित सभा के बीच संघर्ष की स्थिति बनी रहती थी । उपनिवेशवासियों को शासन के योग्य नहीं माना जाता था। इन सब कारणों से उपनिवेशवासियों में भारी असंतोष था । 

(iii) वौद्धिक कारण : अमेरिकी उपनिवेशों के समाज में बुद्धिजीवियों, लेखकों एवं विचारकों का एक मजबूत मध्यम वर्ग था। उनमें लॉक, हैमिल्टन, हेनरी ली; जॉन एडम्स, टॉमसपेन, बेंजामिन, जॉन जेन, सेम्यूल एडम्स आदि प्रमुख थे। उन्होंने इंगलैंड तथा फ्रांसीसी दार्शनिकों के विचारों एवं लेखों से प्रेरणा लेकर उपनिवेशवासियों के विद्रोह के अधिकार का समर्थन किया। उन्होंने ब्रिटिश सरकार के अत्याचारों का नग्न रूप प्रस्तुत किया। उन विचारकों के प्रयत्नों से उपनिवेशवासियों में स्वतंत्रता की भावना बलवती होती गयी।


2. लोकतांत्रिक स्तर पर अमेरिकी संग्राम ने विश्व को कैसे प्रभावित किया है ? 

उत्तर⇒ लोकतांत्रिक स्तर पर अमेरिकी संग्राम ने विश्व को निम्नलिखित प्रकार से प्रभावित किया- 

(i) 1776 में फिलाडेल्फिया के दूसरा महादेशीय सम्मेलन में जैफर्सन द्वारा तैयार ‘स्वतंत्रता का घोषणापत्र’ जारी किया गया। इसके बाद समूचे विश्व में समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व की भावनाएँ तीव्र होने लगीं। 

(ii) इस घोषणापत्र के परिणामस्वरूप समूचे विश्व में साम्राज्यवाद के विरुद्ध निरंतर संघर्ष आरंभ हो गए और प्रजातंत्रीय शक्तियों को बल मिलने लगा। 

(iii) अमेरिकी क्रांति ने विश्व में गणतंत्र प्रणाली को जन्म दिया। इसने जनता को वास्तविक सत्ता का स्रोत बताया। ‘जनता का राज्य, जनता के द्वारा राज्य और जनता के लिए राज्य का संदेश सारे विश्व में फैलाया। 

(iv) अमेरिकी संग्राम विश्व में लिखित संविधान की परिपाटी चालू की। अमेरिका के संविधान की भाँति विश्व के अन्य देशों में भी लिखित संविधान तैयार किए गए। 

(v) अमेरिकी संग्राम के फलस्वरूप संघीय शासन-पद्धति सबसे पहले अमेरिका में प्रारंभ हुई।


3. अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम के परिणामों की आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए। 

उत्तर⇒ अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम के तात्कालिक एवं दीर्घकालिक परिणाम दोनों ही निर्णायक थे जो निम्नलिखित हैं- 

(i) अमेरिका की स्वतंत्रता की लड़ाई 1773 में आरंभ हुई और 4 जुलाई, 1776 में ‘स्वतंत्रता घोषणापत्र’ को स्वीकार किया गया। घोषणापत्र ने अमेरिका के लोगों में एक नई राजनीतिक चेतना का संचार किया और अपनी स्वतंत्रता का महत्त्व समझने लगे। व्यक्तिगत स्वाधीनता, स्वशासन और समाज में आदरणीय स्थान प्राप्त करने के लिए घोषणा ने अमेरीकियों को मर-मिटने के लिए कटिबद्ध कर दिया। इस घोषणा ने एकतंत्रीय शासन व्यवस्था पर ऐसी कड़ी चोट पहुँचाई जो तबतक लोगों के कानों में गूँजती रहेगी जबतक मनुष्य आजादी की कद्र करता रहेगा। इस घोषणा के बाद समूचे विश्व में साम्राज्यवाद के विरुद्ध निरंतर संघर्ष आरंभ हो गया। परिणामस्वरूप साम्राज्यवाद की जड़ें खोखली हो गई और प्रजातंत्रीय शक्तियों को बल मिलने लगा।

(ii) अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम का सबसे महत्त्वपूर्ण परिणाम यह हुआ कि अमेरिका एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में दुनिया के नक्शे पर आया। आजादी की घोषणा द्वारा लोकतंत्र शासन का वह बीज अंकुरित हुआ जो सदियों से यूरोपीय साम्राज्यवादी शक्तियों के विरुद्ध उगने के लिए प्रयत्न कर रहा था। शासन करनेवाले मालिक न होकर जनता के सेवक हैं— इसे सर्वप्रथम इसी क्रांति ने व्यावहारिक रूप दिया। अन्य अमेरिकी उपनिवेशों ने अपनी-अपनी आजादी की घोषणा कर दी और वे स्वाधीन राज्य बन गये । राज्यों में मताधिकार बढ़ा दिया गया और धारा सभा में उचित प्रतिनिधित्व दिलाने की व्यवस्था की गई। कर देने वाले सभी व्यक्तियों को मताधिकार दिया गया।

(iii) अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम ने विश्व में गणतंत्र प्रणाली को जन्म दिया। इसने जनता को वास्तविक सत्ता का स्रोत बताया। ‘जनता का राज्य, जनता के द्वारा राज्य और जनता के लिए राज्य का संदेश सारे विश्व में फैलाया। परिणामतः अंग्रेजों ने अपने अन्य उपनिवेशों में उदार नीति अपनानी शुरू कर दी। 

(iv) संयुक्त राज्य अमेरिका का गठन एक नए राज्य के रूप में हुआ जिसमें पहली बार लिखित संविधान, शक्ति के पृथक्करण का सिद्धांत, धर्मनिरपेक्षता का सिद्धांत और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का सिद्धांत राजनीतिक व्यवस्था के मूल आधार माने गए। इन सिद्धांतों का प्रसार यूरोप में भी हुआ और फ्रांस की राज्यक्रांति ने 1789 में इन्हीं सिद्धांतों को मार्गदर्शक सिद्धांतों के रूप में समस्त विश्व के लिए स्थापित कर दिया।


4. अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों के पराजय के क्या कारण थे ? 

उत्तर⇒ इसके निम्नलिखित कारण थे-

(i) जार्ज वाशिंगटन का व्यक्तित्व : जार्ज वाशिंगटन एक सुयोग्य, साहसी और धैर्यवान सेनापति था। उसके कुशल नेतृत्व में विभक्त और असंगठित उपनिवेश एकता के सूत्र में आबद्ध हो गये। उसके आदेश पर सैनिक अपनी जान न्योछावर करने को तैयार रहते थे। जब ब्रिटेन की सेनाएँ कनाडा से दक्षिण की ओर बढ़ीं तब अमेरिका की सेनाओं ने उनका सामना किया और उन्हें. हटा दिया। इससे अमेरिका निवासियों में बड़ा आत्मविश्वास पैदा हुआ। 

(ii) दूरी और जंगल : अमेरिकी उपनिवेश अटलांटिक महासागर के पार इंगलैंड से तीन हजार मील की दूरी पर स्थित थे । अतः वहाँ समय से सेना एवं रसद पहुँचने में कठिनाई होती थी । अमेरिका में जंगलों का मीलों तक सिलसिला था जिससे अंग्रेजी सैनिक परिचित नहीं थे। जबकि अमेरिकी निवासी उसके चप्पे-चप्पे से परिचित थे। अतः अमेरिकी सेना ने गुरिल्ला युद्ध का सहारा लेकर इंगलैंड की सेना को तबाह कर दिया। 

(iii) अमेरिकनों की शक्ति का गलत अनुमान : अमेरिकनों की शक्ति का अंग्रेजों द्वारा गलत अन्दाजा लगाया गया। अंग्रेज अपने को अजेय मानते थे। अधिकांश अंग्रेज इस संग्राम को गृहयुद्ध ही समझते थे। इंगलैंड की सरकार यह समझती थी कि उपनिवेशवासी इंगलैंड की सैनिक शक्ति का मुकाबला नहीं कर सकेंगे। इसलिए इंगलैंड में सेना के संगठन पर पूरा ध्यान नहीं दिया गया। नौसिखुए सैनिक युद्ध में लड़ने के लिए भेजे गये। फलतः इंगलैंड युद्ध में पराजित हो गया। 

(iv) ब्रिटेन का अकेलापन : युद्ध के समय अन्तर्राष्ट्रीय स्थिति इंगलैंड के विरुद्ध थी। फलतः ब्रिटेन विदेशी सहायता से वंचित रहा जबकि अमेरिकी उपनिवेशों को विदेशी सहायता प्राप्त हुई। युद्ध के दौरान फ्रांस, स्पेन और हॉलैण्ड ने अमेरिका को धन-जन से मदद की। रूस, डेनमार्क, नेपुल्स, प्रशा, पुर्तगाल, सिसली आदि ने इंगलैंड के विरुद्ध सशस्त्र तटस्थता की नीति अपनायी । ऐसी परिस्थिति में इंगलैंड का पराजित होना अवश्यम्भावी था । 

(v) आदर्श की भिन्नता : अमेरिका और इंगलैंड के आदर्श में भी भिन्नता थी। अमेरिकी स्वतंत्रता के लिए लड़ रहे थे जबकि अंग्रेज साम्राज्य की रक्षा के लिए। अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम स्वतंत्रता की भावना से अनुप्रेरित होता रहा। उसे सम्पूर्ण जनता का समर्थन प्राप्त था । अतः अमेरिका की विजय निश्चित थी। दूसरी ओर ब्रिटिश राजनेताओं के बीच गंभीर मतभेद थे। जार्ज तृतीय की हठधर्मिता की नीति के कारण योग्य एवं अनुभवी नेता सरकार से अलग रहे। ऐसी स्थिति में इंगलैंड की पराजय होना स्वाभाविक था ।


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